ETV Bharat / bharat

आज जल बचायें तो आने वाली परेशानियों से बचें

author img

By

Published : Nov 17, 2019, 11:59 PM IST

Updated : Nov 18, 2019, 12:10 AM IST

डिजाइन इमेज

इंसान के लिये जीवित रहने के लिए खाने से ज्यादा जरूरी पानी है. इंसान खाने के बिना तो कुछ दिन जी सकता है पर पानी के बिना जीवन असंभव है. पानी को बचाने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, लेकिन सरकार के साथ लोगों को भी आगे आना चाहिए ताकि पानी और पानी के प्राकृतिक स्त्रोतों का संरक्षण किया जा सके.

जल ही जीवन है. बिना जल के किसी तरह का जीवन पनप नही सकता. इंसान बिना खाने के तो कुछ दिन जी सकता है पर बिना पानी के जीना असंभव है. इसलिये सरकार के साथ साथ लोगों के लिये ये भी जरूरी है कि पानी और पानी के प्राकृतिक स्रोतों का संरक्षण किया जाये. पिछले दिनों तेलगू राज्यों में जमकर बारिश हुई. ऊपरी कैचमेंट इलाकों में पानी भरने के चलते कृष्णा और गोदावरी नदियों में काफी पानी बह गया. इस तरह के पानी को ज्यादा उपयोगी तरीकों से इस्तेमाल करने की जरूरत है, लेकिन ये अफसोसजनक है कि इस तरफ कोई कदम नही उठाया जा रहा है.

1960 के बाद से ही दुनियाभर में पानी की खपत में इजाफा होता गया है. इसके चलते पानी के स्रोतों मे लगातार कमी आती रही है. वो 17 देश जिनमे दुनिया की जनसंख्या का एक चौथाई हिस्सा रहता है, पानी की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं. इन देशों में खेती, उद्योग और शहरी जनसंख्या उपलब्ध पानी का 80 फीसदी हिस्सा इस्तेमाल कर रहे हैं.

44 देश, जहां विश्व की एक तिहाई जनसंख्या रहती है, वो मौजूदा पानी का 40 फीसदी हिस्सा इस्तमाल कर रहे हैं. ये देश भी पानी की भारी किल्लत का सामना करने के मुहाने पर हैं. पानी की मांग और पूर्ती में भारी कमी होने के कारण, बाढ़ संभावित क्षेत्रों में इजाफा होता जा रहा है. इसका असर रोजगार, कामकाज, खेती उत्पाद, खाद्य सुरक्षा औऱ व्यापार पर देखने को मिल रहा है. पानी की लगातार बढ़ती मांग के पीछे जनसंख्या, शहरीकरण, औद्यौगिकरण और जीवन स्तर में बढ़ोत्तरी जैसे कारण हैं.

भारत की 90 फीसदी शहरों में पानी की सप्लाई पंपो से हो रही है. वहीं, 80 फीसदी से ज्यादा गांवों में पानी की सप्लाई ही नही है. इस कारण, महिलाओं और बच्चे पानी भरने के लिये कई किलोमीटर पैदल चलकर जाने को मजबूर हैं. आजादी के बाद से ही सरकारों का ध्यान सिंचाई व्यवस्था और पानी के संरक्षण पर रहा. पीने के पानी मुहैया कराने पर इतने सालों में कोई कारगर कदम नहीं उठाये गये हैं. हांलाकि जल्द ही सरकार ने पीने के पानी की जरूरत को समझते हुए 1987 में पहली राष्ट्रीय जल नीति बनाई.

सूखे के लिहाज से संवेदनशील इलाको में मॉनसून पानी का एक बड़ा स्रोत है. पूर्वी राज्यों में ग्राउंड वॉटर का लेवल ऊंचा है. वहीं, दक्षिणी राज्यों में स्थिति अलग है. इन इलाकों में ज्यादातर पथरीली जमीन है. इस कारण से बारिश के पानी को बचाना मुश्किल हो जाता है. भारत में अधिक्तर इलाकों में 500 मिमि तक बारिश होती है, खासतौर पर बारिश के मौसम में. इतनी बारिश को देखते हुए, सतह या ग्राउंड वॉटर स्टोर करने के लिये 10-12 स्कायर मीटर एरिये का इस्तेमाल किया जा सकता है.

Intro:Body:Conclusion:
Last Updated :Nov 18, 2019, 12:10 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.