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'दीदी की रसोई' : बिहार के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मिल रहा घर जैसा खाना

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Published : Sep 11, 2019, 1:37 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 5:32 AM IST

बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के तहत जीविका का बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति के साथ एमओयू हुआ था. जिसमें कई सरकारी अस्पतालों में जीविका की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं की ओर से खाना बनाने और पहुंचाने का करार हुआ है. पढ़ें पूरी खबर....

दीदी की रसोई

पटना: बिहार रूरल लाइवलिहुड प्रोजेक्ट यानी जीविका आज राजधानी के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है. जीविका की ओर से बिहार के चुनिंदा सरकारी अस्पतालों में दीदी की रसोई के जरिए मरीजों और उनके परिजनों को स्वच्छ और बिल्कुल घर जैसा खाना उपलब्ध कराया जा रहा है.

जीविका की यह दीदीयां बहुत जल्द बिहार के सभी जिले के सरकारी अस्पतालों में खाना मुहैया करती दिखेंगी. बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के तहत जीविका का बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति के साथ एमओयू हुआ था. जिसमें कई सरकारी अस्पतालों में जीविका की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं की ओर से खाना बनाने और पहुंचाने का करार हुआ था.

दीदी परोसती है खाना

सहरसा में होगी जल्द शुरुआत
इस मिशन के तहत पिछले साल बिहार के चार सदर अस्पताल में दीदी की रसोई की शुरुआत हुई. जिसमें वैशाली, बक्सर, शेखपुरा और पूर्णिया शामिल थे. आने वाले दिनों में सहरसा सदर अस्पताल में भी इसकी शुरुआत होने वाली है.

100 रुपये में मिलता है दिनभर का खाना
बता दें कि इस रसोई के जरिए जीविका समूह की महिलाएं खुद खाना बनाती हैं और कुछ खाने को बिल्कुल साफ और स्वच्छ तरीके से मरीजों और उनके परिजनों तक पहुंचाती हैं. महज 100 रुपये में सुबह के नाश्ते से लेकर रात तक का खाना तक दीदी की रसोई से उपलब्ध कराया जाता है.

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काउंटर पर लगी भीड़

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश
जीविका में नान फार्म का जिम्मा संभाल रहे अधिकारी समीर कुमार ने बताया कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं ही दीदी की रसोई का काम संभालती हैं. वहां करीब 6 से 8 महिलाओं को यह जिम्मा मिलता है. इससे महिलाओं की 6000 से 10000 रुपये प्रति माह की कमाई हो जाती है.

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सफाई का ध्यान रखा जाता है

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साफ-सफाई है पहचान
इस रसोई की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखा जाता है. यहां बिल्कुल हाइजेनिक तरीके से खाना बनाने से लेकर खाना पहुंचाने तक का काम किया जाता है. पटना में चल रहे सरस मेले में पहुंची दीदी की रसोई के काउंटर पर सबसे ज्यादा भीड़ दिखी.

Intro:बिहार के चुनिंदा सरकारी अस्पतालों में दीदी की रसोई के जरिए मरीजों और उनके परिजनों को स्वच्छ और बिल्कुल घर जैसा खाना उपलब्ध कराया जा रहा है। जीविका ये दीदीयां बहुत जल्द बिहार के सभी जिले में सरकारी अस्पतालों में खाना मुहैया करती दिखेंगी।


Body:दरअसल बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के तहत जीविका का बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति के साथ एमओयू हुआ, जिसमें विभिन्न सरकारी अस्पतालों में जीविका की स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के द्वारा खाना बनाने और पहुंचाने का करार हुआ है। इसके तहत पिछले साल दीदी की रसोई की शुरुआत बिहार के चार सदर अस्पताल में हुई। वैशाली, बक्सर, शेखपुरा और पूर्णिया के बाद बहुत जल्द गया और सहरसा सदर अस्पताल में भी दीदी की रसोई शुरू होने वाली है।
आपको बता दें कि इस रसोई के जरिए जीविका समूह की महिलाएं खुद खाना बनाती हैं और कुछ खाने को बिल्कुल साफ और स्वच्छ तरीके से मरीजों और उनके परिजनों तक पहुंचाती हैं। महज ₹100 में सुबह का नाश्ता से लेकर रात का खाना तक दीदी की रसोई से उपलब्ध कराया जाता है।
जीविका में नान फार्म का जिम्मा संभाल रहे अधिकारी समीर कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं ही दीदी की रसोई का काम संभालती हैं। वहां करीब 6 से 8 महिलाओं को यह जिम्मा मिलता है और इन महिलाओं को 6 से ₹10000 प्रति माह की कमाई भी हो जाती है। इस रसोई की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखा जाता है और बिल्कुल हाइजेनिक तरीके से खाना बनाने से लेकर खाने पहुंचाने तक का काम किया जाता है। पटना में चल रहे सरस मेले में पहुंची दीदी की रसोई के काउंटर पर सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिली।


Conclusion:समीर कुमार, प्रोजेक्ट मैनेजर, जीविका
Last Updated : Sep 30, 2019, 5:32 AM IST
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