ETV Bharat / bharat

प्रभु राम के जीवन को बयां कर रही कुमाऊं में बनी देश की पहली रामायण वाटिका

author img

By

Published : Aug 4, 2020, 2:18 PM IST

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है. वन अनुसंधान केंद्र ने उत्तराखंड में रामायण वाटिका की स्थापना की है. रामायण वाटिका में वनस्पतियों के माध्यम से भगवान रामचंद्र की जीवनी को दर्शाया गया है. पढ़ें ईटीवी भारत की खास खबर...

ramayan_vatika
रामायण वाटिका

हल्द्वानी : पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. वन अनुसंधान केंद्र ने प्रभु श्री राम की जीवनी दर्शाते हुए देश की पहली रामायण वाटिका की स्थापना की है. इस वाटिका में वनस्पतियों के माध्यम से भगवान रामचंद्र की जीवनी को दर्शाया गया है. वाटिका में भगवान वाल्मीकि की मूर्ति की भी स्थापना की गई है, जिसमें बाल्मीकि रामायण में उल्लेख किए गए महत्वपूर्ण पेड़-पौधे और जड़ी-बूटियों के प्रजातियों का संरक्षण करने का काम किया गया है, जिसके तहत वन अनुसंधान केंद्र ने रामायण काल से जुड़े 40 वनस्पतियों का संरक्षण करने का काम किया है.

मुख्य वन संरक्षक और अनुसंधान केंद्र के निदेशक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि वन अनुसंधान केंद्र लगातार विलुप्त हो रहे वनस्पतियों का संरक्षण करने का काम कर रहा है, जिसके चलते रामायण वाटिका की स्थापना की गई है.

हल्द्वानी में रामायण वाटिका की स्थापना

रामायण वाटिका के माध्यम से भगवान रामचंद्र के जीवनी से आधारित वनस्पतियों का संरक्षण करने का काम किया गया है. वाल्मीकि रामायण में उल्लेखित 140 प्रजातियों में मुख्य रूप से 40 प्रजातियों को अनुसंधान केंद्र में संरक्षित करने का काम किया है. इसमें महत्वपूर्ण पेड़, जड़ी-बूटियों और झाड़ियों की प्रजातियों का रोपण किया गया है.

इसमें सीता, अशोक, चंदन, रतन चंदन, ब्राह्मी, साल, शगुन, पीपल और नागकेसर जैसी वनस्पतियां शामिल हैं. रामायण वाटिका के माध्यम से बताया गया है कि भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के दौरान श्री राम अयोध्या से लंका तक की इस यात्रा में भारतीय उपमहाद्वीप के वनों से होकर गुजरे थे.

Ramayana vatika
हल्द्वानी में रामायण वाटिका की स्थापना

वाटिका के माध्यम से द्रोणागिरी पर्वत का भी जिक्र किया गया है. इसमें बताया गया है कि मेघनाथ से युद्ध में लक्ष्मण के प्राण घातक वार में घायल होने पर वैद्य शुसेंण के निर्देश पर हनुमान जी संजीवनी बूटी खोज कर लाए थे, जहां आज भी संजीवनी बूटी के साथ कई औषधि प्रजाति शामिल हैं.

Ramayana vatika
द्रोणगिरी पर्वत की भी दिखेगी झलक

इस वाटिका में उत्तर प्रदेश के चित्रकूट का भी जिक्र किया गया है, जिसमें वनवास के दौरान श्री राम ऋषि भारद्वाज से मुलाकात कर वनों में निवास किया था. वाटिका में आदिवासी महिला शबरी का भी जिक्र है, जो शबरी भगवान श्रीराम को अपना झूठा बेर खिलाई थी और बेल को सभी फलों में पवित्र फल माना जाता है.

Ramayana vatika
शबरी ने खिलाए थे बेर.

किष्किंधा के राजा सुग्रीव से पहली मुलाकात वीर हनुमान की हुई थी, जब वीर हनुमान सीता को ढूंढने निकले थे और वहां पाई जाने वाली मुख्य वनस्पतियों का जिक्र वाटिका में किया गया है.

Ramayana vatika
हल्द्वानी में रामायण वाटिका की स्थापना

वन अनुसंधान केंद्र के निदेशक संजीव कुमार चतुर्वेदी का कहना है कि वाटिका को स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य प्रदेश की जैव विविधता को बचाने के अलावा संरक्षण और संवर्धन करना है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.