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'देश में जहां अच्छी कीमत मिलेगी, वहां अपनी फसल बेच सकेंगे किसान'

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Published : May 16, 2020, 4:13 PM IST

Updated : May 16, 2020, 5:24 PM IST

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केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

केंद्र सरकार ने देश के अलग-अलग वर्गों के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है. इसमें किसानों के लिए काफी कुछ है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आजाद भारत में किसानों को राहत प्रदान करने के लिए वर्तमान सरकार ने सबसे बड़ा कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि अब किसान देश के किसी कोने में अपनी फसल बेच सकता है. उन्हें जहां अच्छी कीमत मिलेगी, वे वहां अपनी फसल बेच सकते हैं. तोमर ने ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रज मोहन सिंह से बातचीत के दौरान कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए किए जा रहे उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

भोपाल/दिल्ली : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ईटीवी भारत से बातचीत में किसानों के बारे में बताया कि उन्हें कैसे राहत पैकेज से लाभ मिलेगा और कैसे किसान कोरोना संकट काल में योद्धा बनकर लड़ रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 12 मई को 20 लाख करोड़ के पैकेज का एलान किया था, उसमें से कृषि क्षेत्र में कितनी राशि दी जाएगी. इस सवाल का मंत्री ने विस्तार से जवाब दिया.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आजाद भारत में मोदी सरकार ने किसानों के लिए जो कदम उठाए हैं, उससे किसानों की आमदनी दोगुनी से भी अधिक होगी. उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही उस योजना को सामने लाएगी, जिसके तहत किसान देश के किसी भी हिस्से में अपनी फसल बेच सकेगा. सरकार इसके लिए कानून लाने पर गंभीरता से विचार कर रही है. विपक्षी दलों से भी बातचीत होगी.

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तोमर ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में देश सिर्फ खड़ा न हो, बल्कि वह आगे बढ़े और दौड़े इसके लिए पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया है, पीएम मोदी की प्राथमिकता पर हमेशा से ही गांव-गरीब और किसान रहा है. जब लॉकडाउन 1.0 की घोषणा हुई, तब पीएम ने 1.70 लाख करोड़ रुपये के गरीब कल्याण पैकेज की घोषणा की थी. हम ये कह सकते हैं कि ऐसी आपदा की स्थिति में कोई भी हमारे देश में भूखा नहीं रहा. हर प्रकार की उपलब्धता लॉकडाउन की स्थिति में बनी रही, लोगों की तकलीफ दूर करने की सरकार की कोशिश सफल रही.

कृषि क्षेत्र देश के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारा देश कृषि प्रधान है. कई कोशिशों के बाद भी देश को कृषि के लिए प्रकृति पर निर्भर रहना पड़ता है. इसलिए कभी-कभी इसमें कुछ नुकसान उठाना पड़ता है, लेकिन सबसे अच्छी बात ये है कि संकट की इस घड़ी में कृषि के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल की है. हमारा किसान कोरोना से योद्धा बनकर लड़ा है. वह बुआई और कटाई के लिए तैयार है. ग्रीष्मकालीन फसल पिछले साल की तुलना में 45 फीसदी ज्यादा बुआई की है. लॉकडाउन के इस दौर में कृषि का ज्यादा ध्यान रखा गया है. समर्थन मूल्य पर किसान की खरीद का मामला, किसान बीमा योजना, पीएम किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं के जरिए अभी तक एक लाख करोड़ रुपए किसानों की जेब तक पहुंचा है.

वर्तमान में जो पैकेज है, उसका एक बड़ा हिस्सा समग्र विचार कर पीएम मोदी ने कृषि क्षेत्र को दिया है, इन 70 सालों में कृषि के क्षेत्र में जो भी गैप बना है, उसे भरने का विचार किया है. इसमें अधोसरंचना का सवाल, ब्याज में सब्सिडी, दुग्ध उत्पादन, पशुपालन का सवाल हो या फिर मंडी एक्ट का सवाल हो, सभी पर विचार कर पीएम मोदी ने एक लाख करोड़ का पैकेज घोषित किया है, ये पैकेज जब जमीनी स्तर पर उतरेगा तो कई सरंचनाएं बनेंगी. कोल्ड स्टोरेज वेयर हाउस बनेंगे. किसानों को उचित दाम मिलेगा.

फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए 10 हजार करोड़ का एलान किया है, एनिमल हसबैंड्री के लिए 17 हजार करोड़, फिशरीज के लिए 20 हजार करोड़ का एलान किया है. टॉप योजना को वेजिटेबिल के लिए लागू कर दिया गया है, मंडी एक्ट को सेंट्रल एक्ट बनाने की भी बात की जा रही है. दुग्ध उत्पादक और सहकारी समितियों को ब्याज पर 4 प्रतिशत सब्सिडी देने का एलान किया है.

मंत्री ने बताया कि आजादी के 70 साल बाद से जो चलन चला आ रहा था, उसे बदलना आत्मनिर्भर भारत के लिए बहुत जरुरी है. इसके लिए सभी किसान संगठनों को विचार करना चाहिए. पिछले एक साल में पीएम किसान योजना के अंतर्गत 71 हजार करोड़ किसान की जेब में डालने का काम हुआ. फसल बीमा योजना का लोगों को लाभ मिल रहा है. 6 हजार करोड़ से ज्यादा का फंड ट्रांसफर हुआ है. 75 हजार करोड़ की खरीदी की जा चुकी है. 275 लाख टन गेहूं की खरीदी, 60 लाख टन धान, 8 लाख टन से ज्यादा दलहन-तिलहन की खरीदी हो चुकी है.

देखें पूरा साक्षात्कार

नरेंद्र सिंह तोमर से खास बातचीत. वीडियो देखें-

सवाल- दक्षिण हरियाणा और राजस्थान सहित देश के कई हिस्सों में किसानों की फसल नहीं बिक पा रही है.

जवाब- ईटीवी भारत के माध्यम से सभी किसानों और राज्यों को कहना चाहता हूं कि हमारे यहां दो एजेंसियां हैं, जो फसलों की खरीदी करती हैं, दलहन-तिलहन नैफेड (NAFED) एजेंसी खरीदती है, जबकि गेहूं-धान को एफसीआई खरीदता है. दोनों के पास राशि की पर्याप्त उपलब्धता है, दो दिन के अंदर भुगतान पहुंच जाए, ये निर्देश हमने दिए हैं. खरीदी के बाद राज्य सरकार केंद्र सरकार को रिपोर्ट करती है, उसके बाद सरकार की जो एजेंसी नैफेड के साथ खरीदी कर रही है, उसे भुगतान कर देते हैं. केंद्र की तरफ से दो दिन में भुगतान हो जाता है, लेकिन अभी तक किसी भी राज्य ने रिपोर्ट नहीं दी है. अगर हरियाणा की बात करें तो वहां नैफेड और हैफेड भी खरीदता है. अगर किसी भी राज्य को परेशानी है तो वह सीधे हमसे संपर्क कर सकता है. एजेंसी की तरफ से सूचना आने पर 48 घंटे में पेमेंट हो जाएगा.

सवाल- कोई भी किसान कहीं भी जाकर फसल बेच सकता है.

जवाब- केंद्र सरकार ने राज्यों को एडवाइजरी भेजी थी कि एपीएम ऐप से उनको तीन महीने की छूट दें, जबकि नीति आयोग का मॉडल एक्ट भी राज्य सरकारों को भेजा है. राहत पैकेज में अंतरराज्यीय व्यापार कृषि उत्पाद बढ़ सके, ये कहा गया है. किसानों को किसी भी तरह रोक-टोक न हो, किसी तरह की कानूनी बंदिश न हो, टैक्स का बोझ किसानों पर न हो, ये आजाद भारत में सबसे बड़ा कदम है. इस कदम के बाद किसी भी राज्य का किसान अपनी फसल कहीं भी बेच सकता है.

सवाल- गैर बीजेपी सरकारों में इस रिफॉर्म पर सहमति बन सकती है क्या?

