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अमेरिकी रिपोर्ट का दावा, 'चीन ने अरुणाचल प्रदेश से सटे विवादित क्षेत्र में बसाया गांव', कांग्रेस ने सरकार से मांगा स्पष्टीकरण

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Published : Nov 5, 2021, 8:35 PM IST

Updated : Nov 7, 2021, 12:19 PM IST

अमेरिकी रक्षा विभाग ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और अरुणाचल प्रदेश के बीच विवादित क्षेत्र के अंदर एक बड़ा 100 घरों का नागरिक (असैन्य) गांव बसाया है. पेंटागन की इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं. कांग्रेस पार्टी ने इस खबर के बाद मोदी सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं.

विवादित क्षेत्र में बसाया गांव
विवादित क्षेत्र में बसाया गांव

नई दिल्ली : चीन ने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और अरुणाचल प्रदेश के बीच विवादित क्षेत्र के अंदर एक बड़ा 100 घरों का नागरिक (असैन्य) गांव बसाया है. अमेरिकी रक्षा विभाग ने चीन से जुड़े सैन्य और सुरक्षा विकास पर कांग्रेस को पेश की गई अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यह दावा किया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) राष्ट्र-नियंत्रित मीडिया ने इसी दौरान बीजिंग के दावों को जोर शोर से उठाया और भारत के दावों को अस्वीकार करना जारी रखा. यह भी कहा गया है कि चीनी मीडिया ने एलएसी के पास भारत के बुनियादी ढांचे के विकास को प्रभावित करने की कोशिश की. इस काम के लिए चीनी मीडिया तनाव बढ़ाने का आरोप भारत पर लगाता रहा. चीन ने अपने दावे वाली जमीन से सेना को पीछे हटाने से भी साफ इनकार कर दिया था. उसने शर्त रखी कि वह तब तक सेना को पीछे नहीं हटाएगा, जब तक उसके दावे वाली जमीन से भारतीय सेना पीछे नहीं हट जाती और उस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे में सुधार के काम को रोका नहीं जाता.

अमेरिका से संबंध मजबूत करने को रोकने की कोशिश
अमेरिकी रक्षा विभाग ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन ने भारत को अमेरिका के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने से रोकने की कोशिश की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के अधिकारियों ने आधिकारिक बयानों और राष्ट्रीय मीडिया के माध्यम से भारत को वाशिंगटन के साथ अपने संबंधों को गहरा करने से रोकने के लिए असफल प्रयास किया है.

इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पीआरसी के अधिकारियों ने भारत पर अमेरिकी नीति का एकमात्र उपकरण होने का आरोप लगाते हुए, गतिरोध के दौरान और बाद में वाशिंगटन के साथ अपने संबंधों को गहरा करने से रोकने के लिए असफल कोशिश की है. विभाग ने यह भी कहा कि चीनी अधिकारियों ने अमेरिकी अधिकारियों को भारत के साथ उसके संबंधों में हस्तक्षेप नहीं करने की चेतावनी दी है.

पिछले 18 महीनों में भारत और चीन के सीमा विवाद के बारे में विस्तार से बताते हुए, इसमें यह भी कहा गया है कि सीमा तनाव को कम करने के लिए चल रहे राजनयिक और सैन्य संवाद के बावजूद, पीआरसी ने एलएसी पर अपने दावों को मजबूत करने के लिए सामरिक कार्रवाई करना जारी रखा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि एलएसी पर भारत के साथ तनाव ने मई 2020 के मध्य में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच चल रहे गतिरोध को जन्म दिया, जो सर्दियों तक चला.

गलवान की झड़प दबाने को कोशिश की
भारतीय सेना और पीएलए सैनिकों के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में झड़प के बाद 15 जून, 2020 को गतिरोध बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए और दोनों ही पक्षों में जवान हताहत हुए. गतिरोध के दौरान पीआरसी के अधिकारियों ने संकट की गंभीरता को कम करने पर भी जोर दिया है और सीमा की स्थिरता को बनाए रखने और भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों के तहत अन्य क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाने से रोकने पर भी जोर दिया है. अमेरिकी रक्षा विभाग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि सीमा पर तनाव कम करने के लिए चल रहे राजनयिक और सैन्य वार्ता के बावजूद चीन ने एलएसी पर अपने दावों पर जोर देने के लिए सामरिक कार्रवाई करना जारी रखा है. इसने यह भी कहा कि चीन अपने पड़ोसियों विशेष रूप से भारत के साथ आक्रामक और बलपूर्वक व्यवहार कर रहा है.

