ETV Bharat / bharat

मध्य प्रदेश : 'हीरे' की तलाश में लुप्त हो जाएगी हरियाली, बढ़ा विरोध

author img

By

Published : Jun 15, 2021, 12:11 AM IST

Chhatarpur:
Chhatarpur:

एमपी के बक्सवाहा के जंगलों में टिंबरलाइट चट्टानों से हीरा मिलेगा. इसी हीरे की खोज के लिए लगभग 383 एकड़ हरे भरे जंगल को काटा जाएगा. हरे भरे पेड़ों की बलि ली जाएगी. इसके बाद मिलेंगे 3.42 करोड़ के हीरे. सरकार एक कंपनी को हीरा उत्खनन करने के लिए 50 साल की लिए जंगल की जमीन लीज पर देने जा रही है. रिपोर्ट

छतरपुर : मध्य प्रदेश में हीरों के लिए हरियाली को हलाल करने की तैयारी है. छतरपुर के बक्सवाहा के जंगलों में टिंबरलाइट चट्टानों से हीरा मिलेगा. इसी हीरे की खोज के लिए लगभग 383 एकड़ हरे भरे जंगल को काटा जाएगा. हरे भरे पेड़ों की बलि ली जाएगी. इसके बाद मिलेंगे 3.42 करोड़ के हीरे.

सरकार एक कंपनी को हीरा उत्खनन करने के लिए 50 साल की लिए जंगल की जमीन लीज पर दे रही है लेकिन बक्सबाहा के लोग पर्यावरण प्रेमी, समाजसेवी, सेलेब्रिटी भी इस प्राकृतिक जंगल को कटने से बचाने के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ रहे हैं. हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है. इसके अलावा हजारों परिवारों के भरण पोषण की व्यवस्था करने वाले जगंल को कटने से बचाने के लिए स्थानीय लोग जान देने तक को तैयार हैं.

बढ़ रहा है विरोध

हीरे के तलाश के लिए बक्सबाहा के जंगलों को काटने को लेकर विरोध लगातार बढ़ता जा रहा है. मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे भारत से पर्यावरण प्रेमी बक्सवाहा के जंगलों को काटे जाने का विरोध कर रहे हैं. बक्सवाहा जंगल बचाओ अभियान में कई प्रसिद्ध समाजसेवी और कई सेलिब्रिटी भी मैदान में उतर आए हैं.

इसके अलावा कई एनजीओ और पर्यावरण प्रेमी इन जंगलों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन शुरू करने का भी मन बना चुके हैं. वहीं स्थानीय लोग भी जंगल काटे जाने के विरोध में हैं उनका कहना है कि जंगल न रहने से पहले से सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड के इस इलाके में पानी की भीषण समस्या पैदा हो जाएगी साथ ही हजारों लोग जिनका जंगल की लकड़ी, फूल फल से जीवन चलता है वे बेरोजगार हो जाएंगे.

बक्सवाहा में तेज हुआ जंगल काटने का विरोध

काटे जाने हैं 3 लाख से ज्यादा पेड़

बक्सवाहा के जंगल से हीरा निकालने के लिए लगभग 382.131 हेक्टेयर जंगल काटा जाएगा. जिसमें 2 लाख से ज्यादा पेड़ों को काटा जाएगा. इन पेड़ों में लगभग 50 हजार पेड़ सागौन के, इसके अलावा केम,पीपल,तेंदू,जामुन,बहेड़ा,अर्जुन, एवं पलाश जैसे औषधीय गुण वाले पेड़ भी शामिल हैं. इसके अलावा लाखों की तादाद में दूसरे छोटे-बड़े पेड भी काटे जाएंगे.

छतरपुर के बक्सवाहा के जंगलों में देश का सबसे बड़ा हीरा भंडार मिलना बताया जा रहा है. एक अनुमान के मुताबिक यहां प्रदेश के ही जानमाने हीरा भंडार पन्ना के मुकाबले 15 गुना ज्यादा हीरे मिलेंगे. यहां मिलने वाले हीरे की क्वालिटी पन्ना में मिलने वाले हीरे से बेहतर बताई जा रही है. हीरा खुदाई का काम एक निजी कंपनी को दिया जा रहा है. 50 साल के लिए इस जंगल को लीज पर दिया जा रहा है. जंगल में 62.64 हेक्टेयर क्षेत्र को हीरा निकालने के लिए चिन्हित किया गया है.

