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ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट पर बड़ा असर, आधा लेन घटी लंबाई

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Published : Sep 15, 2020, 5:59 PM IST

ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट
ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट

सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर बड़ा असर डाला है. चारधाम को जोड़ने वाली ऑलवेदर रोड परियोजना में सड़क की चौड़ाई को कम करने को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है. कोर्ट के आदेश के बाद ऑलवेदर रोड की चौड़ाई दो लेन से घटकर डेढ़ लेन रह गई है.

देहरादून: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब उत्तराखंड में चारधाम ऑलवेदर रोड की चौड़ाई दो लेन से घटकर डेढ़ लेन हो जाएगी, लेकिन इस प्रोजेक्ट का 70 फीसदी हिस्सा पूरा हो चुका है, तो वहीं अब कुछ खास इलाकों पर इस फैसले का असर पड़ेगा.

पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ऑलवेदर रोड पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रभावित हो गया है. यात्रियों को 12 मीटर की सड़क नहीं बल्कि 5.5 मीटर की सड़क से संतुष्ट होना पड़ेगा. 8 सितंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब से उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में जहां घने जंगल वाले क्षेत्र हैं, वहां पर सड़क की चौड़ाई को डेढ़ लेन यानी ज्यादा से ज्यादा साढ़े 5 मीटर से ज्यादा नहीं कर सकते.

70 फीसदी काम पूरा.
70 फीसदी काम पूरा.

सुप्रीम कोर्ट के नए नियम

8 सितंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार उत्तराखंड में चल रहे ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों की चौड़ाई अब 2018 में आये सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के सर्कुलर के अनुसार रखनी होगी, जिससे साफ है कि अब ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट में सड़क की चौड़ाई को साढ़े 5 मीटर विद प्योर शोल्डर ब्लैक टॉप यानी डेढ़ लेन रखने के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने जारी किये हैं.

ऑलवेदर रोड की चौड़ाई दो लेन से घटकर डेढ़ लेन हुई.

क्या फर्क पड़ेगा

उत्तराखंड पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष हरिओम शर्मा ने बताया कि अब तक ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत 2 लेन सड़कें बनाई जा रही थीं. तकनीकी पहलू पर जाएं तो अब तक 12 मीटर रोड फॉर्मेशन ब्रिथ यानी 12 मीटर सड़क की कटिंग होनी थी. इस पर 10 मीटर ब्लैक टॉप शोल्डर यानी पक्की पेंटिंग वाली 8 से 10 मीटर की सड़क बनाई जा रही थी, लेकिन अब रोड फॉरमेशन ब्रिथ घटकर 9.5 से 10 मीटर के आस-पास रह जाएगी. जिस पर ब्लैक टॉप 5.5 मीटर किया जाएगा. इसे इंजीनियरिंग की भाषा में डेढ़ लेन की सड़क विद ब्लैक टॉप कहा जाता है. कोर्ट के आदेश के बाद अब बनने वाली सड़क में तकरीबन ढाई से 3 मीटर चौड़ाई का फर्क होगा.

ऑलवेदर रोड का 70 फीसदी काम पूरा-

तकरीबन 175 किलोमीटर की सड़क पर काम होना है. जहां पर सड़क की प्रस्तावित चौड़ाई 2 लेन से डेढ़ लेन की जाएगी. यह सड़क एनएच 58 जो कि बदरीनाथ की तरफ जाती है और जोशीमठ से आगे बदरीनाथ तक सड़क की चौड़ाई पर असर पड़ेगा. गंगोत्री की तरफ जाने वाले मार्ग पर उत्तरकाशी से गंगोत्री तक और यमुनोत्री की तरफ जाने वाले मार्ग पर धरासू से यमुनोत्री तक कोर्ट के फैसले के बाद सड़क की चौड़ाई पर असर पड़ेगा. यानी इन जगहों पर पहले बनाने जा रही डबल लेन की हाइवे अब डेढ़ लेन में सिमट कर रह जाएगी.

