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दिल्ली के बाद बिहार में भी कोरोना तेजी से पसार सकता है पांव!

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Published : Nov 23, 2020, 9:05 AM IST

बिहार में रिकवरी रेट को देख अपनी पीठ थपथपा रही सरकार को भी इस बात की समीक्षा करनी होगी कि उसकी आगे की तैयारी क्या है क्योंकि बीते एक माह में बिहार से जो तस्वीरें सामने आईं हैं, वो भयावह है. पढ़ें पूरी खबर...

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प्रतीकात्मक तस्वीर

पटना : दिल्ली में बढ़े कोरोना वायरस संक्रमण के प्रकोप ने एक बार फिर सभी को डरा दिया है. हालात ऐसे हैं कि फिर से लॉकडाउन लगाने की चर्चा होने लगी है. दिल्ली के अलावा, अहमदाबाद भोपाल जैसे कई बड़े शहरों में स्थिति गंभीर है. अहमदाबाद में तो नाइट कर्फ्यू लागू कर दिया गया है. ऐसे में बिहार के बारे में बात करना बेहद जरूरी हो जाती है क्योंकि कोरोना काल में यहां चुनाव हुए, तो दिवाली की रौशनी के बाद छठ की छठा में लोग सराबोर दिखे. इन सबके बीच कोरोना के डर का लापता दिखा.

बिहार में कोरोना काल के दौरान ही चुनाव हुए. चुनाव की तैयारी में पार्टियों ने जिस तरह रैलियां की, उसमें शायद ही सोशल डिस्टेंसिंग का पता ढूंढने से मिले. रैलियों में उमड़े जनसैलाब से पार्टियां खुश तो दिखीं लेकिन कोरोना नाम की बला से किसी ने भी एहतियाती कदम उठाने की जद्दोजहद नहीं की. हालांकि, चुनाव आयोग ने पार्टियों पर मामले दर्ज किए.

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वहीं, चुनाव के दौरान मतगणना केंद्रों में भी वोटिंग के समय कई बूथों पर सोशल डिस्टेंसिंग जैसा कोई भी नियम लागू होते नहीं दिखाई दिया. ये तो बात चुनाव की हो गई. अब, जब 10 नवंबर को परिणाम आए, तो कार्यकर्ताओं ने जमकर जश्न भी मनाया. चुनाव के दौरान कई नेता मंत्रियों को भी कोरोना ने अपनी जद में ले लिया. इस फेहरिस्त में पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम सह बिहार बीजेपी प्रभारी देवेंद्र फडणवीस शामिल रहे. वहीं, नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल हुए मुकेश सहनी भी कोरोना ग्रसित हो गए.

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ग्राफिक्स से जानें...

दीवाली और छठ में सरोबार हुए लोग
बिहार में लोकतंत्र का महापर्व जैसे ही निपटा वैसे ही त्योहारों की रौनक बाजारों में दिखाई देने लगी. दीपावली और छठ की तैयारी में पूरा बिहार जुट गया. इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का जमकर उल्लंघन जनता ने ना चाहते हुए भी किया. आखिर, त्योहार जो मनाना था. दीवाली में पटाखे फोड़ और बधाई देकर लोगों ने एक त्योहार मना लिया.

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इसके बाद छठ पूजा के लिए घाटों पर उमड़ी भीड़ में सोशल डिस्टेंसिंग जैसा कुछ भी नहीं दिखा. हालांकि, प्रशासन ने लोगों से अपील की, कई जिलों में धारा 144 भी लागू की गई. वहीं, छठ के दौरान जागरण और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन ने कोरोना प्रोटोकॉल की जमकर धज्जियां उड़ाई. कई जिलों से बार-बालाओं के डांस देखने उमड़ी भीड़ ने कोरोना को एक किनारे रख दिया.

कुल मिलाकर बिहार से बीते एक महीने में जो तस्वीरें सामने आई हैं, उससे लगता नहीं कि बिहार के लोगों में कोरोना का डर हो. बिहार की सत्ता में कम बैक करने वाली एनडीए ने चुनावी वादों में भले ही फ्री में वैक्सीन देने की बात कही हो लेकिन जनता को ये सोचना होगा कि अभी वैक्सीन लांच नहीं हुई है, उसका सिर्फ ट्रायल चल रहा है. वैक्सीन कब आएगी, ये तो ट्रायल की सफलता के बाद ही पता चलेगा.

बिहार में कोरोना
बिहार में कोरोना के रिकवरी रेट को लेकर सरकार अपनी पीठ भले ही थपथपा रही हो. लेकिन उसे आज से 1.5 महीने पहले मिल रहे आंकड़ों पर भी गौर कर लेना चाहिए, जब एक दिन में कोरोना के 3 से 5 हजार मामले सामने आ रहे थे. बिहार में कोरोना के कुल मामलों की बात की जाए, तो इनकी संख्या 2 लाख 30 हजार 632 पहुंच गई है.

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बिहार में कोरोना की एंट्री के बाद जून से अगस्त तक जो विस्फोट हुआ उसके आंकड़े किसी से छिपे नहीं हैं. लागू लॉकडाउन ने लोगों को 6 महीनों तक घरों में कैद रखा. ऐसे में मास्क के साथ-साथ दो गज की दूरी को ध्यान में रखना होगा. कोरोना की सभी गाइडलाइन्स का पालन करना होगा. साथ ही साथ सरकार को भी अलर्ट मोड पर सूबे में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए एहतियाती कदम उठाने होंगे.

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(ईटीवी भारत लगातार कोरोना वायरस बचाव को लेकर लोगों को जागरूक करता रहा है. जन सरोकार के साथ-साथ इस खबर का उद्देश्य भी आपको आगाह करना है. सावधान रहें, सुरक्षित रहें.)

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