तिरुवनंतपुरम : केरल सरकार अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से किन्नर समुदाय के प्रति समावेशी रवैया अपना रही है, जो पूरे देश के लिए उदाहरण है. इसके माध्यम से उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाया जाता है, जिससे उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने में मदद मिलती है. केरल, शीर्ष अदालत के आदेश के बाद ट्रांसजेंडर नीति बनाने वाला भारत का पहला राज्य है.
इन कार्यक्रमों का उद्देश्य समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को मुख्यधारा में लाना और उनके जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है. राज्य सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसले में ट्रांसजेंडर को सरकार के साथ विभिन्न विभागों के सभी आवेदन पत्रों में एक लिंग विकल्प के रूप में शामिल करने का फैसला किया है. सरकार ने अपने सभी विभागों को लिंग कॉलम में महिला, पुरुष, ट्रांसजेंडर, ट्रांसवुमेन, ट्रांसमैन को शामिल करने का निर्देश दिया है. ट्रांसजेंडरों का समर्थन करने के लिए राज्य द्वारा सपलम नामक एक विशेष योजना लागू की गई है. शिक्षा के बाद राज्य सरकार की अलग-अलग एजेंसियां भी इनके लिए नौकरी के अवसर खोजने में मदद करती हैं.
दी जा रही है वित्तीय सहायता
सरकार ने एक आदेश जारी किया है, जिसमें लिंग परिवर्तन की सर्जरी कराने वाले ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए 32,91,716 रुपये आवंटित किए गए. सरकार द्वारा जारी वित्तीय सहायता स्लैब के अनुसार महिला को पुरुष लिंग पुनर्मिलन सर्जरी के लिए अधिकतम 5 लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे. जबकि पुरुष से महिला लिंग पुनर्मिलन सर्जरी के लिए 2.5 लाख रुपये मिलेंगे. सरकार ने उन लोगों की एक सूची भी जारी की थी, जिन्हें लिंग पुनर्मूल्यांकन सर्जरी के लिए चुना गया है. इस साल लिंग परिवर्तन की सर्जरी के लिए 81 ने आवेदन किया था. सभी आवेदकों को वित्तीय सहायता सरकार द्वारा स्वीकृत की गई है.
शादियों को भी सरकारी अनुदान
सरकार ने आर्थिक मदद के रूप में एक ट्रांसजेंडर जोड़े की शादी के लिए 3 लाख रुपये रखे हैं. ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के रहने के लिए सरकार द्वारा आश्रय गृह बनाए गए हैं. ज्यादातर मामलों में एक बार उनकी पहचान का एहसास होने के बाद ट्रांसजेंडर समुदायों से संबंधित व्यक्तियों को उनके रिश्तेदारों द्वारा बहिष्कृत कर दिया जाता है और उन्हें वहां से हटा दिया जाता है. शेल्टर होम ऐसे व्यक्तियों के लिए एक राहत होगी. केरल में एक ट्रांसजेंडर सेल और ट्रांसपर्सन के लिए 24 घंटे की विशेष हेल्पलाइन भी है. कुटुम्बश्री (केरल की महिला स्वयं सहायता समूह प्रणाली) के साथ ट्रांसजेंडरों की एक विशेष इकाई केरल में कार्य करती है.
पढ़ाई में भी दिया रहा है आरक्षण
स्नातक स्तर से सभी पाठ्यक्रमों में ट्रांसजेंडरों के लिए एक-एक सीट आरक्षित की गई है. इसी का नतीजा है देश में पहली ट्रांसजेंडर मेडिकल डॉक्टर ने केरल में ही इतिहास बनाया. सरकार ने विशेष रूप से ट्रांसजेंडर समुदाय के कल्याण का अध्ययन करने के लिए एक विधानसभा समिति का गठन किया था. आयशा कुट्टी विधायक की अध्यक्षता वाली समिति ने सरकार को 55 और सिफारिशें सौंपी हैं. एलडीएफ सरकार इन सिफारिशों की जांच कर उन्हें लागू करेगी. हालांकि, सरकार ऐसी कई कल्याणकारी योजनाएं और ट्रांसजेंडरों के उत्थान के लिए उपाय कर रही है. लेकिन इन योजनाओं में से कुछ के निष्पादन और कार्यान्वयन में देरी एक समस्या रही है. पहचान पत्र की तरह आकस्मिक जरूरतों पर आवेदनों पर निर्णय कभी-कभी देरी से होता है.
यह भी पढ़ें-हैदराबाद में बिका इंदौर के गरीब का निवाला
सरकार द्वारा सभी उपायों को अधिक समावेशी बनाने के बावजूद ट्रांसजेंडरों के प्रति समाज का व्यवहार उनके लिए हमेशा दुखदायी रहा है. 2015 से राज्य सरकार की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार केरल में 250000 ट्रांसजेंडर हैं. हालांकि 2015 के बाद ट्रांसजेंडर समुदाय की कोई उचित जनगणना नहीं हुई है. ट्रांसजेंडर्स ने सरकार से आग्रह किया है कि इस पर तत्काल कार्यवाही की जानी चाहिए.