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जेएनयू ने बनाई आरटी-पीसीआर किट, 50 मिनट में आएगी कोरोना रिपोर्ट

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Published : May 12, 2020, 10:56 AM IST

देश की सबसे चर्चित और प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी जेएनयू के वैज्ञानिकों ने आरटी-पीसीआर किट बनाई है. इस किट की खासियत यह है कि यह महज 50 मिनट में कोरोना की सटीक रिपोर्ट देने में सक्षम होगी. जेएनयू के कुलपति प्रो. एम. जगदीश कुमार ने इस बारे में जानकारी दी है.

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जेएनयू ने बनाई आरटी-पीसीआर किट

नई दिल्ली : इन दिनों देश कोरोना वायरस से लड़ रहा है. इस वायरस का कोई भी इलाज अब तक नहीं ढूंढा जा सका है. ऐसे में टेस्टिंग ही एक तरीका है जिसके जरिए इस संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है. इसी को देखते हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने आरटी-पीसीआर किट बनाई है. इस किट की खासियत यह है कि यह महज 50 मिनट में कोरोना की सटीक रिपोर्ट देने में सक्षम होगी. साथ ही यह किट पोर्टेबल होगी जिसे कही भी ले जाया जा सकेगा.

जेएनयू वैज्ञानिकों ने बनाई चिप आधारित आरटी-पीसीआर किट

बता दें कि जेएनयू वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की जांच के लिए चिप आधारित आरटी-पीसीआर किट बनाई है. जेएनयू के कुलपति प्रो. एम. जगदीश कुमार ने बताया कि डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर जयदीप भट्टाचार्य की अध्यक्षता में यह शोध कार्य चला जिसके तहत चिप आधारित पोर्टेबल किट बनाई गई है जो किफायती दाम में बहुत ही कम समय मे कोविड-19 के सटीक नतीजे देने में सक्षम होगी.

JNU ने बनाई आरटी-पीसीआर किट

टेस्टिंग की समस्या को देखते हुए बनाई किट

वहीं अपने इस शोधकार्य को लेकर इस प्रोजेक्ट के अध्यक्ष प्रो. भट्टाचार्य ने बताया कि कोरोना संक्रमण को रोकने का फिलहाल एक ही तरीका है और वह है टेस्टिंग, पर बड़े स्तर पर टेस्टिंग करना काफी मुश्किल हो रहा है जिसका कारण है महंगी टेस्टिंग और सीमित किट. ऊपर से टेस्टिंग के परिणाम भी देरी से आते हैं. इन्हीं समस्याओं को देखते हुए उन्होंने इस किट को बनाया है.

ऑन दि स्पॉट कोरोना जांच करने में सक्षम

उन्होंने बताया कि यह किट एक टिफिन की तरह है जिसे कही भी लेकर जाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अभी तक जहां कोरोना का सैंपल लैब तक लेकर जाना पड़ता था. वहीं अब इस पोर्टेबल किट के जरिए ऑन दि स्पॉट जांच हो सकेगी.

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किफायती दाम में सटीक नतीजे

वहीं प्रो. भट्टाचार्य ने बताया कि पोर्टेबल होने के साथ साथ यह किट बहुत किफायती भी है. जहां मौजूदा किट से जांच का खर्च दस से 15 लाख तक आता है वहीं यह किट महज एक लाख के व्यय में ही सटीक नतीजे देगी और वह भी केवल 50 मिनट में.

हालांकि अभी यह किट लेबोरेटरी तक ही है. कुछ जरूरी प्रक्रियाओं के बाद ही इसे प्रोटोटाइप में बदला जा सकेगा पर उसमें अभी समय लगेगा.

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