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केंद्र को तेलंगाना में 40 हजार करोड़ रु की परिसम्पत्ति बेचने की योजना वापस लेनी चाहिए: केटीआर

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Published : Jun 19, 2022, 10:22 PM IST

तेलंगाना उद्योग मंत्री ने कहा है कि केंद्र सरकार, तेलंगाना में विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को आवंटित भूमि सहित परिसंपत्ति बेचने की योजना बना रही है. उन्होंने यह भी कहा है कि केंद्र सरकार की सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने की योजना राज्य सरकार के अधिकारों का मखौल उड़ाने के अलावा और कुछ नहीं है.

Centre withdraw plans to sell assets worth 40000 crore Telangana
केंद्र को तेलंगाना 40 हजार करोड़ परिसम्पत्ति बेचने वापस

हैदराबाद: तेलंगाना के मंत्री के टी रामाराव ने रविवार को दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भातपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार राज्य में विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) को आवंटित भूमि सहित परिसंपत्ति बेचने की योजना बना रही है. रामाराव ने केंद्र से ऐसी योजनाओं को वापस लेने की मांग की. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे एक पत्र में केटीआर ने कहा कि परिसंपत्ति बेचने के बजाय, केंद्र सरकार को सार्वजनिक उपक्रमों को पुनर्जीवित करने और मजबूत करने की संभावनाओं का पता लगाना चाहिए. उन्होंने कहा, 'अगर यह संभव नहीं है तो राज्य सरकार को ऐसी जमीनों पर नई औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने का मौका देना चाहिए.' पत्र में उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार की सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने की योजना राज्य सरकार के अधिकारों का मखौल उड़ाने के अलावा और कुछ नहीं है.

तेलंगाना के उद्योग मंत्री ने कहा कि तमिलनाडु सहित कई राज्य अपने-अपने क्षेत्रों में स्थापित सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने के केंद्र के कदम का कड़ा विरोध कर रहे हैं. विनिवेश की आड़ में सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने के केंद्र सरकार के प्रयासों को लेकर उस पर निशाना साधते हुए केटीआर ने सवाल किया कि मोदी सरकार किन प्रावधानों या अधिकारों के तहत विभिन्न राज्यों में स्थापित सार्वजनिक उपक्रमों की बिक्री पर विचार कर रही है. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मोदी सरकार ने बेरोजगार युवाओं को नौकरी के अवसर नहीं दिए. यदि सार्वजनिक उपक्रमों को फिर से खोल दिया जाता है, तो वे हजारों लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करेंगे और अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लाभान्वित होंगे.

इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि केंद्र सरकार कंपनियों की बिक्री को सुविधाजनक बनाने के लिए निवेश वापस लेने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार अपनी विनिवेश योजनाओं के तहत हिंदुस्तान केबल्स लिमिटेड, हिंदुस्तान फ्लोरोकार्बन लिमिटेड, इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड, एचएमटी, सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (सीसीआई) और तेलंगाना में आयुध कारखानों को बेच रही है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इन छह कंपनियों को लगभग 7,200 एकड़ जमीन आवंटित की थी. केटीआर ने कहा कि इन जमीनों का मूल्य सरकारी दरों के अनुसार लगभग 5,000 करोड़ रुपये होगा. वहीं खुले बाजार की कीमतों के अनुसार यह मूल्य 40,000 करोड़ रुपये से भी अधिक हो सकता है.

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मंत्री ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने इन कंपनियों को मामूली कीमतों पर भूमि आवंटित की थी और कुछ मामलों में, उन्हें मुफ्त में देने की पेशकश की गई थी, क्योंकि इन इकाइयों की स्थापना से स्थानीय लोगों को रोजगार तो मिलता ही था, साथ ही औद्योगिक विकास की सुविधा भी होती थी. उन्होंने कहा कि जब तेलंगाना सरकार ने केंद्र सरकार से हैदराबाद में परिवहन में सुधार के लिए स्काईवे के निर्माण के लिए भूमि आवंटित करने का आग्रह किया, तो केंद्र ने बाजार मूल्य के अनुसार मुआवजे की मांग की. मंत्री ने सवाल किया, 'इस संदर्भ में केंद्र सरकार राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की स्थापना के लिए आवंटित की गई जमीन को कैसे बेच सकती है.' केटीआर ने कहा, 'मैं केंद्र सरकार से इन योजनाओं पर पुनर्विचार करने की अपील करता हूं और ऐसा नहीं करने पर तेलंगाना सरकार इस कदम को मजबूती से बाधित करेगी.'

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