ETV Bharat / bharat

हरियाणा : 'हाथ' को मजबूत करने वालों ने खिलाया था 'कमल', आज 'मुरझाए'

author img

By

Published : Oct 11, 2021, 10:00 PM IST

haryana
haryana

क्या बीजेपी साल 2014 में पार्टी में आए कांग्रेस नेताओं को दरकिनार कर रही है? क्या हरियाणा में बीजेपी अपनी रणनीति में बदलाव ला रही है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि वर्तमान में पार्टी ने जो राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित की है उसमें कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए दिग्गज नेताओं का नाम गायब है.

चंडीगढ़ : बीजेपी ने अपनी नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी (BJP National Executive) में हरियाणा को लेकर खास बदलाव किया है. फरीदाबाद से सांसद कृष्ण पाल गुर्जर (Krishna Pal Gurjar MP) राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह बनाने में कामयाब रहे हैं, लेकिन कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए बीरेंद्र सिंह (BJP Sideline Birender Singh) को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में स्थान नहीं दिया गया है. ऐसे ही कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए राव इंदरजीत सिंह (BJP Sideline Rao Inderjit) को भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में दरकिनार किया गया है. दरअसल राव इंद्रजीत गाहे-बगाहे प्रदेश में पार्टी से अलग ही सुर अलाप्ते नजर आते हैं.

फरीदाबाद से सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर को दूसरी बार बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह मिली है.
फरीदाबाद से सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर को दूसरी बार बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह मिली है.

वहीं बीरेंद्र सिंह भी किसानों के समर्थन में कई बार बीजेपी सरकार पर सवाल उठा चुके हैं. इसके अलावा वो ताऊ देवीलाल की जयंती कार्यक्रम में इनेलो (Indian National Lok Dal) और तीसरे मोर्चे के साथ दिखाई दिए थे. शायद यही वजह है कि दोनों दिग्गज नेताओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है. जहां तक बात चौधरी बीरेंद्र सिंह की है पार्टी को अब लगने लगा है कि वो उनके किसी काम के नहीं हैं, क्योंकि वो लगातार अपने बयानों से बीजेपी पर हमला करते रहे हैं. जिसका पार्टी को नुकसान भी हो सकता है. चौधरी बीरेंद्र सिंह किसानों के साथ तीन कृषि कानूनों पर कंधे से कंधा मिलाकर खड़े दिखाई देते हैं. जो पार्टी की खिलाफत नजर आती है.

चौधरी बीरेंद्र सिंह को भी बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में दरकिनार किया गया है.
चौधरी बीरेंद्र सिंह को भी बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में दरकिनार किया गया है.

वहीं चौधरी बीरेंद्र सिंह हाल फिलहाल में इंडियन नेशनल लोकदल के चौधरी देवीलाल की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे. जिससे कई तरह के राजनीतिक कयास सियासी गलियारों में लगाए जाने लगे थे. ऐसे में चौधरी बीरेंद्र सिंह को पार्टी लंबे समय तक अपने साथ लेकर चलेगी या नहीं ये बड़ा सवाल है.

कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए नेताओं को नहीं मिली तरजीह

इंद्रजीत को दक्षिण हरियाणा का राजा भी कहा जाता है

अब बात राव इंद्रजीत सिंह की. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए इंद्रजीत को दक्षिण हरियाणा का राजा भी कहा जाता है. इस क्षेत्र के दिग्गज नेताओं में इनका नाम शुमार होता है, हालांकि वो मोदी सरकार के मंत्री मंडल में शामिल हैं. बावजूद इसके उन्हें राष्ट्रीय कार्यकरिणी से बाहर किया गया है. जानकारों के मुताबिक उनको बाहर करने की कई वजह हैं. राव इंद्रजीत कई बार इशारों ही इशारों में मुख्यमंत्री बनने की चाह जाहिर कर चुके हैं. इतना ही नहीं वो अक्सर पार्टी से अलग लाइन पर खड़े दिखाई देते हैं, वो चाहे फिर अपने स्तर पर उनके शक्ति प्रदर्शन के कार्यक्रम हो या फिर उनके बयान. इससे भी पार्टी में कहीं ना कहीं वे अलग-थलग दिखाई देते हैं.

गुरुग्राम से सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत को राष्ट्रिय कार्यकारिणी में जगह नहीं मिली है.
गुरुग्राम से सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत को राष्ट्रिय कार्यकारिणी में जगह नहीं मिली है.

तीन कृषि कानूनों को लेकर भी राव साहब केंद्र को किसानों से बातचीत करने की सलाह दे चुके हैं. शायद उनकी इस तरह की कार्यशैली की वजह से उन्हें दरकिनार किया जा रहा है. ये दोनों नेता कांग्रेस में काफी लंबे समय तक रहे हैं. ऐसे में उनके विचारों में भी कहीं ना कहीं कांग्रेस और बीजेपी का अंतर दिखाई देता है. बीजेपी एक संगठन की पार्टी है और ये दोनों नेता उसके संगठन से नहीं आते. ऐसे में इनके पार्टी विरोधी बयान भी पार्टी को अखर रहे हैं. जानकार मानते हैं कि उनके इस तरह के व्यवहार से संगठन के अंदर के लोग भी जरूर नाराज होंगे.

संगठन के लोगों को आगे बढ़ाने का प्रयास

पार्टी अब चाह रही होगी कि हरियाणा में संगठन से जुड़े लोगों को ही आगे बढ़ा कर काम किया जाए, इसलिए भी इन दोनों को किनारे लगाने की रणनीति पर बीजेपी काम कर सकती है. क्योंकि बीजेपी अपनी पार्टी के उन लोगों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है, जो सीधे-सीधे संगठन में पकड़ रखते हैं. इस बार बीजेपी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की तो हरियाणा में एक नाम को लेकर चर्चाएं खासतौर पर हो रही हैं. वो नाम है केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव का. जिन्हें राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हरियाणा की तरफ से स्थान दिया है. भूपेंद्र सिंह यादव मंत्री बनने से पहले राष्ट्रीय महासचिव रहे थे.

