ETV Bharat / bharat

जम्मू कश्मीर : सेना से बचने के लिए आतंकी बना रहे भूमिगत बंकर

author img

By

Published : Sep 20, 2020, 7:06 PM IST

Updated : Sep 20, 2020, 9:43 PM IST

कश्मीर घाटी में आतंकवादियों का ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों में छिपना या स्थानीय घरों में शरण लेना बीते दिनों की बात हो गई है. सेना व सुरक्षाबलों से बचने के लिए वे अब घने बगीचों में भूमिगत बंकर बनाते हैं. पढ़ें विस्तार से....

Terrorists
आतंकवादी

श्रीनगर : कश्मीर घाटी में आतंकवादियों का ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों में छिपना या स्थानीय घरों में शरण लेना बीते दिनों की बात हो गई है. सेना व सुरक्षाबलों से बचने के लिए वे अब घने बगीचों में भूमिगत बंकर बनाते हैं और यहां तक कि मौसमी नदियों में बंकर खोदकर रहते हैं. सेना की आतंकवाद रोधी इकाई 44 राष्ट्रीय राइफल्स की कमान संभाल रहे कर्नल एके सिंह कहते हैं कि यह प्रवृत्ति हाल में पुलवामा और शोपियां जिलों में देखने को मिली है. शोपियां में इनकी संख्या ज्यादा है क्योंकि वहां सेब के घने बगीचे और जंगल हैं. सेना की इसी इकाई ने अधिकतम आतंकवादियों को मारा, पकड़ा या उनका आत्मसमर्पण कराया है.

आतंकवादियों पर कार्रवाई के मामले में आगे है 44 राष्ट्रीय राइफल्स
कर्नल सिंह और 44 राष्ट्रीय राइफल्स को अकसर स्थानीय लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए उनसे मिलते-जुलते देखा जा सकता है. इस बातचीत के दौरान करियर संबंधी सुझाव देने से लेकर शिक्षा संबंधी उनकी बातों को सुनना शामिल रहता है. आतंकवादियों पर अंकुश लगाने के मामले में भी वे काफी आगे हैं. अब तक उन्होंने 47 आतंकवादियों को मार गिराया है और सात को हिरासत में लिया है या उनका आत्मसमर्पण कराया है.

बंकर मिलना सुरक्षाबलों के लिए किसी अचरज से कम नहीं था
शोपियां के दो और पुलवामा जिले के तीन इलाकों की निगरानी करने वाले कर्नल सिंह और उनके दल के लिए भूमिगत बंकरों के मिलने के बाद स्थिति आसान नहीं थी क्योंकि यहां बिना सुरक्षा बलों की नजर में आए आतंकवादी कई दिनों तक छिपे रह सकते हैं. इन दोनों ही इलाकों को आतंकवादियों के गढ़ के तौर पर देखा जाता है. जल-स्तर के उतार-चढ़ाव और अचानक आने वाली बाढ़ से प्रभावित रहने के लिए चर्चित इलाके रामबी अरा के मध्य में कोई बंकर मिलना सुरक्षाबलों के लिए किसी अचरज से कम नहीं था और इसने कर्नल सिंह तथा उनकी टीम को नए सिरे से अपनी योजना पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया.

नदी के बीच से आतंकवादी निकल रहे
कर्नल एके सिंह ने कहा कि आतंकवादी रामबी अरा के मध्य में लोहे के बने बंकर के अंदर छिपे हुए थे. सतर्क जवानों ने तेल के एक ड्रम का ढक्कन खुला देखा, जिसका इस्तेमाल आतंकवादी बंकर में आने-जाने के रास्ते के तौर पर करते थे. यह संदेहजनक था. इसके बाद वहां गुपचुप तरीके से नजर रखी जाने लगी. हमें यह देखकर बेहद हैरानी हुई कि नदी के बीच से आतंकवादी निकल रहे हैं, जो आम तौर पर बारिश के मौसम में ही पानी से भरी रहती है.

यह भी पढ़ें- चीन से सोना, ड्रग्स व घातक हथियार पुराने 'AK-47 मार्ग' से पहुंच रहे भारत

तहखानों और भूमिगत बंकरों की जानकारी मिलनी शुरू हो गई
प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिद्दीन के पांच आतंकवादियों को इस साल के शुरू में हमला कर मार गिराया गया था. हालांकि, सेना के लिए इन आतंकवादियों के मारे जाने से ज्यादा चिंता की बात यह थी कि आतंकवादी भूमिगत बंकरों को बनाने और उनमें रहने में सक्षम हैं. तकनीकी खुफिया निगरानी और मानव संसाधनों के जरिए आसपास के इलाकों तथा खासकर शोपियां में सर्वेक्षण का आदेश दिया गया. इसके नतीजे उत्साहजनक रहे. पारंपरिक कश्मीरी घरों के अंदर तहखानों और भूमिगत बंकरों की जानकारी मिलनी शुरू हो गई.

सेब के घने पेड़ों से ढके मिले बंकर
इस साल जून में बंदपोह में सेब के घने पेड़ों से ढके और ऊंचाई वाले इलाके में स्थित एक और भूमिगत बंकर का सुरक्षाबलों ने पता लगाया. यहां आतंकवादी 12 फुट लंबे और 10 फुट चौड़ा भूमिगत बंकर बनाकर रह रहे थे. सुरक्षाबलों की नजर जब एक प्लास्टिक से जमीन के ढके होने और वहां की मिट्टी ताजी खुदी होने पर गई तो इस बंकर का खुलासा हुआ.

यह भी पढ़ें- सेना के शूरवीरों ने एलएसी की छह नई चोटियों पर जमाया कब्जा

युवाओं को हरसंभव मदद का आश्वासन
कर्नल सिंह ने कहा कि भूमिगत बंकर के आसपास पांच आतंकवादियों को मार गिराया गया. 44 राष्ट्रीय राइफल्स की कमान संभालने के बाद से कर्नल सिंह कई नागरिकों के घरों में गए, जिनके रिश्तेदार आतंकवाद की राह पर चल निकले थे. सिंह ने उन्हें सलाह दी कि वे युवाओं का वापस आना सुनिश्चित करें. उन्हें हरसंभव मदद का भी आश्वासन दिया.

Last Updated : Sep 20, 2020, 9:43 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.