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राज्य की सभी सड़कों पर लागू होगा नियम

सुप्रीम कोर्ट से आए इस फैसले का असर उत्तराखंड के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर लागू होगा. आने वाले समय में उत्तराखंड में हर राष्ट्रीय राजमार्ग पर खास तौर से पहाड़ी क्षेत्र में इस आदेश को लागू करते हुए एनएच की चौड़ाई केवल साढ़े पांच मीटर ही रखनी होगी. इसका असर प्रदेश के अन्य हाईवे पर भी पड़ेगा. उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग द्वारा आगामी 5 सालों में प्रदेश की सभी हाईवे को डबल लेन करने की कवायद पर भी इस फैसले ने असर डाला है, लेकिन इसके क्या कुछ तकनीकी पहलू रहते हैं, यह अभी सामने आना बाकी है.

कहां से शुरू हुआ विवाद

ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट शुरुआत से ही विवादों में घिर गया था. हिमालय क्षेत्रों में लगातार पेड़ों के कटान और पर्यावरण की हानि को लेकर पर्यावरणविदों ने इस मामले पर सवाल उठाए. इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. जहां पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के निपटारे के लिए एक हाई पावर कमेटी का गठन किया. हाई पावर कमेटी में भी अलग-अलग मतों के चलते मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा. जहां पर कमेटी के एक पक्ष ने भारत सरकार के 2018 के सर्कुलर को आधार बनाते हुए ऑलवेदर रोड की चौड़ाई को घटाने की बात सुप्रीम कोर्ट में रखी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में जारी किए गए सर्कुलर के हिसाब से सड़क बनाने का आदेश दिया.

फैसला आने में हो गई देर- वरिष्ठ पत्रकार

उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला तो लिया, लेकिन इस फैसले के आने में काफी देर हो गई. उन्होंने कहा कि अबतक ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत 70 फीसदी सड़क का कटान हो चुका है, जिससे हिमालय को जितना नुकसान होना था, हो चुका.

उन्होंने साल 2001 के इसरो रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि उत्तराखंड में भूस्खलन के लिए कई ऐसे स्लाइडिंग जोन चिह्नित किए थे, जिन्हें इसरो ने भविष्य में खतरा बताया था. तो वहीं ऑलवेदर रोड के काम के बाद उत्तराखंड के वो तमाम स्लाइडिंग जोन एक बार फिर से सक्रिय हो गए हैं.

बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने कहीं न कहीं सरकारी महकमों की मंशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं. जब शासन में बैठे जिम्मेदारों को साल 2018 के सर्कुलर की जानकारी थी तो ये बात हाई पावर कमेटी के संज्ञान में क्यों नहीं लायी गई. इस ढिलाई का काफी नुकसान अबतक पर्यावरण और स्थानीय लोगों को उठाना पड़ा है. अगर पहले ही ये काम कर दिया जाता तो न सुप्रीम कोर्ट के दखल की जरूरत पड़ती और न किसी कमेटी के गठन की और 12 हजार करोड़ से कहीं कम खर्च में चारधाम यात्रा मार्ग का निर्माण भी हो चुका होता.

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

चारधाम को जोड़ने वाली ऑल वेदर रोड परियोजना में सड़क की चौड़ाई को कम करने को लेकर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है. इसमें इस सड़क की चौड़ाई साढ़े पांच मीटर रखने के आदेश दिए गये हैं. पर्यावरणविदों का दावा है कि इस फैसले के बाद 80 प्रतिशत पेड़ कटने से बच जाएंगे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार सक्रिय हो गई है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि इस सड़क का धार्मिक ही नहीं सामरिक महत्व भी है. मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए यह सड़क चौड़ी होनी ही चाहिए. इस बारे में केंद्र के सामने पक्ष रखा जाएगा.

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