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बजट 2022 में 'डिजिटल' पर जोर क्यों ? भाजपा सांसद ने दिया 26 साल पुराना उदाहरण

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Published : Feb 10, 2022, 3:54 PM IST

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भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी

आम बजट 2022 में केंद्र सरकार ने 'डिजिटाइजेशन' पर जोर दिया गया है. कई सांसदों ने इस विजन पर कटाक्ष किया है. संसद के बजट सत्र के नवें दिन भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने 26 साल पुराना उदाहरण देकर बताया कि सरकार आखिर डिजिटल पर इतना जोर क्यों दे रही है.

नई दिल्ली : बजट 2022 में 'डिजिटल' पर क्यों जोर दे रही मोदी सरकार ? संसद के बजट सत्र में इस मुद्दे पर कई बार तकरार देखी गई है. बजट सत्र के नवें दिन भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने डिजिटल विजन (rajya sabha sudhanshu trivedi digital vision) के पक्ष में दलीलें दीं.

उन्होंने 10 फरवरी की तारीख का महत्व रेखांकित करते हुए कहा, आज ही के दिन शतरंज के चैंपियन रहे गैरी कास्परोव ने पहली बार कंप्यूटर के साथ शतरंज खेला था. उन्होंने बताया, गैरी कास्परोव ने 10 फरवरी, 1996 को आईबीएम के कंप्यूटर डीप ब्लू के साथ पहली बाजी खेली थी.

उन्होंने कहा, यह डिजिटल टेक्नोलॉजी का पहला चरण था. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, अमृत काल में वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री ने अगले 25 साल के लिए जो डिजिटल विजन तय किया है, यह अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण भारत में डिजिटल डिवाइड को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है.

भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी

इससे पहले राज्य सभा में ही आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने डिजिटाइजेशन पर कटाक्ष किया था. कवि राजीव की कविता सुनाकर सरकार मोदी सरकार के आम बजट-2022 पर कटाक्ष (poem of rajeev on budget 2022) किया. उन्होंने पढ़ा, 'खाओ डिजिटल, गाओ डिजिटल, देश का बैंड बजाओ डिजिटल, रुपया डिजिटल, बैंक भी डिजिटल और सेना का टैंक भी डिजिटल. बच्चे पाएं डिजिटल शिक्षा और फिर मांगे डिजिटल भिक्षा.

यह भी पढ़ें- बजट 2022 पर कटाक्ष, संजय सिंह ने सुनाई कविता- बच्चे पाएं डिजिटल शिक्षा और फिर मांगे डिजिटल भिक्षा

सांसद संजय सिंह ने आगे पढ़ा, डिजिटल डॉक्टर, डिजिटल गोली, डिजिटल ईद और डिजिटल होली. डिजिटल सड़क पर डिजिटल कार, डिजिटल संसद और सरकार, डिजिटल खेत में करो किसानी, डिजिटल खाद, डिजिटल पानी. डिजिटल दूध डिजिटल गाय, डिजिटल चीनी डिजिटल चाय. भरके खाओ डिजिटल रोटी और फिर कर दो डिजिटल पॉटी.' उन्होंने कहा कि सरकार पहले दो करोड़ नौकरियों का वादा किया, लेकिन अब खुद स्वीकार कर रही है कि दो करोड़ नौकरियां देना उनके बस की बात नहीं.

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