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पितृ पक्ष : बिहार की फल्गु नदी में पहले पिंडदान का महत्व, पितृ तर्पण की प्रथम वेदी है पुनपुन नदी

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Published : Sep 13, 2019, 5:46 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 11:43 AM IST

12 सितंबर को अनंत चतुर्दशी से गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले का शुभारंभ हुआ है. पंडित महेंद्र पांडेय ने बताया कि गया जी में फल्गु नदी में पिंडदान करने का महत्व है. इस नदी पर अगर खीर का पिंडदान किया जाए तो उसे अति उत्तम माना जाता है.

गया में पितृपक्ष मेले का शुभारंभ

पटनाः बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले का शुभारंभ हो चुका है. 12 सितंबर को अनंत चतुर्दशी से इस मेले की शुरुआत हुई है. जहां लाखों की संख्या में देश और विदेश से लोग पहुंच रहे हैं.

शुक्रवार को गया जी में पहला पिंडदान फल्गु नदी में किया जा रहा है. सूरज की लालीमा के साथ सुबह से ही पिंडदानी फल्गु नदी और देवघाट पर पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान कर रहे हैं. देश के अन्य हिस्सों से भी हजारों पिंडदानी गया जी में आये हैं.

जानें फल्गु नदी में पहले पिंडदान का महत्व

तीन नदियों के संगम से बनी है फल्गु नदी
वर्तमान में सुखी नदी में एक छोर से लंबी लाइन जैसी बह रही फल्गु नदी को सभी नदियों में श्रेष्ठ माना गया है. फल्गु नदी तीन नदियों के संगम से बनी है. इस नदी के बारे में कथा है कि ब्रह्मा जी की आराधना पर फल्गु नदी के स्वरूप में विष्णु जी अवतरित हुए थे. ऐसी मान्यता है कि इस नदी पर अगर पिंडदानी का पांव भी पड़ जाता है तो उसके पितरों को मोक्ष मिल जाता है.

खीर के पिंडदान को अति उत्तम माना जाता है
पंडित महेंद्र पांडेय ने बताया कि 17 दिवसीय पिंडदान का आज दूसरा दिन है. गया जी में पिंडदान का पहला दिन है. जो श्रद्धालु पहले दिन पुनपुन में नहीं जाते, वो गया के गोदावरी सरोवर में पिंडदान कर सकते हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि आज गया जी में फल्गु नदी में पिंडदान करने का महत्व है. फल्गु नदी पर खीर का अगर पिंडदान किया जाए तो उसे अति उत्तम माना जाता है.

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फल्गु नदी के तट पर पिंडदान करते श्रद्धालु

पुनपुन नदी को पितृ तर्पण की प्रथम वेदी माना जाता है
देश-विदेश में विख्यात मोक्ष द्वार बिहार के गया जी में पितृ पक्ष के दौरान फल्गु नदी या उसके तट पर पिंडदान का बड़ा महत्व है, लेकिन आदि गंगा कही जाने वाली पुनपुन नदी को पितृ तर्पण की प्रथम वेदी मानी जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पुनपुन नदी को पितृ तर्पण की प्रथम वेदी के रूप में स्वीकार किया गया है. ऐसा कहा जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने सबसे पहले पुनपुन नदी के तट पर ही अपने पूर्वजों का पिंडदान किया था. उसके बाद ही उन्होंने गया में फल्गु नदी के तट पर पिंडदान किया था.

Intro:मोक्षधाम गया जी मे सूर्य की लालमी जैसे प्रकाश में बढ़ता गया उसी तरह फल्गू नदी में पिंडदानीयो का भीड़ भी बढ़ता गया। पिंडदानी गया में जी पहला पिंडदान देने के लिए फल्गू नदी में सुबह से पहुँचे। पहला दिन पिंडदान फल्गू नदी में देने का महत्व है और खीर का पिंड देना उत्तम माना जाता है।


Body:12 सितंबर अनंत चतुर्दशी से पितृपक्ष मेला का शुभारंभ हो गया, पहला दिन पुनपुन नदी में पिंडदान किया गया, गया में जी मे आज पहला पिंडदान फल्गू नदी मे किया जा रहा है। तड़के सुबह से पिंडदानी फल्गू नदी और देवघाट पर पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान कर रहे हैं। देश के अन्य हिस्सों से पिंडदानी गया जी मे आये हैं।

वर्तमान में सुखी नदी में एक छोर से लंबी लाइन जैसा बह रही फल्गू नदी सभी नदियों में श्रेष्ठ माना गया है। फल्गू नदी तीन नदियों के संगम से बनी है। फल्गू नदी के बारे में कथा है ब्रह्मा जी के आराधना पर फल्गू नदी के स्वरूप में विष्णु जी अवतरित हुए थे। ये मान्यता हैं इस नदी अगर पिंडदानी का पांव भी पड़ जाता है उसको पितरों को मोक्ष मिल जाता है।

पंडित महेंद्र पांडेय ने बताया 17 दिवसीय पिंडदान का आज दूसरा दिन है। गया जी मे पिंडदान का पहला दिन है। जो श्रद्धालु पहला दिन पुनपुन में नही जाते वो गया के गोदावरी सरोवर में पिंडदान कर सकते हैं। आज गया जी मे फल्गू नदी में पिंडदान करने का महत्व है। फल्गू नदी पर खीर का अगर पिंडदान किया जाए तो अति उत्तम माना जाता है।


Conclusion:श्रदालु का बाइट- संजय अग्रवाल, रायपुर

सर, आज के संबंध और भी विसुअल है और बाइट हैं। पैकेज के लिए जरूरत के लिये बनाया हु।
Last Updated :Sep 30, 2019, 11:43 AM IST
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