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Chhattisgarh Assembly Election 2023: बीजेपी और कांग्रेस के पांडवों के बारे में जानिए, जिनके कंधों पर है छत्तीसगढ़ के रण की कमान !

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Published : Aug 1, 2023, 10:43 PM IST

Updated : Aug 11, 2023, 6:22 PM IST

Chhattisgarh Assembly Election 2023
बीजेपी और कांग्रेस के पांडवों के बारे में जानिए

Chhattisgarh Assembly Election 2023 विधानसभा चुनाव 2023 की बिसात बिछनी शुरू हो गई है. सत्तारुढ़ दल कांग्रेस सत्ता बचाने की कवायद में जुट चुकी है तो वहीं बीजेपी सत्ता में वापसी के लिए सियासी रणनीति तैयार कर रही है. कांग्रेस की तरफ से सीएम भूपेश बघेल, डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव, विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत, पीसीसी चीफ दीपक बैज और गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू पर बड़ी जिम्मेदारी है. दूसरी तरफ बीजेपी ने पूर्व सीएम रमन सिंह, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, बीजेपी सांसद सरोज पांडेय और बीजेपी नेता लता उसेंडी को अहम दायित्व सौंपा है. Pandav Of Congress And Pandav of BJP In CG

छत्तीसगढ़ के रण की कमान पर महाभारत

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के सियासी रण को साधने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. कई तरह की चुनावी कमेटियों में कांग्रेस की तरफ से जिन नेताओं को अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं. उनमें कांग्रेस के पांच पांडव और बीजेपी के पांच पांडव है. इनके कंधों पर छत्तीसगढ़ के सियासी महाभारत को जीतने की जिम्मेदारी होगी.

कांग्रेस के पांच पांडवों के बारे में जानिए !

  1. भूपेश बघेल, सीएम
  2. टीएस सिंहदेव, डिप्टी सीएम
  3. चरणदास महंत, विधानसभा अध्यक्ष
  4. ताम्रध्वज साहू, गृहमंत्री
  5. दीपक बैज, छत्तीसगढ़ पीसीसी चीफ
बीजेपी और कांग्रेस के पांडवों के बारे में जानिए

बीजेपी के पांच पांडवों पर एक नजर !

  1. रमन सिंह, पूर्व सीएम और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
  2. अरुण साव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष
  3. नारायण चंदेल, नेता प्रतिपक्ष
  4. सरोज पांडे, राज्यसभा सांसद और भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
  5. लता उसेंडी, बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं की जिम्मेदारी पर राजनीतिक एक्सपर्ट की राय: चुनावी बिसात में दोनों ही पार्टियों के पांडवों की क्या भूमिका होगी. इस पर ईटीवी भारत ने राजनीति के जानकार से बात की है. राजनैतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे ने बताया कि" कांग्रेस की तरफ से बीजेपी के नेताओं को कौरव बताया जा रहा है. दूसरी ओर बीजेपी कांग्रेसी नेताओं को झूठों का सरदार बता रहे हैं"

सीएम भूपेश बघेल कांग्रेस का बड़ा चेहरा हैं. खुद को नेशनल लीडर्स की तरह विकसित किया है. टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाकर पार्टी ने यह संदेश दिया है कि उन्हें कांग्रेस गंभीरता से ले रही है. विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस में सबसे सीनियर लीडर्स में शामिल चरणदास महंत की बातों को आलाकमान सुनता है. उनकी सलाह काफी मायने रखती है. ताम्रध्वज साहू ओबीसी वर्ग से आते हैं. अभी वह गृहमंत्री हैं. दीपक बैज युवा आदिवासी नेता हैं. बस्तर में अच्छी पकड़ है. -अनिरुद्ध दुबे, वरिष्ठ पत्रकार

बीजेपी में बड़े पांच चेहरों पर जब वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे से ईटीवी भारत ने बात की तो जानिए उन्होंने क्या कहा ?

दिल्ली के बड़े नेताओं की पसंद में डॉक्टर रमन सिंह सबसे आगे हैं. वह पूर्व सीएम रह चुके हैं. भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव की भाजपा में एक अहम भूमिका है. वह मुखर नेता हैं. नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल तीन बार के विधायक हैं. विधानसभा में अपनी बात रखने के लिए जाने जाते हैं. सरोज पांडेय के पास लंबा राजनीतिक अनुभव है. दुर्ग से दो बार महापौर रहीं फिर विधायक और उसके बाद सांसद बनीं. अब उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है. लता उसेंडी को भी बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है. वह बस्तर से आती हैं. पूर्व सरकार में वह महिला एवं बाल विकास मंत्री भी रहीं हैं. वह जमीनी स्तर पर काम करती हैं. -अनिरुद्ध दुबे, वरिष्ठ पत्रकार

बीजेपी के पांडव हैं काठ की मूर्ति: बीजेपी के पांच पांडवों पर ईटीवी भारत ने कांग्रेस से प्रतिक्रिया ली तो कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने इन सभी पांचों नेताओं को नाकाबिल करार दे दिया. रमन सिंह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. लेकिन आज तक उनको किसी राज्य की कोई बड़ी जवाबदारी नहीं दी गई.

