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COP27 : भारत ने कहा- जलवायु वित्त अभी भी अपर्याप्त

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Published : Nov 7, 2022, 10:43 PM IST

मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (सीओपी 27) आयोजित किया जा रहा है. सम्मेलन 18 नवंबर तक चलेगा. इसमें केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav at COP27) ने कहा कि जलवायु वित्त अभी भी अपर्याप्त है.

Bhupender Yadav at COP27
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव

नई दिल्ली : केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav) ने सोमवार को मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (सीओपी 27) में कहा कि जलवायु वित्त अभी भी अपर्याप्त है, इसलिए पूर्व चेतावनी प्रणाली जीवन और आजीविका को प्राकृतिक खतरों से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है.

'सभी कार्यकारी कार्य योजना के लिए प्रारंभिक चेतावनी' की शुरुआत के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव उच्च स्तरीय गोलमेज बैठक में यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की दर को नियंत्रित करने के लिए जलवायु शमन या अनुकूल कदम उठाने की वैश्विक गति पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में बड़े पैमाने पर नुकसान का कारण पैदा होने वाले प्राकृतिक खतरों को स्वीकार करने की तत्काल आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि भारत 'सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनी' प्रणाली की दिशा में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के एजेंडे का पूरी तरह से समर्थन करता है.

यादव ने कहा कि प्रशांत और कैरिबियाई क्षेत्रों में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की तीव्रता के साथ, छोटे उष्णकटिबंधीय राष्ट्रों ने कुछ ही घंटों में अपनी राष्ट्रीय आय का 200 प्रतिशत खो दिया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं के विनाशकारी परिणाम उन देशों में हो सकते हैं जिनके पास इससे निपटने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं.

उन्होंने कहा, 'जलवायु वित्त अभी भी अर्याप्त है, प्रारंभिक चेतावनी प्रसार के रूप में जलवायु अनुकूलन जीवन और आजीविका की सुरक्षा में महत्वपूर्ण है. 'सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनी' न केवल तात्कालिक भौतिक प्रभावों को समाहित करने में एक भूमिका निभाती है, बल्कि इसके बाद के दूरगामी, दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक प्रभावों को कम करने में भी भूमिका निभाती है.'

यादव ने कहा कि भारत जल-मौसम संबंधी सभी खतरों के लिए शुरू से अंत तक की पूर्व चेतावनी प्रणाली को मजबूत करने पर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि पिछले 15 वर्षों में देश में चक्रवातों के कारण होने वाली मौतों में 90 प्रतिशत तक की कमी आई है. उन्होंने कहा कि चक्रवातों के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली लगभग पूरे पूर्वी और पश्चिमी तटों को कवर करती है.

मंत्री ने कहा कि भारत लू या भीषण गर्मी जैसे अन्य खतरों के लिए प्रारंभिक चेतावनी के मामले में तेजी से प्रगति कर रहा है. उन्होंने कहा कि देश ने पिछले कुछ वर्षों में समुदायों द्वारा प्रारंभिक चेतावनियों को प्रभाव-आधारित, आसानी से समझने योग्य और कार्रवाई योग्य बनाने की दिशा में ठोस प्रयास किए हैं.

18 नवंबर तक चलेगा सम्मेलन : मिस्र के शर्म अल शेख में 6 से 18 नवंबर तक आयोजित होने वाले सम्मेलन में, विकसित देशों से विकासशील देशों को अपनी जलवायु योजनाओं को और तेज करने के लिए प्रेरित करने की उम्मीद है. दूसरी ओर, विकासशील देश विकसित देशों से वित्त और प्रौद्योगिकी के लिए प्रतिबद्धता चाहते हैं जो जलवायु परिवर्तन और इसके परिणामस्वरूप होने वाली आपदाओं से निपटने के लिए आवश्यक हैं.

इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन यूक्रेन में रूसी आक्रमण और इसके परिणामस्वरूप ऊर्जा संकट के साये में आयोजित किया जा रहा है, जिसने जलवायु परिवर्तन से तत्काल निपटने के लिए देशों की क्षमताओं को प्रभावित किया है.

पढ़ें- संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन की शुरुआत, जानिए इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

(पीटीआई-भाषा)

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