BSF नियंत्रण रेखा पर अपने अग्रिम सुरक्षा स्थलों पर स्टील के ढांचे स्थापित करेगा

author img

By

Published : Nov 21, 2021, 9:28 PM IST

BSF

बीएसएफ नियंत्रण रेखा से सटे अपने स्थानों पर स्टील के ढांचे स्थापित करेगा. अर्धसैनिक बल ने पाकिस्तान के साथ लगती ऊंचाई वाली इस संवेदनशील सीमा पर सुरक्षा को मजबूत करने और जवानों को रहने की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए एक प्रमुख परियोजना शुरू की है.

नई दिल्ली : सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) नियंत्रण रेखा से सटे अपने स्थानों पर स्टील के ढांचे स्थापित करेगा. अर्धसैनिक बल ने पाकिस्तान के साथ लगती ऊंचाई वाली इस संवेदनशील सीमा पर सुरक्षा को मजबूत करने और जवानों को रहने की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए एक प्रमुख परियोजना शुरू की है.

बीएसएफ के जवान जम्मू कश्मीर में पड़ने वाली कुल 772 किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा के 430 किलोमीटर के हिस्से की या तो खुद या सेना के साथ मिलकर रखवाली करते हैं.

अर्धसैनिक बल के अग्रिम सुरक्षा स्थल (एफडीएल) नियंत्रण रेखा पर बेहद बर्फीले स्थानों या घने जंगलों में स्थित हैं और ये भारत की घुसपैठ रोधी ग्रिड का हिस्सा हैं. इस ग्रिड का काम गैर-सीमांकित सीमा से होने वाली आतंकी घुसपैठ को नाकाम करना है.

करीब आठ हजार से 16 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित इन स्थानों पर जवान फिलहाल लोहे की चादर से बने ढांचों में रहते हैं और वहां उनका राशन तथा हथियार भी होते हैं जहां उन्हें हाड़ जमा देने वाली ठंड का सामना करना पड़ता है.

सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े आधिकारिक सूत्रों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि बीएसएफ अपने करीब 115 एलडीएल को स्टील (लौह और कार्बन मिश्रित धातु) के ढांचों में तब्दील करेगा जिसपर करीब 35 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.

बीएसएफ के महानिदेशक पंकज कुमार सिंह ने कश्मीर में हाल में एफडीएल का दौरा किया था और अभियानगत तैयारियों की समीक्षा की थी जिसके बाद यह फैसला लिया गया. उन्होंने जवानों के साथ बातचीत की थी और बाद में कश्मीर मोर्चे के अधिकारियों को संबंधित एफडीएल को स्टील में बदलने के लिए कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया था ताकि काम जल्द शुरू किया जा सके.

अधिकारियों ने बताया कि महानिदेशक ने बाद में दिल्ली में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की ताकि इन एफडीएल के लिए सौर ऊर्जा परियोजनाओं को मंजूरी दिलाई जा सके जिन्हें सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति मिल गई है.

उन्होंने कहा कि बीएसएफ के जवान इन स्थानों पर खाना पकाने समेत सभी गतिविधियों के लिए मिट्टी के तेल और डीजल का इस्तेमाल करते हैं.

इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ' रहने के लिए स्टील के नए ढांचे निविदा प्रक्रिया के बाद खरीदे जाएंगे. मौजूदा अवसंरचना को स्टील के ढांचों से बदला जाएगा क्योंकि ये मजबूत होते हैं और इनमें तापमान के शून्य से नीचे जाने पर दरारें भी नहीं पड़ती हैं.'

यह भी पढ़ें- आंध्र प्रदेश में अन्नमाया परियोजना राजमपेट विधानसभा क्षेत्र के कई गांवों के लिए शोक साबित हुई

उन्होंने कहा, 'स्नानग्रह, शौचालय, रसोई और रहने के स्थान को स्टील से बनाया जाएगा तथा इन्हें 115 एफडीएल पर स्थापित किया जाएगा.' अधिकारी ने कहा कि पहले चरण की कामयाबी के बाद और स्थानों को भी इसमें शामिल किया जाएगा.

वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निर्णय को मंजूरी दे दी है, जबकि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से स्थापित किए जाने वाले सौर ऊर्जा पैनल पारिस्थितिकी रूप से नाजुक ऊंचाई वाले इन क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण को कम करने में मदद करेंगे.

कश्मीर में घुसपैठ रोधी ग्रिड में तैनात एक अधिकारी ने कहा कि इससे बीएसएफ के जवानों को मौजूदा समय की तुलना में बेहतर सुविधाएं मिलेंगी. उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि इन एफडीएल में रहना और सीमाओं की सुरक्षा करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि सबसे बड़ा दुश्मन मौसम है और इन सभी परेशानियों का कोई ठोस हल नहीं है.

(पीटीआई भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.