भारत के पॉलिटिकल इतिहास में डॉ रमन सिंह ऐसे नेता होंगे, जिन्हें लंबे समय तक पदाधिकारी रहने के बावजूद किसी राज्य या किसी चुनाव का प्रभारी नहीं बनाया गया. अरुण साव प्रदेश अध्यक्ष हैं लेकिन राज्य के छोटे छोटे फैसले अमित शाह ले रहे हैं. नारायण चंदेल की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. भाजपा के पांच पांडव काठ की मूर्ति हैं. भाजपा को खुद पता है कि यह घिसे पिटे चेहरे हैं, जो चलने वाले नहीं हैं. बघेल के कद के सामने यह बहुत ज्यादा बौने हैं. -सुशील आनंद शुक्ला, अध्यक्ष, कांग्रेस मीडिया विभाग

"हमारे पास हैं पांडव, भाजपा में है कौरव सेना": वहीं कांग्रेस के पांडव को लेकर सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि "बघेल के 5 साल के काम और उनकी उपलब्धियों का बीजेपी के पास कोई काट नहीं है.दीपक बैज प्रदेश के युवा अध्यक्ष हैं. टीएस सिंहदेव उपमुख्यमंत्री हैं. कांग्रेस के पास चरणदास महंत, ताम्रध्वज और हमारे मंत्रियों का अनुभव है. निश्चित तौर पर हमारे लोग पूरी तरीके से जनता के बीच अपनी विश्वसनीयता हासिल कर रहे हैं. हमारे नेतृत्व को भी पता है अपने दम पर यहां का नेतृत्व यहां फिर से सरकार बना रहा है. पांडव एक तरफ ही हो सकते हैं. धर्म युद्ध में उधर पूरे कौरव हैं. पांडव इधर हैं. पांडव दोनों तरफ नहीं हो सकते. पांडव-पांडव के बीच युद्ध नहीं होता है.पांडव हमारे पास है. वह कौरवों की सेना है."

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"कांग्रेस के पांडव हैं झूठों के सरदार": कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी के प्रवक्ता ने कांग्रेस पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. बीजेपी प्रवक्ता अमित साहू का कहना है कि" कांग्रेस में पांडव हो ही नहीं सकते. ये झूठों के सरदार हैं

कांग्रेस के पांडव झूठों के सरदार हैं. ये वो पांच लोग हैं. जो फिर से पांच जगहों पर पांच दिशा में झूठ बोलने के लिए निकलेंगे. लेकिन इस झूठ को छत्तीसगढ़ की जनता स्वीकार करने वाली नहीं है. क्योंकि साल 2018 मे इन्होंने झूठ बोला था. हमारी सरकार आएगी तो हम ये और वो करेंगे. हमारी सरकार बनी तो हम सारे कर्मचारियों को नियमित करेंगे. लेकिन इन्होंने युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों के साथ खिलवाड़ किया. -अमित शाहू, प्रवक्ता, बीजेपी

छत्तीसगढ़ की जनता कांग्रेस के बहकावे में नहीं आने वाली: बीजेपी के प्रवक्ता ने कहा कि" छत्तीसगढ़ की जनता अब इन पांचों के बहकावे में नहीं आने वाली है. क्योंकि ये झूठ बोलने में माहिर हैं. इनसे भाजपा का छोटा-छोटा सिपाही निपटेगा. क्योंकि आज भाजपा के कार्यकर्ता हर कर्मचारी संगठनों की आवाज बन उनकी आवाज को बुलंद कर रहे हैं. एक-एक बातों को लेकर लड़ाई कर रहे हैं, उनके झूठ को जनता के बीच में लाने का काम कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ की जनता ने कांग्रेस को तीन चौथाई से ज्यादा बहुमत दिया. 71 सीटें दीं. लेकिन ये लोग छत्तीसगढ़ की जनता पर खरे नहीं उतरे."

अब देखना होगा कि कांग्रेस की तरफ से ये पांच लीडर्स और बीजेपी की तरफ से ये पांच नेता कैसे अपनी टीम को लीड करते हैं. जिसके बल पर साल 2023 के सियासी महाभारत में कौन विजयी होता है. ?

Last Updated :Aug 11, 2023, 6:22 PM IST
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