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चीनियों को 17 याक लौटाकर भारत को मिली नैतिक बढ़त

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Published : Sep 8, 2020, 1:30 PM IST

Updated : Sep 8, 2020, 3:12 PM IST

high moral ground against china
ऊंची नैतिकता की मिसाल

लद्दाख में चीन की सेना (पीएलए) की ओर से लगातार हिमाकत की जा रही है. ताजा घटनाक्रम में चीनी सेना ने सात सितंबर की देर रात कई राउंड फायरिंग की. वहीं भारतीय सेना ने चीन की आक्रामकता का सहृदयता और उदारता से जवाब देते हुए 13 याक और उनके चार बछड़ों को चीनी अधिकारियों को सौंपा है. ऐसे में चीन के हमलों के बाद भी भारत ने ऊंची नैतिकता की मिसाल पेश की है. पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाएं एक दूसरे के खिलाफ लामबंदी में लगी हुई हैं. यह सिर्फ हावी होने वाली ऊंचाइयों पर नियंत्रण पाने के लिए नहीं है. यह दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच जारी सीमा विवाद के कारण हाल के दिनों में अब तक के सबसे बड़े सैन्य जमावड़ों में से एक है. यह सीमा विवाद लगातार बढ़ते हुए अब नियंत्रण से बाहर जाता दिख रहा है.

यह संघर्ष उच्च नैतिक आधार पर कब्जा करने के लिए भी है. यदि हाल की घटनाएं इसका संकेत हैं तो पहला राउंड निश्चित रूप से भारत के पक्ष में जाता है.

सोमवार को चीन की युद्धकारी दशा और आक्रामकता का सहृदयता और उदारता से जवाब देते हुए भारतीय सेना ने पूरी तरह से 13 याक और उनके चार बछड़ों को चीन के अधिकारियों को सौंप दिया. यह घटना अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग जिले की है. पिछले हफ्ते यह याक भारतीय क्षेत्र में चले आए थे.

भारतीय सेना के एक ट्वीट में कहा गया है, 'भारतीय सेना ने सात सितंबर को चीन को 13 याक सौंपे जो अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग में 31 अगस्त को एलएसी पर भटक कर भारतीय सीमा में आ गए थे. चीनी सेना ने इस भाव को प्रदर्शित करने के लिए भारतीय सेना को धन्यवाद दिया और भविष्य में ऐसी घटनाओं से परहेज करने का आश्वासन दिया.'

गत तीन अगस्त (गुरुवार) को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के टैगिन जनजाति के पांच युवकों को कथित रूप से 'अगवा' कर लिया था. भारतीय पक्ष की यह कार्रवाई उस घटना के पूरी तरह से उटल है.

ईटीवी भारत ने बताया था कि किस तरह से अरुणाचल प्रदेश के अपर सुबनसिरी जिले के नाचो गांव के पांच युवकों को गुरुवार (तीन सितंबर) को पीएलए के सैनिकों की एक टीम ने पकड़ा था. यह युवक मशहूर हिमालयन कस्तूरी मृग का शिकार करने वाली एक स्थानीय दल के सदस्य थे. कस्तूरी मृग के पेट में एक पदार्थ छुपा होता है जिसे मस्क या कस्तूरी कहा जाता है. कस्तूरी का इस्तेमाल महंगे इत्र या दवाओं को बनाने के लिए किया जाता है, इसलिए बाजार में इसकी बहुत अधिक कीमत मिलती है.

भारतीय सेना की ओर से हॉटलाइन से संपर्क किए जाने के बावजूद सोमवार को पीएलए ने पांच युवकों के बारे में किसी तरह की जानकारी होने से इनकार किया.

चीन के सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' ने चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन के एक ट्वीट का हवाला दिया जिसमें कहा गया था, चीन ने कभी भी उस तथाकथित 'अरुणाचल प्रदेश' को मान्यता नहीं दी जो चीन का दक्षिणी तिब्बत क्षेत्र है. क्षेत्र से लापता पांच भारतीयों के बारे में पीएलए को संदेश भेजने वाली भारतीय सेना के सवाल के बदले हमारे पास जारी करने के लिए ऐसा कोई ब्योरा नहीं है.

इसके बिल्कुल विपरीत, उसी दिन जब पांच अरुणाचली युवकों को उठाया गया था भारतीय सेना ने तीन चीनी नागरिकों को बचाया था जो 17 हजार 500 फीट की ऊंचाई पर उत्तरी सिक्किम के पहाड़ी इलाके में अपने रास्ते से भटक गए थे.

पढ़ें - एलएसी पर भारत और चीन के सैनिक हुए आमने-सामने

सेना की एक विज्ञप्ति में कहा गया कि शून्य से भी नीचे के तापमान में तीन चीनी नागरिकों के जीवन को खतरे में देखते हुए भारतीय सेना के जवानों ने तुरंत पहुंच कर उन्हें अत्यधिक ऊंचाई और जलवायु की कठोर परिस्थितियों की वजह से ठंड की लहरों से बचाने के लिए ऑक्सीजन, भोजन और गर्म कपड़े सहित चिकित्सा सहायता मुहैया कराई. उन तीन में दो पुरुष और एक महिला थी.

Last Updated :Sep 8, 2020, 3:12 PM IST
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