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हरियाणा की तरफ से स्थान दिया है. भूपेंद्र सिंह यादव मंत्री बनने से पहले राष्ट्रीय महासचिव रहे थे.
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हरियाणा की तरफ से स्थान दिया है. भूपेंद्र सिंह यादव मंत्री बनने से पहले राष्ट्रीय महासचिव रहे थे.

भूपेंद्र सिंह यादव राजस्थान से राज्यसभा के सदस्य बनें और फिर उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई. मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद इनको जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान दक्षिण हरियाणा सहित अहीरवाल क्षेत्र में काफी बडे़ स्तर पर प्रोजेक्ट किया गया. इसके बाद सियासी गलियारों में उनके इस क्षेत्र में पार्टी द्वारा कद बढ़ाने के तौर पर भी देखा जाने लगा. वहीं इस यात्रा के बाद केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने भी शहीदी दिवस पर रैली में कर अपना शक्ति प्रदर्शन किया था. अहिरवाल क्षेत्र में भूपेंद्र सिंह यादव के कद को बढ़ाने की पार्टी की कोशिश भी दिखाई देती है. सियासी गलियारों में ये भी चर्चा है कि उनको राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल कर पार्टी ने बड़ा संदेश दिया है. जिसके बाद इसे बीजेपी की भविष्य की राजनीति के दृष्टिकोण से भी जोड़कर देखा जा रहा है.

हरियाणा में भविष्य की राजनीति की झलक

भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हरियाणा से केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव, केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर सहित सिरसा की सांसद सुनीता दुग्गल को शामिल किया गया है. इसके साथ ही हरियाणा के खेल राज्य मंत्री संदीप सिंह को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया है. अगर इन नामों को देखा जाए तो इससे बीजेपी की हरियाणा में भविष्य की राजनीति की झलक भी दिखाई देती है. ये भी दिखाई देता है कि बीजेपी कहीं ना कहीं मानकर चल रही है कि जाटलैंड में कोई भी बड़ा नेता अभी उनको स्थापित करने में कामयाब नहीं हुआ है.

सिरसा से सांसद सुनीता दुग्गल को बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह मिली है.
सिरसा से सांसद सुनीता दुग्गल को बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह मिली है.

सुनीता दुग्गल को बीजेपी में खास स्थान

ऐसे में पार्टी इस वोट बैंक को छोड़कर अन्य समीकरणों पर काम करने में जुट गई है. जिस तरीके से सूची बनी है उससे साफ है कि बीजेपी अहिरवाल क्षेत्र में भूपेंद्र सिंह यादव को पार्टी बड़े नेता के तौर पर स्थापित करना चाहती है. वहीं कृष्ण पाल गुर्जर को कार्यकारिणी में बनाए रखने के पीछे गुर्जर समाज को पार्टी के साथ जोड़े रखने की रणनीति पर बीजेपी लगातार चल रही है. इसके साथ ही पार्टी सुनीता दुग्गल को जगह देकर पार्टी दलितों में संदेश देने का भी प्रयास कर रही है कि उनको बीजेपी में खास स्थान दिया जा रहा है. खेल मंत्री संदीप सिंह को जगह देकर पार्टी पंजाबी समाज को भी जोड़ने का प्रयास करती दिखाई दे रही है.

खेल राज्य मंत्री संदीप सिंह को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया है.
खेल राज्य मंत्री संदीप सिंह को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया है.

कृष्ण पाल गुर्जर केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह बनाने में कामयाब

इन सब बदलाव के बीच केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अपना स्थान बरकरार रखने में कामयाब हुए है. साल 2019 में भी चुनाव जीतने के बाद कृष्ण पाल गुर्जर केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह बनाने में कामयाब रहे. इसके बाद संगठन में भी उनका स्थान बरकरार रहा है. इससे साबित होता है कि गुर्जर मोदी सरकार और भाजपा संगठन की हर कसौटी पर खरे उतरे हैं. कृष्णपाल गुर्जर शुरू से ही भाजपा में हैं. शायद यही वजह है कि उनका स्थान अभी भी बरकरार है.

भूपेंद्र सिंह यादव को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किए जाने पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि भूपेंद्र यादव दक्षिण हरियाणा के ही रहने वाले हैं, और पार्टी ने कार्यकारिणी में शामिल कर हरियाणा का प्रतिनिधित्व ही बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि सुनीता दुग्गल और खेल मंत्री संदीप सिंह को शामिल कर पार्टी ने एक बेहतर संदेश देने का भी प्रयास किया है. उन्होंने माना कि इससे पार्टी को फायदा होगा. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता केवल ढींगरा ने कहा कि बीजेपी कांग्रेस से आए नेताओं को अब इसलिए दरकिनार कर रही है, क्योंकि वो किसानों की आवाज को लगातार बुलंद कर रहे हैं और ये बात पार्टी संगठन को बिल्कुल भी पसंद नहीं है. इसी वजह से ही उन्हें हाशिए पर धकेला जा रहा है. क्योंकि बीजेपी में कोई भी नेता कृषि कानूनों के खिलाफ नहीं बोल सकता और जो बोलेगा उसको पार्टी से बाहर ही किया जाएगा.

पढ़ेंः बीजेपी में दरकिनार हो रहे वरुण गांधी बागी हो गए हैं ?

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.