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मैसूर दशहरे की तैयारी,  इस बार 'अभिमन्यु' ले जाएगा हौदा

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Published : Sep 24, 2020, 8:26 PM IST

Updated : Sep 24, 2020, 10:07 PM IST

मैसूर दशहरा को हाथियों का त्योहार भी कहा जाता है. यहां का मुख्य आकर्षण हाथी होते हैं, जिन पर हौदा (हाथी के ऊपर रखा जाने वाला वह आसान जिस पर कोई आदमी बैठ सकता है) को ले जाया जाता है. इस साल यह मौका अभिमन्यु हाथी को मिला है. दो अक्टूबर को अभिमन्यु और अन्य हाथी मैसूर पैलेस मैदान में प्रवेश करेंगे. अभिमन्यु के अनुशासन और ऐश्वर्य ने उसे हौदा ले जाने का सौभाग्य दिया गया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

World famous mysore dussehra
विश्व प्रसिद्ध मैसूर दशहरा

बेंगलुरु : दशहरा कर्नाटक के मैसूर में प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है, जिसे नड्डा हब्‍बा कहा जाता है. जिसका अर्थ राज्य महोत्सव है. यह महोत्सव नवरात्र के दसवें दिन आयोजित होता है, जिसमें जंबो सावरी लोगों के लिए मुख्य आकर्षण होता है, जहां हाथी हौदा (नाडा देवता की मूर्ति के साथ सोने से बना) धारण करते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

मैसूर दशहरा हौदा और हाथियों के लिए बहुत प्रसिद्ध है. इसे हाथियों का त्योहार भी कहा जाता है. यहां का मुख्य आकर्षण हाथी होते है, जिन पर हौदा को ले जाया जाता है. नवरात्र के दसवें दिन मैसूर पैलेस में एक विशेष पूजा होती है, जिसमें पैलेस में जंबो सवारी (हाथी का जुलूस) आयोजित की जाती है.

मैसूर की विरासत दशहरा
मैसूर दशहरा यहां 410 सालों से मनाया जा रहा है. मैसूर के राजा ने नवरात्र महोत्सव को शरद नवरात्र (Sharannavaratri) के रूप में मनाया था. जहां राजा को जंबो सवारी के दौरान हौदा पर बैठाया गया था. मैसूर दशहरा महोत्सव में हौदा को ले जाने के लिए बिलिगिर रंगा, ऐरावत, हमसराज, चामुंडी प्रसाद और राजेंद्र प्रसिद्ध हाथी हैं. जंबो सावरी मैसूर महल से मैसूर के बन्नीमंतप तक जाती है. मैसूर के अंतिम राजा जयचामाराजेंद्र ओडेयार बिलीगिरी हाथी पर बैठकर जंबो सावरी में शामिल हुए थे. बाद में सरकार ने दशहरा को नड्डा हब्बा के रूप में मनाना शुरू किया था.

हौदा लेकर जाते हैं हाथी
मैसूर राजाओं की बनाई गई परंपराओं के दौरान मैसूर दशहरा की शुरुआत हुई थी. मैसूर साम्राज्य की परंपरा के अनुसार नवरात्र महोत्सव नौ दिनों तक महल के अंदर मनाया जाता है और विजयादशमी यानी दसवें दिन जंबो सवारी का आयोजन किया जाता है. इस दौरान हाथी की शोभायात्रा निकलती है. इनका नेतृत्व करने वाला विशेष हाथी, जिसकी पीठ पर चामुंडेश्वरी देवी प्रतिमा सहित 750 किलो का स्वर्ण हौदा रखा जाता है. आपको बता दें कि विजयदशमी के अवसर पर राजेंद्र हाथी ने एक बार, द्रोण हाथी ने 18 बार, बलराम हाथी ने 12 बार ,अर्जुन हाथी ने आठ बार हौदा लादा है. इस साल जंबो सवारी में अभिमन्यु हाथी हौदा ले जा रहा है. जंबो सवारी में रंग-बिरंगे, अलंकृत कई हाथी सोने का हौदा, देवी की प्रतिमा लोगों का आकर्षण होती है. यह हौदा राजा के महल में रखा जाता है.

इस बार अभिमन्यु हाथी को मिला मौका

  • विश्व प्रसिद्ध मैसूर दशहरा की तैयारियां शुरू हो गई हैं. वन विभाग ने दशहरा के लिए पांच हाथियों का चयन किया है.
  • 'संचालक का नायक' अभिमन्यु (हाथी) जंबो सावरी (हाथी परेड) का नेतृत्व करेगा.
  • अभिमन्यु जंगली हाथियों और बाघों को पकड़ने के लिए विभिन्न अभियानों में मदद कर रहा था. इस बार अभिमन्यु को हौदा रखने का अवसर मिला है.
  • अभिमन्यु सौम्य स्वभाव का हैं, लेकिन काम में मजबूत हैं. यहां तक ​​के जंगली हाथी और बाघ भी अभिमन्यु से डरते हैं. इसने अब तक 110 से अधिक हाथियों और 40 से ज्यादा बाघों को पकड़ा है.
  • अभिमन्यु के अनुशासन और ऐश्वर्य ने उसे हौदा ले जाने का सौभाग्य दिया. दो अक्टूबर को अभिमन्यु और अन्य हाथी मैसूर पैलेस मैदान में प्रवेश करेंगे.
  • महंत वसन्त ने अभिमन्यु को हाथी शिविर में प्रशिक्षित किया है. वन विभाग के कर्मचारियों ने कहा कि इस बार वासिक्रम, गोपी, विजया और कावेरी हाथी दशहरा उत्सव में अभिमन्यु के साथ 'जंबो सांवरी' में शामिल होंगे.
Last Updated :Sep 24, 2020, 10:07 PM IST
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