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कृषि कानून: किसानों को मनाने की कवायद में जुटी मोदी सरकार

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Published : Oct 7, 2020, 11:04 PM IST

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ईटीवी भारत से बात करते इंडियन चैम्बर्स ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के अध्यक्ष एमजे खान

एमजे खान ने कहा कि कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए जो काम सरकार को अध्यादेश लाने से पहले या विधेयक को संसद में पेश करने से पहले करना चाहिये वह अब किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि किसानों के मन में जो आशंकाएं हैं उन्हें दूर किया जा सके और तीन कृषि कानून से उन्हें क्या-क्या फायदे होने वाले हैं यह समझाया जा सके.

नई दिल्ली: कृषि क्षेत्र में सुधार के लिये मोदी सरकार के तीन कानूनों पर अभी भी विरोध-प्रदर्शनों का दौर जारी है, लेकिन दूसरी तरफ इस पर किसानों के बीच सहमति बनाने और उन्हें इसके फायदे गिनाने की कवायद भी सरकार लगातार कर रही है. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर किसानों के साथ एक बैठक हुई. जिसमें केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद थे. इस बैठक में पद्मश्री से सम्मानित देश के प्रगतिशील किसान और किसान नेता भी मौजूद थे. इस बैठक का संचालन इंडियन चैम्बर्स ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के अध्यक्ष एमजे खान ने किया. ईटीवी भारत ने एमजे खान से बैठक के विषय में विशेष बातचीत की.

ईटीवी भारत से बात करते इंडियन चैम्बर्स ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर के अध्यक्ष एमजे खान

किसानों को समझाना होगा फायदा-नुकसान

एमजे खान ने कहा कि जो काम सरकार को अध्यादेश लाने से पहले या विधेयक को संसद में पेश करने से पहले करना चाहिये वह अब किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि किसानों के मन में जो आशंकाएं हैं उन्हें दूर किया जा सके और तीन कृषि कानून से उन्हें क्या-क्या फायदे होने वाले हैं यह समझाया जा सके. जब किसानों का विरोध शुरू हुआ तब इसमें किसी भी राजनीतिक दलों की कोई भूमिका नहीं थी लेकिन एक बार जब प्रदर्शनों का दौर शुरू हुआ तब राजनीतिक दलों ने भी उसमें अवसर तलाशने शुरू कर दिये और किसान संगठनों का समर्थन किया. अब यह विरोध प्रदर्शन से आगे बढ़कर राजनैतिक हो गया है.

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किसानों के साथ सरकार शुरू कर रही संवाद

वहीं, दूसरी तरफ सरकार देर से ही सही, किसानों के साथ संवाद शुरू कर रही है. भाजपा शीर्ष नेतृत्व के निर्देश के बाद सभी राज्यों की इकाइयां भी किसानों के साथ संवाद कर उन्हें कृषि कानून के फायदे गिनाने के लिये जमीन पर उतर आई हैं. बतौर एमजे खान इन सुधारों की जरूरत लंबे समय से थी और वर्ष 2008 में जब कांग्रेस की सरकार थी तब भूपेंदर हुडा की अध्यक्षता में एक कमिटी भी बनी थी जिसने इस तरह के प्रस्ताव दिये थे.

मुख्य रूप से किसानों की दो मांगें

किसानों की मुख्य रूप से दो मांगें हैं जो एमएसपी से संबंधित हैं. पहली मांग यह है कि एमएसपी से कम पर कोई खरीद न की जाए और दूसरी यह कि एमएसपी से कम में खरीदने पर कानूनी प्रावधान हो. यदि कोई भी व्यापारी या कंपनी एमएसपी से कम पर खरीद करती है तो उस पर कानूनी कार्रवाई हो सके. कृषि मंत्री और रक्षा मंत्री के साथ हुई चर्चा में भी किसान प्रतिनिधियों ने अपनी बातें रखी और एमएसपी पर कानून लाने की मांग की.

बदलाव की कोई संभावना नहीं

सरकार की तरफ से किसानों को कोई ऐसा आश्नासन मिला है कि एमएसपी पर कानून लाने की मांग पर विचार किया जाएगा. इस सवाल पर एमजे खान ने कहा कि तीन विधेयक अब कानून बन चुके हैं. ऐसे में उनके साथ बहरहाल कोई बदलाव की संभावना नहीं दिखती है. सरकार का पक्ष यह है कि एमएसपी सरकार का प्रशासनिक निर्णय है और यह यथास्थिति जारी रहेगा. इसलिये सरकार ने कानून लाने के साथ ही फसलों की एमएसपी भी घोषित की है और अब एमएसपी पर खरीद भी की जा रही है. ऐसे में जब एमएसपी चल रही है तो किसानों को कोई आशंका नहीं होनी चाहिए.

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किसानों को धीरे-धीरे समझ आने लगे फायदे

एमजे खान ने आगे कहा कि धीरे-धीरे किसान यह समझने लगे हैं कि इन कानूनों से उनको फायदा होने वाला है. तत्काल उन्हें समझ न आये लेकिन दूरगामी परिणाम की बात करें तो इसमें कृषि से जुड़े सभी लोगों का फायदा होगा. कृषि क्षेत्र में निवेश आने से बड़े सुधार होंगे और बेहतर सुविधाएं भी मिलेंगी. देश के बड़े किसान संगठनों की यह शिकायत रही है कि सरकार ने उनके साथ कोई बातचीत नहीं की और किसानों के साथ बिल पर कोई चर्चा भी नहीं हुई. अब कानून बनने के बाद किसानों को आमंत्रित किया जा रहा है.

ये किसान हुए शामिल

रक्षा मंत्री के आवास पर हुई बैठक में पद्मश्री से सम्मानित किसानों में कमल सिंह चौहान, राम शरण, बीबी त्यागी, नरेंद्र सिंह और जगदीश पारीक शामिल थे. वहीं, किसान नेताओं में चौधरी पुष्पेंद्र सिंह अध्यक्ष किसान शक्ति संघ, आर्गेनिक फार्मिंग में बड़े नाम हरपाल सिंह ग्रेवाल, मान सिंह यादव कृषि बोर्ड और हरियाणा प्रगतिशील किसान मंच के अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह दलाल मौजूद थे.

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