जवाब- ईटीवी भारत के जरिए सभी राज्यों से कहना चाहता हूं कि सरकार का महत्व किसान और गरीब दो ही लोगों से होता है. बाकि लोग सरकार के कानून के अंतर्गत आते हैं, लेकिन इन दो तबकों के बारे में सरकारों को सोचना चाहिए. पहले जिस डीबीटी का विरोध होता था, आज वह कितना सफल है. इसके जरिए बिचौलिए, भ्रष्टाचार और दलाली खत्म हो गई. पीएम किसान निधि के जरिए 9 करोड़ किसानों को 18 हजार करोड़ रुपये भेजे गए हैं. 75 हजार करोड़ रुपये किसानों को पेमेंट डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से किया गया है.

सवाल- जो मजदूर अपने घरों की तरफ चले गए हैं, क्या उनके जाने से कृषि क्षेत्र में समस्या आएगी.

जवाब- कृषि क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की ज्यादा आवाजाही नहीं हुई है, अभी जिन मजदूरों की चर्चा पूरे देश में हो रही है, वे तीन तरह के हैं. पहले वे जो दूर कहीं से जाकर किसी कारखाने में स्थाई रुप से काम करते हैं, दूसरे वे जो ठेके पर मजदूरी करते हैं. तीसरे वे जो कृषि के क्षेत्र में बुआई-कटाई का काम करते हैं. जब लॉकडाउन था, तब आंशिक रूप से मजदूरों की आवाजाही हुई है. फसल कटाई के वक्त देश में आवाजाही पूरी तरह से बंद थी. पीएम ने लॉकडाउन में खेती के क्षेत्र में किसान मजदूर और मशीन को छूट दी थी. उस वक्त किसान और मजदूर जा पाए, ये स्वीकृति थी. लेकिन वे दूसरे जिले और राज्य नहीं जा सकते थे. एक दिन बिना देर किए, दलहन-तिलहन और गेहूं की कटाई और बुआई हुई, वहीं अब उपार्जन का काम चल रहा है.

सवाल- केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से किसानों को सहायता दी गई, लेकिन पूरे देश की स्थिति क्या है.

जवाब- खाद्यान्न और दलहन की दृष्टि से आत्मनिर्भर ही नहीं बल्कि सरप्लस है. हमारे पास खाद्यान का पर्याप्त भंडार है. खरीफ की फसल भी मौसम के मुताबिक बेहतर उपार्जन होगी.

सवाल- गेहूं की फसल को एक्सपोर्ट और इंपोर्ट दूसरे देश में करेंगे.

जवाब- हिन्दुस्तान मानववादी देश है, जब दवाइयों की जरुरत थी हमने दिया. अगर खाद्यान की जरुरत होती है तो हम जरुर देंगे. भारत दूसरे देशों को खाद्यान उपलब्ध कराने की स्थिति में है.

सवाल- 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की स्थित में हैं, क्या इस टारगेट तक हम पहुंच पाएंगे?

जवाब- पहले तो लॉकडाउन के चलते लग रहा था कि ये परेशानी पैदा करेगा, लेकिन ऐसे संकट में किसानों ने जिस तरह से काम किया है, उससे कह सकते हैं कि हम अगर और गति से काम करेंगे तो आने वाले समय में इन लक्ष्यों को पार कर सकेंगे. पीएम मोदी ने कहा है कि अगर आपदा आती है उसमें अवसर खोजने चाहिए. लिहाजा इस आपदा में हमे अवसर खोजने हैं. आने वाले कल में आत्मनिर्भर भारत का निर्माण होगा.

सवाल- हरियाणा के किसानों को बासमती चावल के निर्यात में परेशानी आ रही है, इस पर आपका क्या कहना है?

जवाब- कृषि उत्पाद का निर्यात हो इस मामले में सरकार पूरी तरह जागरुक है, कॉमर्स मिनिस्ट्री के साथ मिलकर ये कोशिश कर रहे हैं कि किसी भी तरह का अवरोध न पैदा हो.

Last Updated :May 16, 2020, 5:24 PM IST
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