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शहीद पिता की फोटो के सामने हाथ जोड़कर खड़ा मासूम, बेसहारा हुआ परिवार

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Published : Apr 11, 2021, 3:58 AM IST

शहीद पिता की फोटो के सामने हाथ जोड़कर खड़ा मासूम
शहीद पिता की फोटो के सामने हाथ जोड़कर खड़ा मासूम

बस्तर जिले के बकावंड ब्लॉक का बनिया गांव 3 अप्रैल के बाद से ठीक से सोया नहीं है. बीजापुर एनकाउंटर में शहीद हुए श्रवण के घर पर रोती मां, पत्नी और बहन की आवाज चीख-चीख कर पूछती है कि अब उनके परिवार को कौन देखेगा ? मां और दादी के आंसुओं के बीच बेटा पूछता है कि पापा कहां चले गए ? वो नहीं आएंगे क्या ? नन्हे-नन्हे हाथ जोड़े पापा की तस्वीर के सामने खड़ा मासूम कभी उदास नजरों से चारों तरफ देखता है फिर फोटो के सामने सिर झुका लेता है.

रायपुर : छत्तीसगढ़ बीजापुर जिले में तीन अप्रैल को हुई नक्सली मुठभेड़ में बकावंड ब्लॉक के बनिया गांव के बेटे श्रवण कश्यप शहीद हो गए थे. श्रवण उन 22 जवानों में से एक थे, जिन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान देश की खातिर दिया. STF के जवान श्रवण कश्यप अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं. उनकी मां, पत्नी और 5 साल का बेटा गहरे सदमे में है. बहन, भाई और भाभी का भी बुरा हाल है. वे अपने परिवार में अकेले कमाने वाले थे. उनकी सैलरी से ही घर चलता था. श्रवण के चले जाने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है.

श्रवण कश्यप साल 2007 में पुलिस सेवा में शामिल हुए थे. दुर्ग एसटीएफ बेस कैंप में ट्रेनिंग के बाद उन्होंने बस्तर संभाग के अलग-अलग इलाकों में ड्यूटी की. कुछ महीने पहले ही उनकी पोस्टिंग सुकमा के अंदरूनी गांव के पुलिस कैंप में हुई थी. श्रवण ने 2013 में उन्होंने बकावंड की ही रहने वाली दूतिका के साथ जन्म-जन्म साथ रहने की कसम खाई थी. एक चार साल का बेटा है और वो दूसरी बार पिता बनने वाले थे.

शहीद पिता की फोटो के सामने हाथ जोड़कर खड़ा मासूम

दूतिका दो महीने की गर्भवती हैं. ये बात जब शहीद को पता चली तो, उन्होंने होली पर घर लौटने का वादा किया था, लेकिन गाड़ी नहीं मिली और वो नहीं आ पाए. एनकाउंटर से ठीक एक दिन पहले फिर उन्होंने दूतिका से कहा था मैं आऊंगा लेकिन तिरंगे में लिपटी उनकी देह आई.

बेसहारा हुआ परिवार

आखिरी बार एंटी नक्सल ऑपरेशन पर जाने से पहले शुक्रवार रात को श्रवण ने परिवार को फोन किया था. इस दौरान उन्होंने अपने बेटे से भी बात की. श्रवण ने बताया था कि वे ड्यूटी पर जा रहे हैं और उन्हें पूरा एक दिन का समय वापस आने में लग सकता है. जिसके बाद न्यूज में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ की खबरें आईं. जवान की पत्नी दूतिका ने बताया कि शनिवार को सुबह से ही श्रवण से बात करने के लिए उन्हें कई बार फोन लगाने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई.

रविवार को सुबह उनकी शहादत की खबर आई. पत्नी दूतिका कश्यप ने बताया कि पति की मौत से पूरे परिवार पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा है. वह अपने पत्नी और बेटे के साथ-साथ पूरे परिवार की भी जिम्मेदारी उठाते थे. नौकरी करने वाले भी घर में एक ही सदस्य थे. उन्हें नहीं पता था कि होली में आने का वादा कर वे सोमवार को दोपहर तिरंगे में ही लिपटे हुए आएंगे.

इकलौते कमाने वाले थे श्रवण कश्यप
शहीद जवान श्रवण कश्यप के बड़े भाई ने बताया कि वह मजदूरी करते हैं. ऐसे में उन्हें परिवार चलाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. उनके छोटे भाई की नौकरी से ही उनकी बहन से लेकर, उनकी बहू, दोनों भतीजे, नानी, मां और अपने 5 साल के बच्चे का पालन-पोषण हो रहा था. बड़े भाई ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनके छोटे भाई की शहादत नक्सलियों से लड़ते-लड़ते और इस बस्तर की रक्षा के लिए हुई है. लेकिन अब भाई के नहीं रहने से भविष्य की चिंता सताने लगी है.

'पांच अप्रैल को श्रवण का तिरंगे में लिपटा शव पहुंचा था घर'
श्रवण कश्यप की मां ने बताया कि श्रवण उनका दुलारा बेटा था. वो अपने घर के हर एक सदस्य से वह प्यार करता था. हमेशा फोन पर उनसे जरूर बात करता था और उनका हाल-चाल पूछता था. श्रवण की मां ने बताया कि शुक्रवार के बाद से सोमवार तक उन्हें किसी ने भी श्रवण के बारे में कोई जानकारी नहीं दी और सोमवार को श्रवण के पार्थिव शरीर को लेकर पुलिस के जवान और जनप्रतिनिधि उनके घर पहुंचे.

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इधर श्रवण के परिवार के साथ साथ पूरे बनिया गांव में शोक का माहौल है. गांव वालों ने भी बताया कि श्रवण कश्यप मिलनसार व्यक्तित्व का था और गांव की समस्या को भी लेकर उसने कई बार आवाज उठाई. उनकी मौत से पूरा गांव गम में डूबा हुआ है.

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