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पंजाब की स्थानीय राजनीति के दबाव में हरसिमरत ने दिया इस्तीफा : भाजपा

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Published : Sep 20, 2020, 3:40 PM IST

कृषि संबंधी विधेयकों के विरोध में केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मोदी मंत्रिमंडल इस्तीफा दे दिया है. अब भाजपा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि कौर ने पंजाब की स्थानीय राजनीति के चलते इस्तीफा दिया.

Harsimrat Kaur
हरसिमरत कौर

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल से हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. भाजपा का मानना है कि हरसिमरत कौर के केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफे के पीछे पंजाब की स्थानीय राजनीति प्रमुख वजह है. हालांकि, भाजपा को अब भी उम्मीद है कि वह इस मसले पर सहयोगी दल से बातचीत कर मामले को सुलझा लेगी.

भाजपा में आर्थिक मामलों के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा, 'तीनों कृषि बिलों से किसानों को ही फायदा पहुंचने वाला है. लेकिन पंजाब में जिस तरह से कांग्रेस ने झूठ फैलाया है, उससे मुझे लगता है कि शिरोमणि अकाली दल भी स्थानीय राजनीति के दबाव में आ गई, जिसकी वजह से हरसिमरत कौर से इस्तीफा दिलाया गया. जबकि तीनों बिलों से किसानों को होने वाले फायदे से शिरोमणि अकाली दल भी वाकिफ है.'

गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि भाजपा तीनों बिलों को लेकर फैलाए जाने वाले झूठ का लगातार पदार्फाश कर रही है. कांग्रेस व अन्य विरोधी राजनीति दल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) हटाने का झूठ फैला रहे हैं, जबकि तीनों बिलों से एमएसपी का कोई लेना-देना नहीं है. एमएसपी ही नहीं एपीएमसी भी नहीं हट रहा है.'

भाजपा प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि जिस तरह से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विपक्ष ने जनता में भ्रम फैलाने की कोशिश की थी, उसी तरह से कृषि सुधारों से जुड़े इन तीनों बिलों पर भी विपक्ष झूठ फैला रहा है. गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि वर्षों से किसानों की चली आ रही मांगों को ही इन तीनों बिलों के जरिए सरकार पूरा करने की कोशिश कर रही है.

punjab politics
जानिए क्यों हो रहा विरोध

दरअसल, मौजूदा संसद सत्र में मोदी सरकार कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन प्रमुख बिल लेकर आई है, जिसका विपक्ष विरोध कर रहा है. इसमें आवश्यक वस्तु अधिनियम व द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रोमोशन एंड फेसिलिटेशन) बिल शामिल है. इसके जरिए हर किसी को कृषि उत्पाद खरीदने-बेचने की अनुमति देने की मंशा है.

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तीसरा बिल फार्मर (एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्युरेंस एंड फार्म सर्विसेज है, इसके जरिए अनुबंध आधारित खेती को वैधता प्रदान होगी. विरोध करने वाले नेताओं का कहना है कि यह बिल किसानों को नहीं बल्कि पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने वाले हैं.

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