ETV Bharat / bharat

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस और उनके वकील बेटे के खिलाफ शिकायत

author img

By

Published : Oct 8, 2022, 6:34 PM IST

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट लिटिगेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SCHCLA) के अध्यक्ष आरके पठान ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के खिलाफ भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय सतर्कता आयोग में भ्रष्टाचार और शीर्ष अदालत के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज कराई है. पढ़ें पूरी खबर.

Complaint against SC justice
जस्टिस और उनके वकील बेटे के खिलाफ शिकायत

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश और उनके वकील बेटे के खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय सतर्कता आयोग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 'भ्रष्टाचार और सुप्रीम कोर्ट के दुरुपयोग' की शिकायत की गई है (Complaint lodged against SC justice). यह शिकायत सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट लिटिगेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एससीएचसीएलए) के अध्यक्ष आरके पठान (RK Pathan) की ओर से की गई है.

शिकायतकर्ता ने न्यायमूर्ति पर एक कंपनी के पक्ष में अपने कार्यालय का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. आरोप है कि 'कंपनी का प्रतिनिधित्व उनके वकील बेटे ने किया. उन्होंने अपने आदेश में लोगों को कोविड वैक्सीन लेने का सुझाव दिया था, जिसके जरिए वैक्सीन और फार्मा कंपनियों को हजारों करोड़ का लाभ दिया.'

शिकायतकर्ता ने तर्क दिया है कि एक मामले में जहां उनका बेटा शामिल था, उसे केस की सुनवाई के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था, फिर भी उन्होंने ऐसा किया और मुवक्किल को फायदा पहुंचाने वाला आदेश दिया. शिकायत में कहा गया है, 'तत्काल आदेश पारित करने और अपने बेटे के मुवक्किल का पक्ष लेने में अनुचित जल्दबाजी, दुर्भावनापूर्ण इरादे और मौजूदा न्यायाधीश की न्यायिक बेईमानी को साबित करता है. यह उनके सभी न्यायिक कार्यों को वापस लेने के लिए पर्याप्त आधार है.' वैक्सीन और फार्मा कंपनियों को लाभ पहुंचाने की शिकायत के मामले में शिकायतकर्ता ने कहा है कि इस आदेश ने 'लोगों के जीवन को खतरे में डाल दिया, इससे सामूहिक हत्याएं (नरसंहार) हो सकता था.'

शिकायतकर्ता का कहना है कि 'महामारी के दौरान, फार्मा और वैक्सीन माफिया ने कुछ नौकरशाहों और कुछ बेईमान डॉक्टरों से मिलकार साजिश रची और लोगों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने वाले कुछ असंवैधानिक आदेश जारी किए गए. अध्ययनों से पता चला है कि टीकों के दुष्प्रभाव भी हैं. इनसे पक्षाघात, रक्त के थक्के जमना, दिल का दौरा पड़ने यहां तक कि मृत्यु होना आदि दुष्प्रभाव होते हैं, फिर भी उक्त न्यायाधीश ने लोगों को टीका लगवाने की सलाह दी.'

शिकायत में कहा गया है कि 'जान जोखिम में डालने वाले दुष्प्रभावों की जानकारी होने के बावजूद, न्यायाधीश का कर्तव्य था कि वह लोगों को टीका लगवाने के लिए बाध्य न करते. लेकिन उन्होंने टीकाकरण की अनुमति दी.' शिकायतकर्ता ने कहा कि 'उक्त न्यायाधीश को इस्तीफा दे देना चाहिए और वह अदालत की अवमानना ​​के भी दोषी हैं.'

पढ़ें- किसी को भी कोविड-19 टीकाकरण कराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता : SC

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.