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चिदंबरम के बाद हरीश रावत पर शिकंजा, FIR दर्ज कराने की तैयारी में CBI

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Published : Sep 3, 2019, 11:17 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 8:52 AM IST

बहुचर्चित विधायकों की खरीद-फरोख्त के स्टिंग मामले में पूर्व CM हरीश रावत के खिलाफ CBI ने नैनीताल HC में मॉडिफिकेशन पत्र दायर किया. कोर्ट ने CBI का प्रार्थना पत्र स्वीकार कर लिया है. पढ़ें पूरी खबर...

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत

नैनीताल: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. CBI (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) रावत के खिलाफ FIR दर्ज करने की तैयारी में है, जिसके बाद CBI उन्हें कभी भी गिरफ्तार कर सकती है.

प्रदेश के बहुचर्चित विधायकों की खरीद-फरोख्त के स्टिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर कभी भी गाज गिर सकती है. मंगलवार को CBI ने इस मामले में नैनीताल हाई कोर्ट में मॉडिफिकेशन पत्र दायर किया है.

जानकारी देते हुए सीबीआई अधिवक्ता

मॉडिफिकेशन पत्र में CBI ने कहा कि स्टिंग की प्रारंभिक जांच पूरी कर ली गई है और अब उनको हरीश रावत की गिरफ्तारी करनी है. जिसके लिए वह आज कोर्ट में आए हैं. क्योंकि हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई में सीबीआई को निर्देश दिए थे कि वो हरीश रावत की गिरफ्तारी करने से पहले हाई कोर्ट को अवगत कराएंगे.

मंगलवार को इस मामले पर फिर से सुनवाई हुई और कोर्ट ने CBI का प्रार्थना पत्र स्वीकार कर लिया.

CBI की जांच में सहयोग के लिए कहा गया था
पिछली सुनवाई में नैनीताल हाई कोर्ट की एकल पीठ ने हरीश रावत को CBI की जांच में सहयोग करने के लिए कहा था. साथ ही सीबीआई को निर्देश दिए थे कि वह हरीश रावत की गिरफ्तारी न करें.

कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिए थे कि अगर हरीश रावत की गिरफ्तारी करने की जरूरत पड़ेगी तो सीबीआइ गिरफ्तारी से पहले हाई कोर्ट की एकल पीठ को अवगत कराएंगे. जिसके बाद से CBI मामले की जांच कर रही थी.

CBI जांच को हटाकर जांच SIT से करने का किया था फैसला
इससे पहले अपने कार्यकाल में मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत ने 15 जून 2016 की कैबिनेट बैठक में उन पर चल रही सीबीआई जांच को हटाकर जांच एसआईटी से करने का फैसला लिया था. जिसको कांग्रेस के बागी विधायक और वर्तमान में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने नैनीताल हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.

उन्होंने कहा था कि राज्यपाल यदि किसी मामले में एक बार सीबीआई जांच की संस्तुति दे देते हैं तो उसे हटाया नहीं जा सकता, लेकिन राज्य सरकार ने 15 जून को हुई बैठक में हरीश रावत पर चल रही सीबीआई जांच को हटाने की संस्तुति कर दी, जो नियम विरुद्ध है. साथ ही हरक सिंह रावत ने हरीश रावत पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी

पढ़ेंः नारदा मामलाः CBI ने बंगाल के मंत्री और IPS ऑफिसर के वॉइस सैंपल टेस्ट किए

CBI के पास गया मामला
इसके बाद से मामला सीबीआई के पाले में चला गया था. सीबीआई ने करीब डेढ़ माह बाद अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी. अब मामले की अगली सुनवाई 20 सितंबर को होगी.

