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Supreme Court News : 'वॉइड' या 'वॉइडेबल' विवाहों से हुए बच्चे वैध, माता-पिता की संपत्तियों पर कर सकते हैं दावा: SC

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 1, 2023, 4:41 PM IST

Updated : Sep 1, 2023, 5:07 PM IST

अमान्य या अमान्य करने योग्य विवाहों से पैदा हुए बच्चे कानून की नजर में वैध हैं और वे हिंदू उत्तराधिकार कानून के अंतर्गत माता-पिता की संपत्तियों पर दावा कर सकते हैं. उक्त बातें सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने एक फैसले में कही.

(Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को कहा कि 'अमान्य' (वॉइड) या 'अमान्य करने योग्य' (वॉइडेबल) विवाहों से उत्पन्न बच्चे कानूनी की दृष्टि में वैध होते हैं और वे हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत माता-पिता की संपत्तियों पर दावा कर सकते हैं. हिंदू उत्तराधिकार कानून के अनुसार 'अमान्य' विवाह में पुरुष एवं स्त्री को पति और पत्नी का दर्जा नहीं मिलता है. हालांकि, अमान्य करने योग्य विवाह’ में उन्हें पति और पत्नी का दर्जा मिलता है.

'अमान्य' (वॉइड) विवाह को निरस्त करने के लिए डिक्री (आदेश) की जरूरत नहीं होती है. जिस विवाह को किसी एक पक्ष के अनुरोध पर रद्द किया जा सकता है, उसे 'अमान्य करने योग्य विवाह' कहते हैं. शीर्ष अदालत ने 2011 की एक याचिका पर फैसला सुनाया, जो इस कानूनी मुद्दे से संबंधित है कि क्या बिना विवाह के हुए बच्चे हिंदू कानून के तहत अपने माता-पिता की पैतृक संपत्ति में हिस्सा प्राप्त करने के अधिकारी होते हैं या नहीं.

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक फैसले में कहा, 'हमने अब निष्कर्ष तैयार कर लिया है, प्रथम- अमान्य विवाह से पैदा बच्चे को सांविधिक वैधता प्रदान की जाती है और दूसरा- हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 16(2) के संदर्भ में, अमान्य करने योग्य विवाह के निरस्त किये जाने से पहले पैदा हुआ बच्चा वैध होता है.' न्यायालय ने कहा, 'इसी तरह से बेटियों को समान अधिकार दिए गए हैं.'

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(पीटीआई-भाषा)

Last Updated :Sep 1, 2023, 5:07 PM IST
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