नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों में हार के बाद कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अपने इस्तीफे की पेशकश कर रहे हैं. अब तक कई राज्यों के प्रदेश प्रभारी और वरिष्ठ नेता हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा पार्टी प्रमुख राहुल गांधी को भेज चुके हैं. बता दें, राहुल ने भी कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में अध्यक्ष के पद से इस्तीफे की पेशकश की थी, जिसे समिति ने खारिज कर दिया था.
लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को केवल 52 सीटों पर संतोष करना पड़ा है. हालांकि, वर्ष 2014 के चुनाव में मिली 44 सीटों के मुकाबले इस बार सिर्फ आठ सीटें ज्यादा आई हैं.
चुनावों में हार के बाद महाराष्ट्र में पार्टी प्रभारी अशोक चव्हाण ने नतीजों के अगले ही दिन इस्तीफे की पेशकश की थी. वहीं, झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार और असम कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने राहुल गांधी को अपना इस्तीफा भेजा. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के प्रभारी राज बब्बर भी अपने इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं.
गुरदासपुर में अभिनेता व भाजपा उम्मीदवार सनी देओल से लोकसभा चुनाव हारने वाले पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अपना त्यागपत्र भेज दिया है. इस्तीफे में, उन्होंने अपनी सीट हारने और कांग्रेस शासित राज्य में पार्टी का उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं रहने की नैतिक जिम्मेदारी ली.
कांग्रेस ने 13 में से आठ सीटें जीती हैं. अकाली दल और भाजपा ने दो-दो सीटें, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) ने एक सीट जीती है.
अपने पत्र में, जाखड़ ने कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष, महासचिव प्रियंका गांधी और मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा पूरा समर्थन मिलने के बावजूद अपनी सीट बरकरार नहीं रख पाए.
77,000 से अधिक वोटों से हारे जाखड़ ने कहा, 'सभी ने मेरा पूरा समर्थन किया और मेरे लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दिया लेकिन मैं अपनी सीट का बचाने में नाकामयाब रहा, ऐसे में मैं पार्टी के राज्य प्रमुख पद पर नहीं रह सकता. मैं नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ता हूं.'
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वहीं, सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी भी इस्तीफे को लेकर अड़े हुए हैं. उन्होंने कई वरिष्ठ नेताओं से अपना रिप्लेसमेंट खोजने की बात कही है.
सूत्रों के मानें तो सीडब्ल्यूसी की बैठक में चुनाव नतीजों में बेहद खराब प्रदर्शन के बाद बहुत से महासचिवों और राज्य इकाई प्रमुखों पर गाज गिरी थी. समिति ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल को हर स्तर पर पार्टी का पूरा और विस्तृत पुनर्गठन करने का जिम्मा दिया है. लोकसभा चुनाव में हार के बाद अब कांग्रेस के प्रमुखों में फेरबदल देखने को मिल सकता है.