हताहतों की संख्या पर उठाए सवाल
पेंटागन ने कहा कि फरवरी 2021 में चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) ने चार पीएलए सैनिकों के लिए मरणोपरांत पुरस्कार की घोषणा की. हालांकि, चीनी हताहतों की कुल संख्या का अभी भी नहीं पता चल पाया है. दोनों देशों के बीच मौजूदा गतिरोध के परिणामस्वरूप पिछले 45 वर्षो में पहली मौत हुई है. अप्रैल 2021 तक, पीएलए और भारतीय सेना के प्रतिनिधियों ने मई 2020 में गतिरोध की शुरुआत के बाद से कोर-स्तरीय वार्ता के 11 दौर आयोजित किए हैं, जिसमें पीएलए के दक्षिण शिनजियांग (नानजियांग) सैन्य जिले के कमांडरों और भारतीय सेना की 14वीं वाहिनी की बैठकें शामिल हैं. बातचीत से एलएसी के साथ लगते विशिष्ट क्षेत्रों में सीमित रूप से सैनिक पीछे हटे हैं.

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सैन्य वार्ता के अलावा, 10 सितंबर को पीआरसी के विदेश मंत्री वांग यी ने मास्को में शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की थी. रक्षा विभाग की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि दोनों मंत्रियों ने विवाद को सुलझाने के लिए एक योजना जारी की, जिसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है और बातचीत को बनाए रखते हुए गतिरोध को शांति से हल करने की इच्छा जरूर व्यक्त की गई है.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि जून 2021 तक पीआरसी और भारत एलएसी के साथ बड़े पैमाने पर तैनाती जारी रखे हुए हैं और इन बलों को बनाए रखने की तैयारी भी कर रहे हैं, जबकि सैनिकों को पीछे हटाने के लिए वार्ता ने सीमित प्रगति की है.

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कांग्रेस ने मोदी सरकार पर उठाए सवाल

कांग्रेस ने शनिवार को खबरों का हवाला देते हुए कहा कि चीन ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की है, लेकिन सरकार इससे इनकार कर रही है. पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, 'अब पेंटागन द्वारा अमेरिकी कांग्रेस को एक वार्षिक रिपोर्ट द्वारा इसकी पुष्टि की गई है. रिपोर्ट - 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, 2021 से जुड़े सैन्य और सुरक्षा विकास' के अनुसार चीन ने हमारे क्षेत्र में अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र के अंदर 4.5 किमी गहरी घुसपैठ की है.'

खेड़ा ने कहा कि चीन ने एलएसी के पार एक गांव का निर्माण किया है. उन्होंने कई गांवों का निर्माण किया है और ये दोहरे उद्देश्य, उपयोग वाले गांव हैं. दोहरा उपयोग वाला गांव क्या है? इसमें न केवल नागरिक आबादी रहती है, बल्कि ये गांव चीनी सेना के लिए छावनी के रूप में भी काम कर सकते हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, 'पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने हमारे क्षेत्र में लगभग 4.5 किमी के भीतर 101 संरचनाओं का निर्माण किया है. उनमें से कुछ बहुमंजिला संरचनाएं हैं और यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है. प्रधानमंत्री को सबसे पहले उस क्लीन चिट को वापस लेना चाहिए और राष्ट्र को एक समय सीमा देनी चाहिए कि चीन के साथ हमारी सभी सीमाओं पर अप्रैल, 2020 की यथास्थिति कब बहाल होगी? चाहे देपसांग हो, गोगरा हॉट स्प्रिंग हो या डीओबी सेक्टर, चाहे वह अरुणाचल प्रदेश हो, हमें जवाब चाहिए, हमें डेडलाइन चाहिए, हमें तारीखों की जरूरत है और दुनिया को गुमराह करने के लिए हमें माफी की जरूरत है कि चीन ने हमारे क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया है.'

पवन खेड़ा ने कहा, 'जून, 2020 में अरुणाचल प्रदेश (पूर्व) से भाजपा के सांसद तापीर गाओ ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री को पत्र लिखा था. उन्होंने इस मुद्दे को संसद में भी उठाया, सरकार को चेतावनी देते हुए पूरे देश को चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्र में किए गए अतिक्रमणों के बारे में चेतावनी देता रहा. उन्होंने एक स्पष्टीकरण जारी कर इस तरह के किसी भी उल्लंघन से इनकार किया था.'

कांग्रेस ने कहा, 'प्रधानमंत्री द्वारा चीन को क्लीनचिट दिए 17 महीने हो चुके हैं. वह क्लीनचिट हमारे इतिहास का एक काला अध्याय है, क्योंकि चीन इस क्लीनचिट का इस्तेमाल दुनियाभर में कर रहा है, क्योंकि वह क्लीनचिट भारत के प्रधानमंत्री के अलावा किसी और ने नहीं दी है, जिनके क्षेत्र में चीन द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है। इस क्लीनचिट से चीन का हौसला बढ़ा है.'
पवन खेड़ा ने कहा, 'न केवल अरुणाचल प्रदेश में, न केवल लद्दाख में, न केवल गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स में, न केवल देपसांग में, बल्कि उत्तराखंड में भी, जैसा कि हमने पिछले महीने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चर्चा की थी, पीएलए ने प्रवेश किया, हमारे बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया और चला गया.'

(इनपुट- आईएएनएस)

Last Updated : Nov 7, 2021, 12:19 PM IST
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