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BNS Bill 2023 : पहचान छिपाकर शादी करने, झूठा वादा कर शारीरिक संबंध बनाने पर होगी कड़ी सजा

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Published : Aug 12, 2023, 10:44 PM IST

भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक 2023 के तहत महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों के लिए और भी सख्त सजा का प्रावधान किया गया है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सुमित सक्सेना की रिपोर्ट.

bns bill 2023
भारतीय न्याय संहिता

नई दिल्ली : संसद में पेश किया गया नया विधेयक, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita Bill) महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर सरकार का कड़ा रुख है. चाहे पहचान छिपाकर किसी महिला से शादी करना हो, प्रमोशन और नौकरी दिलाने के झूठे वादे के तहत शारीरिक संबंध बनाना हो, गैंगरेप, नाबालिगों से रेप यहां तक कि पीछा करना और ताक-झांक करने पर भी इस कानून के तहत सख्त सजा का प्रावधान किया गया है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 1860 के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) को बदलने के लिए लोकसभा में बीएनएस विधेयक पेश किया. शाह ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित प्रावधानों पर विशेष ध्यान दिया गया है.

सोलह वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ दुष्कर्म के अपराध के लिए कठोर कारावास की सज़ा दी जाएगी, जिसकी अवधि 20 वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन उसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, जिसका अर्थ है वह जबतक जीवित रहेगा उसे सजा भुगतनी होगी और जुर्माना भी देना होगा.

10 साल तक की सजा : नए विधेयक की अब एक स्थायी समिति द्वारा जांच की जाएगी. इस विधेयक के तहत पहचान छिपाकर किसी महिला से शादी करने या शादी, पदोन्नति और रोजगार के झूठे वादे के तहत शारीरिक संबंध बनाने पर 10 साल की सजा का भी प्रस्ताव है. इन अपराधों को पहली बार शामिल किया गया है.

अदालतों ने ऐसे मामलों से निपटा है - जिनमें महिलाएं शादी के वादे के उल्लंघन के आधार पर दुष्कर्म का दावा कर रही हैं - लेकिन आईपीसी में इसके लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है.

बिल में कहा गया है कि 'जो कोई, धोखे से या बिना किसी इरादे के किसी महिला से शादी करने का वादा करता है और उसके साथ यौन संबंध बनाता है, ऐसा यौन संबंध दुष्कर्म के अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, उसे कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक बढ़ सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.'

इसे विस्तार से बताते हुए कहा गया है कि 'धोखाधड़ी वाले तरीकों' में रोजगार या पदोन्नति का झूठा वादा, प्रलोभन देना या पहचान छिपाकर शादी करना शामिल होगा. 12 वर्ष से कम उम्र की लड़की से दुष्कर्म के अपराध में भी कठोर कारावास की सजा होगी, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम नहीं होगी, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष जीवन के लिए कारावास होगा.

विधेयक के अनुसार, यदि किसी महिला की दुष्कर्म के बाद मृत्यु हो जाती है या इसके कारण महिला लगातार मानसिक स्थिति में रहती है, तो दोषी को कठोर कारावास की सजा दी जाएगी, जिसकी अवधि 20 वर्ष से कम नहीं होगी. उसे आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक बढ़ाया जा सकता है.

यदि कोई पुलिस अधिकारी या लोक सेवक या सशस्त्र बलों का सदस्य दुष्कर्म करता है, तो उसे 10 साल के कठोर कारावास से दंडित किया जा सकता है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है.

गैंगरेप के मामले में : विधेयक में कहा गया है कि गैंगरेप के मामले में, उन सभी व्यक्तियों को जिन्होंने दुष्कर्म का अपराध किया है कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि बीस वर्ष से कम नहीं होगी. सजा को आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, यानि जीवित रहने तक सजा काटनी होगी.

ताक-झांक व पीछा करने पर : इस मामले में विधेयक कहता है, 'जो कोई किसी महिला को किसी निजी कार्य में संलग्न होते हुए देखता है, या उसकी फोटो कैप्चर करता है और वायरल करता है, उसे दंडित किया जाएगा. प्रथम दोषसिद्धि पर किसी भी अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है जो एक वर्ष से कम नहीं होगी, लेकिन जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है.

वहीं, पीछा करने के मामले में आरोपी को तीन साल की सजा हो सकती है. बिल में कहा गया है कि 'जो कोई भी पीछा करने का अपराध करेगा, उसे पहली बार दोषी ठहराए जाने पर किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी, जिसे तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है, और जुर्माना भी लगाया जा सकता है. दूसरी अपराध करने पर किसी भी अवधि के लिए कारावास की सजा हो सकती है, जिसे पांच साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.'

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