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Navratri 2023 : चौथे दिन इस चीज की बलि देने से मिलेगा सुख-आरोग्य का आशीर्वाद

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Published : Mar 24, 2023, 5:07 PM IST

Updated : Mar 25, 2023, 8:36 AM IST

नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा करने का विधान है.माना जाता है कि Mata Kushmanda ने ब्रह्मांड का निर्माण किया था. Ma Kushmanda का स्वभाव अत्यंत कोमल है. इसलिए यदि कोई भक्त सच्चे मन से उनका भक्त बन जाता है, तो वह सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर लेता है. तो आइए जानते हैं नवरात्रि के चौथे दिन Devi Kushmanda का महत्व, पूजा विधि और कथा. Navratri 2023 . Ma Kushmanda worship method . Navratri day four puja .

Ma kushmanda worship method Chaitra Navratri 2023 day four
देवी कुष्मांडा

नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है. मान्यता है कि कुष्मांडा माता ने अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की. इसीलिए उन्हें सृष्टि की मूल शक्ति के रूप में जाना जाता है. कुष्मांडा देवी का स्वरूप अत्यंत शांत, सौम्य और आकर्षक माना जाता है. उनकी आठ भुजाएं हैं. इसलिए इन्हें अष्टभुजी भी कहते हैं. देवी कुष्मांडा के हाथों में धनुष, बाण, कमंडल , कमल-पुष्प, अमृत से भरा घड़ा, चक्र, गदा और जप की माला है. वह सभी सिद्धियों को देने वाली हैं. Navratri 2023 . Mata Kushmanda worship method .

देवी कुष्मांडा का वाहन सिंह है. मां की पूजा करने से भक्त के सभी कष्टों का नाश होता है. देवी कुष्मांडा को कुष्मांड ( कद्दू या Pumpkin या कुम्हड़ा ) अत्यंत प्रिय है इसलिए उन्हें इस नाम से पुकारा जाता है. देवी कुष्मांडा की सच्चे मन से पूजा-आराधना करने वाले भक्तों के सभी रोग और दुख दूर हो जाते हैं. Ma Kushmanda की उपासना से यश,बल,आयु-आरोग्य की वृद्धि होती है. माता का स्वभाव अत्यंत कोमल है. तो कोई भी भक्त जो सच्चे मन से उनका भक्त बन जाता है उसे लोक-परलोक में सर्वोच्च दर्जा (Ma Kushmanda worship) प्राप्त होता है.

Ma kushmanda worship method Chaitra Navratri 2023 day four
देवी कुष्मांडा

देवी कुष्मांडा की पूजा से सभी रोग-दुखों का नाश
नवरात्रि की चतुर्थी को कुष्मांडा देवी की पूजा करने का विधान है. इनकी पूजा करने से सभी रोग और कष्ट दूर होते हैं, सिद्धि प्राप्त होती है और आयु और यश की वृद्धि होती है. सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनकर धूप, चंदन, अक्षत, लाल फूल, गुलाब का फूल, सफेद कद्दू (कुम्हड़ा) फल, सूखे मेवे, नैवेद्य और शुभ वस्तुएं अर्पितकर मां कुष्मांडा का स्मरण करें. हरे रंग के वस्त्र पहनकर मां की पूजा करना अधिक शुभ माना जाता है.इससे भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं.

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देवी कुष्मांडा

माता कुष्मांडा कद्दू की सात्विक बलि ( Sacrifice of pumpkin ) से अत्यंत प्रसन्न होती हैं. इसके बाद माता को कुष्मांडा दही व हलवे का भोग लगाएं. मां कुष्मांडा को मालपुए बहुत प्रिय हैं और हो सके तो उन्हें मालपुए का भोग लगाएं. फिर आप इसे प्रसाद के रूप में भी ग्रहण कर सकते हैं. इसके बाद Mata Kushmanda के मुख्य मंत्र- ॐ कुष्मांडा देव्यै नम: ( Om Kushmanda Devyai Namah ) का 108 बार जाप करें.अंत में मां कुष्मांडा की आरती उतारें और अपनी मनोकामना व्यक्त करें.

कुष्मांडा देवी देवी की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करें.

  1. 1. ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः
  2. 2. या देवी सर्वभूतेषु माँ कुष्मांडा रूपेण संस्थिता...नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

माता कुष्मांडा देवी की कथा
जब यह ब्रह्मांड अंधकार में था तब ऊर्जा के एक छोटे से पिण्ड का जन्म हुआ और यह पिण्ड हर जगह चमकने लगी और फिर पिण्ड ने एक महिला का रूप धारण कर लिया और उन्हें देवी कुष्मांडा ( Kushmanda Devi ) के नाम से जाना जाने लगा. उनकी स्थिति सौर मंडल के आंतरिक द्रव्यमान में है. सूर्य मंडल में रहने की सामर्थ्य और किसी में नहीं है. Navratri 2023 . Mata Kushmanda worship method . Navratri day four puja . Chaitra Navratri 2023 .

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Last Updated : Mar 25, 2023, 8:36 AM IST
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