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केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट बंद होने की तारीख जारी

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Published : Oct 9, 2019, 12:07 AM IST

ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ के कपाट 29 अक्टूबर को बंद होने जा रहे हैं. तो वहीं, भगवान बदरी विशाल के कपाट 17 नवंबर को बंद होंगे. खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कपाट बंद होने से पहले बाबा केदारनाथ के दर्शन करने आ सकते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

केदारनाथ और बद्रीनाथ

रुद्रप्रयाग/चमोली: यात्रा वर्ष 2019 में ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ के कपाट 29 अक्टूबर को सुबह 8.30 बजे भैयादूज के अवसर पर बंद होंगे. श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा आयोजित समारोह में धर्माचार्यों की उपस्थिति में तारीख का एलान किया गया है. वहीं, भगवान बदरी विशाल के कपाट 17 नवंबर को शाम ठीक 5:13 बजे पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ने पंचांग पूजा के बाद तिथि की घोषणा की.

वहीं, इसी दिन बाबा केदारनाथ की पंचमुखी डोली रात्रि प्रवास पर रामपुर पहुंचेगी. 30 अक्टूबर को गुप्तकाशी व 31 अक्टूबर को शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी.

कपाट बंद होने की जानकारी देते मंदिर के लोग

इसी तरह द्वितीय केदार मद्महेश्वर जी के कपाट शीतकाल के लिये 21 नवंबर को बंद होंगे. डोली इसी दिन प्रथम पड़ाव गौंडार पहुंचेगी‌. 22 नवंबर को राकेश्वरी मंदिर रांसी और 23 नवंबर को गिरिया प्रवास पहुंचेगी. 24 नवंबर शीतकाल गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी. 24 नवंबर को ऊखीमठ में भव्य मद्महेश्वर मेला आयोजित होगा.

वहीं, तृतीय केदार श्री तुंगनाथ जी के कपाट शीतकाल के लिये 6 नवंबर प्रात: 11.30 बजे बंद हो जायेंगे. इसी दिन उत्सव डोली चोपता पहुंचेगी. 7 नवंबर को भनकुन प्रवास, 8 नवंबर को शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ पहुंचेगी.

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श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ में आयोजित समारोह में श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के उपाध्यक्ष अशोक खत्री, कार्याधिकारी एनपी जमलोकी, मंदिर सुपरवाइजर पुजारी शिवशंकर लिंग, अभ्युदय जमलोकी, आचार्य हर्ष जमलोकी, वेदपाठी यशोधर मैठाणी, पंचगाई प्रतिनिधि शिवानंद पंवार, पं. सत्य प्रसाद सेमवाल, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी वचन सिंह रावत, वरिष्ठ सहायक प्रेम सिंह रावत, देवानंद गैरोला, विदेश शैव नवीन शैव, देवी प्रसाद तिवारी, भगवती शैव, मनीष तिवारी, मौजूद रहे.

श्री तुंगनाथ जी के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में आयोजित समारोह में मठापति रामप्रसाद मैठाणी, प्रबंधक प्रकाश पुरोहित, बलबीर नेगी आदि मौजूद रहे.

Intro:हिंदुओं के पवित्र तीर्थ स्थल भगवान बद्रीविशाल के कपाट 7 अक्टूबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। आज विजयदशमी के अवसर पर भगवान बद्रीविशाल के मंदिर परिसर में आयोजित भव्य धार्मिक समारोह में पंचांग गणना के पश्चात आचार्यो की उपस्थिति में श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल और बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने कपाट बंद होने की घोषणा की। तथा श्री उद्धव जी एवं कुबेर जी की चल विग्रह मूर्तियां पांडुकेश्वर जाने की तिथि 18 नवंबर एवं आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी पांडुकेश्वर से नरसिंह मंदिर में जाने और स्थापित करने की तिथि 19 नवंबर को तय की गई है।


विस्वल बाईट मेल से भेजी है।

बाईट-मोहन प्रसाद थपलियाल-अध्य्क्ष बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति।


Body:आज विजयदशमी के पर्व पर मंदिर समिति और आचार्यो सहित बदरीनाथ धाम के हकहकूकधारियो की उपस्थिति में बदरीनाथ मंदिर परिसर में भगवान बद्रीविशाल के कपाट शीतकाल के दौरान बंद करने को लेकर भव्य धार्मिक समारोह के बीच पञ्चाङ्ग गणना के पश्चात 17 नवंबर, रविवार ,कर्क लग्न में सांय 5 बजकर 13 मिनट को बंद करने का निर्णय लिया गया।


साथ ही 18 नवंबर को भगवान उद्धव जी और भगवान कुबेर जी की चल विग्रह मूर्तियों को पांडुकेश्वर और 19 नवंबर को पांडुकेश्वर से शंकराचार्य की गद्दी को जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में स्थापित करने की तिथि घोषित भी की गई।



Conclusion:बद्रीनाथ धाम में कपाट बंद होंने की प्रक्रिया 13 नवंबर से शुरू हो जाएगी ,सर्वप्रथम 13 नवंबर को प्रातः श्री गणेश जी की पूजा आराधना एवं सांय को मंदिर परिसर में ही स्थित भगवान गणेश जी के मंदिर के कपाट बंद होंगे।

14 नवंबर को आदिकेदारेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना और दिन में मंदिर के कपाट बंद किये जायेंगे।

15 नवंबर की सांय से खड़क ,पुस्तक पूजन , वेद ऋचाओ का पाठ बंद हो जाएगा।

16 नवंबर को श्रीमहालक्ष्मी मंदिर मंदिर में पूजा और लक्ष्मी जी को न्योता दिया जाएगा।

17 नवंबर प्रातःकाल में भगवान बद्रीविशाल का श्रंगार एवम सांय को 5 बजकर 13 मिनट पर भगवान बद्रीविशाल के कपाट शीतकाल के लिए आम श्रदालुओ के लिए बंद कर दिए जाएंगे।

18 नवंबर को बद्रिनाथ धाम से भगवान उद्धव जी और भगवान कुबेर जी की चल विग्रह मूर्तियो के साथ शंकराचार्य की गद्दी पहुंचेगी पांडुकेश्वर,रात्रि विश्राम पांडुकेश्वर में ही होगा।

19 नवंबर को प्रातः पूजा अर्चना के बाद सुबह शंकराचार्य की गद्दी पहुंचाई जाएगी नृसिंह मंदिर जोशीमठ, शीतकाल के दौरान 6 माह तक शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर में रहेगी स्थापित।

बाईट-भुवन चन्द्र उनियाल-धर्माधिकारी बदरीनाथ धाम।


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