क्या था मामला

  • मार्च 2016 में विधान सभा में वित्त विधेयक पर वोटिंग के बाद नौ कांग्रेस विधायकों ने बगावत कर दी थी.
  • जिसके बाद एक निजी न्यूज चैनल ने विधायकों की कथित खरीद फरोख्त का स्टिंग जारी किया गया था.
  • इस स्टिंग के आधार पर तत्कालीन राज्यपाल कृष्णकांत पॉल ने केंद्र सरकार को स्टिंग मामले की CBI जांच की संस्तुति कर भेज दी थी.
  • केंद्र ने संविधान के अनुच्छेद-356 का उपयोग करते हुए रावत सरकार को बर्खास्त कर दिया था.
  • हालांकि बाद में हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट से हरीश रावत की सरकार बहाल हो गई थी.
  • बाद में कैबिनेट बैठक में स्टिंग प्रकरण की जांच सीबीआइ से हटाकर एसआइटी से कराने का निर्णय लिया था.
  • लेकिन तत्कालीन बागी विधायक व वर्तमान में कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने कैबिनेट के इस निर्णय को हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी.
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प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर गिर सकती है सीबीआई की जांच सीबीआई हरीश रावत को कभी भी कर सकती है गिरफ्तार।

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प्रदेश के बहुचर्चित विधायकों की खरीद-फरोख्त के स्टिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर कभी भी गाज गिर सकती है क्योंकि विधायकों की खरीद-फरोख्त के मामले में सीबीआई अब हरीश रावत की कभी भी गिरफ्तारी कर सकती है क्योंकि आज स्टिंग के मामले में सीबीआई द्वारा नैनीताल हाईकोर्ट में मॉडिफिकेशन पत्र दायर कर कहा है कि उनके द्वारा स्टिंग की प्रारंभिक जांच पूरी कर ली गई है और अब उनको हरीश रावत की गिरफ्तारी करनी है जिसके लिए वह आज कोर्ट में आए हैं,
क्योंकि कोर्ट ने पूर्व में सीबीआई को निर्देश दिए थे कि वो हरीश रावत की गिरफ्तारी करने से पहले हाई कोर्ट को अवगत कराएंगे और आज मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सीबीआई की प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया।



Body:आपको बता दें कि 2016 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया था जिसके बाद से उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार गिरी और सरकार गिरने के बाद राज्यपाल की संस्तुति से हरीश रावत पर सीबीआई जांच शुरू हुई और सीबीआई हरीश रावत की गिरफ्तारी की तैयारी कर रहा था लेकिन इसी बीच हरीश रावत ने स्टिंग को फर्जी बताते हुए नैनीताल हाईकोर्ट की शरण ली और अपनी गिरफ्तारी पर रोक और सीबीआई जांच को खत्म करने की मांग की थी।


Conclusion:मामले की सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट की एकल पीठ ने
हरीश रावत को सीबीआई जांच में सहयोग करने के आदेश दिए थे साथ ही सीबीआई को निर्देश दिए थे कि वह हरीश रावत की गिरफ्तारी ना करें साथ ही सीबीआई को आदेश दिए थे कि अगर हरीश रावत की गिरफ्तारी करने की जरूरत पड़ेगी तो सीबीआई गिरफ्तारी से पहले वो हाईकोर्ट की एकल पीठ को अवगत कराएंगे जिसके बाद से सीबीआई मामले की जांच कर रही थी,
साथ ही स्टिंग मामले में 15 जून 2016 की कैबिनेट बैठक में हरीश रावत पर चल रही सीबीआई जांच को हटाकर जांच एसआईटी से करने का फैसला लिया था, जिसको हरक सिंह रावत ने नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि अगर राज्यपाल किसी मामले में एक बार सीबीआई जांच की संस्तुति दे देते हैं तो उसे हटाया नहीं जा सकता लेकिन राज्य सरकार द्वारा 15 जून को हुई बैठक में हरीश रावत पर चल रही सीबीआई जांच को हटाने की संस्तुति कर दी जो नियम विरुद्ध है साथ ही हरक सिंह रावत ने हरीश रावत पर एफ आई आर दर्ज करने की मांग की थी।

जिसके बाद से मामला सीबीआई के पाले में था और सीबीआई मामले में गहनता से विधायकों की खरीद-फरोख्त पर जांच कर रही थी, और अब करीब डेढ़ साल बाद सीबीआई ने जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है, अब मामले में 20 सितंबर को सुनवाई होगी।

बाईट- संदीप टंडन, अधिवक्ता सीबीआई।
Last Updated : Sep 29, 2019, 8:52 AM IST
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