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नासा की टीम में जोधपुर के वैज्ञानिक, एस्टेरॉइड के नमूनों की करेंगे जांच

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Published : Oct 21, 2020, 5:13 PM IST

जोधपुर के वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र भंडारी नासा के उस दल का हिस्सा हैं, जो 4.5 बिलियन साल पुराने एस्टेरॉइड पर शोध करेगा. नासा के स्पेसक्राफ्ट ओसिरिस रेक्स का Asteroid Bennu से संपर्क हो गया है. ओसिरिस रेक्स द्वारा भेजे गए आंकड़ों का डॉ. नरेंद्र भंडारी और उनका दल अध्ययन करेगा.

scientist of jodhpur dr narendra bhandari
scientist of jodhpur dr narendra bhandari

जोधपुर : अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) के स्पेसक्राफ्ट ओसिरिस रेक्स ( Osiris-Rex) ने सफलता पूर्वक 4.5 बिलियन साल पुराने एस्टेरॉइड (Asteroid Bennu) को छू लिया है. अमेरिकी समय के अनुसार मंगलवार रात डेढ़ बजे भारतीय समयनुसार बुधवार तड़के स्पेसक्राफ्ट ने मंगल और बृहस्पति के मध्य चक्कर लगा रहे एस्टेरॉइड को छुआ. इसके लिए स्पेसक्राफ्ट की 11 फीट लंबी भुजा ने बेनू के जिस हिस्से को छुने के लिए चिह्नित किया था उसकी सतह पर पांच से दस सेकेंड के लिए छुआ.

इस दौरान भुजा में लगे उपकरणों ने बेनू की धूल मिट्टी और चट्टानों के नमूने कितने लिए हैं. इसका अभी खुलासा होना बाकी है. नासा ने नमूना लेने के प्रयास को सफल बताया है. ओसिरिस रेक्स 2023 में पृथ्वी पर आएगा, इस दौरान वह ऐसे सिर्फ तीन प्रयास कर सकता है, क्योंकि नमूने लेने में नाइट्रोजन का प्रयोग होगा जिसके प्रेशर से नमूने लिए जाएंगे. इस गैस की तीन बोतल ही स्पेसक्राफ्ट में है, जिस तरह से फाइटर जेट के किसी सड़क पर उतरने के लिए टच एंड गो शब्दावली का प्रयोग किया जाता है. इसी तरह से नासा ने भी इसे टच एंड गो प्रक्रिया के आधार पर ही अपने मिशन को पूरा किया है.

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खास बात यह है कि इस परियोजना में जोधपुर के वैज्ञानिक भी शामिल हैं. इसरो से जुड़े जोधपुर के वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र भंडारी बेनू के जो नमूने नासा को मिलेंगे उसके अध्ययन करने वाली टीम का हिस्सा है. यह टीम नमूनों के आधार पर वहां के वातावरण और बेनू के निर्माण के कारणों का पता लगाएगी. अगर नासा को नमूने मिल जाते हैं तो स्पेसक्राफ्ट में मौजूद संवदेनशील सेंसर से उनकी प्रकृति का अध्ययन शुरू होगा. नासा ने भी इस सफल अभियान की जानकारी जारी करते हुए इसे सफल मिशन करार दिया है, जो अंतरिक्ष के नए रहस्य खोल सकता है. बेनू सूर्य से 105 मिलियन मील दूर चक्कर लगाता है, जबकि पृथ्वी सूर्य से 93 मिलियन दूरी की कक्षा में परिक्रमा कर रही है.

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बेनू और पृथ्वी के परिभ्रमण के दौरान प्रत्येक 6 साल में बेनू की पृथ्वी से दूरी घट रही है. वैज्ञानिकों को मानना है कि आने वाली सदी में बेनू पृथ्वी से टकरा भी सकता है. नासा ने जिस जगह से नमूने लिए उसे नाईट एंगल और एक ऊंची जगह को मांउट डूम नाम दिया है. नासा के अनुसार बेनू का निर्माण 4.5 बिलियन साल पूर्व हुआ था. वह समय था जब पृथ्वी के सोलर सिस्टम का भी निर्माण हुआ था. इसलिए बेनू को टाइम कैप्सूल माना जा रहा है, जिसके मिट्टी और अन्य नमूनों से पृथ्वी के भी कई रहस्य सामने आ सकते है. उल्लेखनीय है कि नासा इससे पहले अंतरिक्ष के कई नमूने ले चुका है, लेकिन पहली बार किसी एस्टेरॉइड के नमूने लेने का प्रयास किया गया है.

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