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बाइडेन का ह्वाइट हाउस में होना अर्थव्यवस्था, व्यापार के लिए बेहतर होगा

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Published : Dec 8, 2020, 10:47 PM IST

दुनियाभर के व्यापार विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जो बाइडेन का अगले अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में होना वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार के हित में बेहतर होगा. हालांकि उनके लिए राह आसान नहीं होगी. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी की रिपाेर्ट...

बाइडेन
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नई दिल्ली: अमेरिका में ह्वाइट हाउस की दौड़ के लिए बढ़ते राजनीतिक संघर्ष के बावजूद दुनिया के व्यापार विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जो बाइडेन का अगले अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में होना वैश्विक अर्थव्यवस्था और व्यापार के हित में बेहतर होगा. उनका यह कहना है कि बाइडेन प्रशासन कम टकराव करने वाला होगा जो वैश्विक व्यापार के लिए अच्छा रहेगा.

मलेशिया के कुआलालम्पुर स्थित एशिया स्कूल ऑफ बिजनेस में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हेंस जेनबर्ग ने कहा कि मेरे हिसाब से सबसे पहले उम्मीद है कि एक परिवर्तन होगा. संयुक्त राज्य अमेरिका में कुछ हद तक चीजें व्यंग्यात्मक रूप से चल रही हैं. लेकिन अंततः सत्ता में बदलाव होगा. वाशिंगटन डीसी स्थित अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के स्वतंत्र मूल्यांकन कार्यालय में सहायक निदेशक रहे प्रोफेसर जेनबर्ग का कहना है कि अगले अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडेन का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

प्रोफेसर जेनबर्ग ने आर्थिक नीति के थिंक टैंक ईग्रोव फाउंडेशन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि 'मुझे लगता है कि बाइडेन प्रशासन कम टकराव वाला होगा और यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए सकारात्मक होगा.' ईटीवी भारत के एक सवाल में प्रोफेसर जेनबर्ग ने बताया कि दुनिया में आर्थिक विकास को आगे ले जाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार महत्वपूर्ण चालक का काम करता है. शीर्ष अर्थशास्त्री जेनबर्ग यह भी उम्मीद लगाए हुए हैं कि बाइडेन प्रशासन बड़े प्रोत्साहन उपाय के माध्यम से अर्थव्यवस्था में जान डालने की कोशिश करेगा.

दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए नीतिगत ब्याज दरों का फैसला करने वाले अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने महामारी के शुरुआती दिनों में हाल के इतिहास में सबसे बड़ा प्रोत्साहन उपाय का खुलासा किया जो कि देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 13 फीसद के आसपास हैं और एक अनुमान के अनुसार 2.7 (ट्रिलियन) खरब डॉलर के करीब है. यह वैश्विक मंदी के दौर 2008-09 के लिए जारी की गई प्रोत्साहन राशि से भी बड़ी रकम है.

अत्यधिक संक्रामक सार्स कोव-2 वायरस ने दुनिया भर में 15 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली है, संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे अधिक 2.5 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रारंभिक अनुमान के अनुसार विश्व अर्थव्यवस्था को 9 ट्रिलियन (खरब) डॉलर से अधिक का नुकसान होने की संभावना है.

प्रोफेसर जेनबर्ग ने कहा कि मुझे भी लगता है बाइडेन प्रशासन संयुक्त राज्य अमेरिका में और अधिक प्रोत्साहन उपायों के माध्यम से अर्थव्यवस्था में जान डालने की कोशिश करने जा रहा है. संयुक्त राज्य में प्रोत्साहन उपायों की आवश्यकता है, क्योंकि बेरोजगारी बहुत ही ज्यादा है.

बाइडेन के लिए राह मुश्किल

वह बताते हैं कि अगर सीनेट का नियंत्रण अभी भी रिपब्लिकन करते हैं तो बाइडेन प्रशासन के लिए इन नीतियों को लागू करना आसान नहीं होगा. प्रोफेसर जेनबर्ग ने बाइडेन की टीम के सामने आने वाली चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि समस्या यह है कि राजकोषीय प्रोत्साहन उपायों के लिए सीनेट की मंजूरी की जरूरत होती है और स्थिति यह है कि सीनेट को अभी भी रिपब्लिकन की ओर से नियंत्रित किया जा रहा है, फिर इन नीतियों को एक साथ रखना और उन्हें प्रभावी बनाना कठिन प्रक्रिया होगी.

प्रोफेसर जेनबर्ग ने ईटीवी भारत को बताया कि कुल मिलाकर मुझे विश्वास है कि बाइडेन प्रशासन अंतरराष्ट्रीय संबंधों में स्थिरता लाएगा और इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

ट्रंप के अंदाज की वजह से प्रभावित हुई व्यापार वार्ता

अन्य शीर्ष अर्थशास्त्रियों का भी मानना है कि बाइडेन की संस्थागत शैली और कम टकराव वाला नजरिया वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर होगा. ईटीवी भारत के साथ पहले बातचीत में बेंगलुरू स्थित बीएएसई विश्वविद्यालय के कुलपति एनआर भानुमूर्ति ने कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बहुत ही सख्त बातचीत करने वाले थे और इससे वैश्विक व्यापार वार्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा.

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उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि व्यापार वार्ता के मामले में कोई भी ट्रंप की तुलना में अधिक सख्त हो सकता है. प्रोफेसर भानुमूर्ति ने कहा था कि ट्रंप ऐसे व्यक्ति हैं जो पूरी तरह से व्यापार खत्म कर सकते हैं. व्यापार वार्ता के अंत में यदि दोनों देशों के बीच कोई व्यापार नहीं होता है तो यह और भी बुरा है और यह सबसे खराब व्यापार वार्ता हो सकती है. और यह ट्रंप प्रशासन के तहत हुआ है.

वायरस का अर्थव्यवस्था पर दबाव बना रहेगा

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान 2007-09 में भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे डॉ. अरविंद विरमानी ने इसी कार्यक्रम में चेतावनी दी कि ह्वाइट हाउस में गार्ड बदलने के बावजूद वैश्विक अर्थव्यवस्था को वायरस से खतरा बना रहेगा.

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डॉ. विरमानी ने कहा कि हम वायरस की दूसरी या तीसरी लहर के कारण पीछे की ओर भी जा सकते हैं. वायरस के संक्रमण का डर आर्थिक विकास पर एक दबाव है. यह कहते हुए डॉ. विरमानी ने कहा कि कुछ बड़ी दवा कंपनियों की ओर से कोविड वैक्सीन की बहुत अधिक सफलता दर की घोषणा किए जाने के बावजूद ये टीके कितने प्रभावी हैं इसे लेकर अभी अनिश्चितता बनी हुई है.

ईटीवी भारत के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अगर उनके पास वास्तव में एक प्रभावी टीका है और अगर इसे बड़ी संख्या में वितरित किया जा सकता है तो निश्चित रूप से इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

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