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कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व संकट को लेकर पत्र लिखने वालों में नाराजगी

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Published : Aug 27, 2020, 9:05 PM IST

कांग्रेस चार सदस्यीय पैनल गठित करने के लिए तैयार है, जो पत्र में उठाए गई चिंताओं के बारे में चर्चा करेगा. जिन लोगों ने उस पत्र को लिखा था, वे उम्मीद कर रहे हैं कि समिति में कम से कम एक नेता होगा जो पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठा सकता है.

कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व संकट
कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व संकट

नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी के लिए नेतृत्व का संकट और गहराता जा रहा है. कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के बाद भी 23 कांग्रेस नेताओं द्वारा पेश की गई चिट्ठी मामले पर समस्या और गंभीर होती दिखाई दे रही है. अभी भी कांग्रेस पार्टी और चिट्ठी पेश करने वाले 23 कांग्रेस नेताओं के बीच सुलह होता नजर नहीं आ रहा है.

उत्तर प्रदेश की कांग्रेस इकाई ने उन 23 कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, जिन्होंने चिट्ठी लिखी थी. इन 23 कांग्रेस नेताओं के विरोध किए जाने पर नाराजगी जताई है साथ ही यह भी आरोप लगाया की उनके साथी ही उन्हें निशाना बना रहे हैं.

लखीमपुर खीरी में कांग्रेस की इकाई में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें असंतुष्टों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई. इसमें उस पत्र के हस्ताक्षरकर्ता जितिन प्रसाद को निष्कासित करने की भी बात कही गई.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जितिन प्रसाद को आधिकारिक तौर पर यूपी में निशाना बनाया जा रहा है. कांग्रेस को बीजेपी पर निशाना साधने की जरूरत है बजाय इसके कि अपनों पर निशाना साधकर उर्जा नष्ट की जाए. पत्र के एक अन्य हस्ताक्षरकर्ता मनीष तिवारी ने भी सिब्बल के ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा ‘भविष्यदर्शी’.

कांग्रेस के लखीमपुर खीरी की जिला समिति द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया है जिला कांग्रेस कमेटी मांग करती है कि पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले सभी लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए और उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया जाए.

कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने पत्र में पूर्णकालिक, सक्रिय और दृश्यमान नेतृत्व की मांग की जिसपर सीडब्ल्यूसी की बैठक के दौरान तेज प्रतिक्रिया देखी गई, जिसमें अंबिका सोनी, अधीर रंजन चौधरी सहित कई नेता शामिल थे. खुद को कांग्रेस का वफादार कहने वाले राजीव साटव, सुष्मिता देव सहित कई अन्य नेताओं ने "पार्टी असंतुष्टों" के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की.

हालांकि सीडब्ल्यूसी की बैठक के अंत में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी समापन टिप्पणी में कहा कि कांग्रेस एक परिवार की तरह है और इसे सदस्यों के बीच मतभेदों के बावजूद एक साथ काम करना चाहिए. गांधी ने यह भी कहा कि असंतुष्टों के खिलाफ उनके मन में कोई दुर्भावना नहीं है.

राज्य सभा के पूर्व उपाध्यक्ष और पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक पीजे कुरियन ने ईटीवी भारत से कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने जो कहा है वह अंतिम बात है. उन्होंने कहा है कि हम एक परिवार हैं और वह निश्चित रूप से चर्चा करेंगे. मुझे यकीन है कि हमारे मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा.

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सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ने लगभग 23 नेताओं से बात की है, जिन्होंने उस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं और उन्हें आश्वासन दिया है कि उनकी चिंताओं को दूर किया जाएगा. कुछ नेताओं ने यहां तक ​​स्पष्ट किया कि वे गांधी के नेतृत्व के खिलाफ नहीं हैं बल्कि पार्टी के पुनर्गठन की आवश्यकता पर भी बल देते हैं.

कांग्रेस चार सदस्यीय पैनल गठित करने के लिए भी तैयार है, जो पत्र में उठाए गई चिंताओं के बारे में चर्चा करेगा. जिन लोगों ने उस पत्र को लिखा था, वे उम्मीद कर रहे हैं कि समिति में कम से कम एक नेता होगा जो पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठा सकता है.

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