  • बक्सवाहा में डायमंड प्रोजेक्ट को लेकर लगभग 20 साल पहले सर्वे किया गया था.
  • 2 साल पहले डायमंड खुदाई के लिए राज्य सरकार ने नीलामी बोली लगवाई थी.
  • नीलामी में आदित्य बिरला ग्रुप ने सबसे ज्यादा बोली लगाई थी.
  • अब जंगल लीज पर दिए जाने के बाद कंपनी यहां मिलने वाली टिंबरलाइट की चट्टानों से हीरा निकालेगी.
  • इप प्रोजेक्ट पर आदित्य बिड़ला ग्रुप 2500 करोड रुपए खर्च करेगा.
  • इससे पहले ऑस्ट्रेलियाई कंपनी रियो टिंटो यहां खनन का काम करती थी, लेकिन साल 2017 में रियो टिंटो ने यहां पर काम करने से इंकार कर दिया था

कहां गए 2017 में मौजूद जानवर या रिपोर्ट ही बदल दी ?
मई 2017 में जियोलॉजी एंड माइनिंग डिपार्टमेंट मध्य प्रदेश और रियो टिंटो कंपनी की रिपोर्ट में बक्सवाहा के जंगल में तेंदुआ, बाघ, भालू ,बारहसिंघा, हिरण ,खरगोश, मोर सहित कई दूसरे जंगली जानवरो की मौजूदगी दिखाई गई थी. लेकिन अब वन विभाग की नई रिपोर्ट में बताया गया है कि जंगल में कोई भी जंगली जानवर मौजूद नही है.

इससे साफ पता चलता है कि हीरा खनन के अनुमति देने के लिए रिपोर्ट में बदवाल किया गया है. इसके अलावा जंगल में कितने पेड़ काटे जाने से इसे लेकर भी कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिए गए हैं. अधिकारी बताते हैं कि जब तक इस मामले में केंद्र सरकार की तरफ से हरी झंडी नहीं मिल जाती तबतक स्थिति साफ नहीं हो पाएगी.

हालांकि नियमों के मुताबिक प्रोजेक्ट में जितने पेड़ काटे जाएंगे उतने ही पेड़ राजस्व की जमीन पर लगाने जाने का भी प्रस्ताव दिया जाएगा. सरकारी प्रस्ताव चाहे जो हो,लेकिन कई जंगली जानवरों का घर रहा यह जंगल अगर कट जाएगा तो वन्यजीव ही नहीं इंसान का जीवन भी संकट में आ जाएगा.

बक्सवाहा के जंगलों के आस पास लगभग 25 गांव हैं, इनमें रहने वाले आदिवासी और गांवों के लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए इन्हीं जंगलों पर निर्भर हैं. जंगलों में मिलने वाली जड़ी बूटियां और फल, फूल को बेचकर उनके परिवार का भरण पोषण होता है. यही वजह है कि पर्यावरण प्रेमी जंगल को बचाने के लिए हर संभव प्रयास में जुड़े हैं.

NGT ने मांगा जवाब

  • National Green Tribunal में छतरपुर जिले के Buxwaha Forest में हीरा खनन को लेकर जबलपुर के दो सामाजिक कार्यकर्ताओं ने याचिका दायर की है.
  • याचिका में कहा गया है कि बकस्वाहा जंगल में हीरा खदान के लिए खनन करने वाली कंपनी के पास किसी भी तरह की सरकारी पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं है.
  • इसके बावजूद यदि यह कंपनी यहां पर खनन करती है तो पर्यावरण को बहुत नुकसान होगा.
  • इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने निजी कंपनी XL Mining से जवाब भी मांगा है.
  • NGT ने कंपनी को जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिन का समय दिया है.

यह भी पढ़ें-कैबिनेट विस्तार की सुगबुगाहट, सिंधिया-अनुप्रिया हो सकते हैं शामिल, और भी हैं कई चेहरे

राजस्व से है रिश्ता!

बीते साल पन्ना में मिले हीरों की नीलामी से सरकार को मध्यप्रदेश सरकार को लगभग 12 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था. इस दौरान

  • पन्‍ना के हीरों की नीलामी में 142 नग हीरे बिके थे.
  • इस नीलामी में 255 नग हीरे रखे गए थे जिनका वजन 253.06 कैरेट था.
  • 15 से 17 मार्च तक चली इस नीलामी में कुल 142 नग हीरे जिनका वजन 148.85 कैरेट था बेचे गए थे.
  • जिससे 1 करोड 54 हजार 202 रूपये की राशि प्राप्त हुई थी.
  • इस राशि में से शासन को 11 लाख 56 हजार 233 रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ था.
  • एक अनुमान के मुताबिक बक्सवाहा के जंगलों में पन्ना के मुकाबले 15 गुना ज्यादा हीरे मिलने की संभावना जताई गई है.
  • बताया जा रहा है कि बक्सवाहा के जंगलों में टिंबरलाइट चट्टानों से मिलने वाले हीरे की क्वालिटी पन्ना में मिलने वाले हीरे से बेहतर होगी. जिससे प्रदेश सरकार को अच्छा राजस्व हासिल होगा.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.