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ट्रंप या बाइडेन में किसे चुनेंगे भारतीय, जानें किसका पलड़ा भारी

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Published : Oct 2, 2020, 7:08 PM IST

Updated : Oct 2, 2020, 10:53 PM IST

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका में 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में भारी उलट-फेर होने वाला है. जानकारों के अनुसार डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडेन को भारतीय अमेरिकियों की तरफ से अधिक वोट मिलने की उम्मीद है. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय-अमेरिकी समुदाय को लुभाने की होड़

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नई दिल्ली: अमेरिका में तीन नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव है. दुनिया की नजर सबसे ताकतवर देश की तरफ टिकीं हुई हैं. क्या वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद को कायम रख पाएंगे या फिर उनके प्रतिद्वंदी जो बाइडेन उन्हें चुनावी पटखनी देने में कामयाब होंगे. यह सारे ऐसे सवाल हैं जो आने वाले समय के साथ साफ हो जाएंगे.

हाल ही में इंडिस्पोरा, एक गैर-प्रतिपक्ष प्रवासी संगठन और एएपीआई डेटा द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार जो बाइडेन को भारतीय अमेरिकियों की तरफ से अधिक वोट मिलने की उम्मीद जताई गई है.

रिपोर्ट के अनुसार जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडेन में से सबसे अधिक बाइडेन की तरफ भारतीय अमेरिकी लोगों का झुकाव देखा जा रहा है.

इस चुनाव को लेकर विशेषज्ञों की अपनी अलग राय है. वे मानते हैं कि वर्तमान में तीन में से दो भारतीय अमेरिकी डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन को अपनी पहली पसंद मानते हैं.

हालांकि विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप के समर्थन में भी काफी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.

इस बड़ी बहस पर ईटीवी भारत के समक्ष रशियन एंड सेंट्रल एशियन स्टडीज, स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज जेएनयू के प्रोफेसर राजन कुमार ने अपनी बात रखी. उनका मानना है कि अमेरिकी समाज में हो रहे ध्रुवीकरण के कारण काफी कुछ बदल सकता है.

प्रो. राजन कुमार ने कहा, अमेरिका में गोरे वर्चस्ववादी कई स्थानों पर सक्रिय हो गए हैं. जो वहां के अल्पसंख्यकों को डराने का काम कर रहे हैं. देश में हो रहे इस तरह के ध्रुवीकरण के कारण वहां डेमोक्रेटिक पार्टी को वोट मिलने की संभावना प्रबल होती दिख रही है.

प्रोफेसर राजन ने कहा कि श्वेत वर्चस्ववादी द्वारा किए गए हिंसा को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे, ट्रंप से पूछे गए इस सवाल पर अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपनी आंखें फेर लीं.

उन्होंने सिर्फ आंखें ही नहीं फेरी बल्कि कोई भी जवाब देने से इंकार कर दिया.

दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका में टेक्सास, केंटकी जैसी जगहों पर अल्पसंख्यकों का गोरे लोगों पर वर्चस्व है और वे बहुसांस्कृतिक नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि उन क्षेत्रों में रात में काम करने या यात्रा करने के लिए अश्वेत और अल्पसंख्यकों के लिए मुश्किल हो जाता है. क्योंकि एक डर है कि उन पर सिर्फ उनके रंग को लेकर बिना किसी कारण के हमला किया जा सकता है.

सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी चुनाव में 66 प्रतिशत भारतीय मतदाता बाइडेन को राष्ट्रपति चुनाव में अपनी उम्मीदवार के रूप में पसंद करते हैं. वहीं 28 प्रतिशत, डोनाल्ड ट्रम्प के पक्ष में हैं, जबकि 6 प्रतिशत अनिर्णीत हैं.

सूत्र बताते हैं कि जो बाइडेन के पास अनुमानित वोटों का एक बड़ा हिस्सा है.

जबकि जो बिडेन के पास अनुमानित वोटों का एक बड़ा हिस्सा है.

2016 में भारतीय अमेरिकियों ने 77 प्रतिशत वोट हिलेरी क्लिंटन को दिया. वहीं ट्रंप को मात्र 16 प्रतिशत भारतीय अमेरिकियों के प्राप्त हुए थे. इस लिहाज से 2016 में डेमोक्रेटिक की संख्या काफी कम है.

हालांकि, 67 प्रतिशत भारतीय अमेरिकियों ने कहा था कि वे 2016 के चुनावों में क्लिंटन को वोट देंगे. इस साल डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के संभावित वोट के बराबर, 80 प्रतिशत से अधिक ने 2012 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का समर्थन किया था.

एक रिपोर्ट के मुताबिक 24 प्रतिशत भारतीय अमेरिकी डेमोक्रेट का समर्थन करते हैं. वहीं 16 प्रतिशत रिपब्लिकन और 24 प्रतिशत किसी एक पार्टी से बंधे हुए नहीं पाए गए हैं. वे सभी स्वतंत्र हैं. सर्वेक्षण के परिणाम एएपीआई डेटा के 2020 एशियाई अमेरिकी मतदाता सर्वेक्षण से प्राप्त हुए हैं.

सर्वेक्षण में भारतीय अमेरिकियों के लगभग सभी (98%) ने कहा कि वे आगामी चुनाव में मतदान करेंगे.

एक समय था जब ट्रम्प ने गुजरात का दौरा किया और भारतीय मतदाताओं के एक वर्ग ने ट्रम्प का दृढ़ता से समर्थन किया. क्योंकि उन्होंने सोचा था कि ट्रम्प की मैक्सिकन और भारतीय सिखों, गुजरातियों और दक्षिण भारत की प्रमुख आबादी के लिए अलग-अलग-अलग पॉलिसी होंगी.

लेकिन 'गोरे नस्लवाद' सहित विभिन्न कारणों से अब यह प्रवृत्ति बदल रही है, अल्पसंख्यकों पर हमला और इस तथ्य के कारण भी कि ट्रम्प की आर्थिक नीतियां विशेष रूप से महामारी के संदर्भ में प्रभावी नहीं रहीं.

प्रोफेसर राजन कुमार ने कहा कि इन सभी बातों को सुनकर और समझकर समर्थकों के मन में ट्रंप को लेकर एक भय पैदा हो गया. इन परिस्थितियों में ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद क्या उनका भविष्य सुरक्षित रह पाएगा. यह उनके मन में सबसे बड़ा सवाल है.

प्रोफेसर राजन कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत में ट्रंप को लेकर एक डर को उजागर किया. वे इन तर्कों में नहीं पड़ना चाहते कि भारतीय मतदाता ट्रंप के साथ हो लिए हैं. क्योंकि भारतीय अमेरिकी मतदाताओं को भी लगने लगा है कि ट्रंप चुनाव हार सकते हैं. इसकी संभावना प्रबल है कि चुनाव में ट्रंप को छोड़कर मतदाता जो बाइडेन को वोट करें.

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लेकर गुजराती समुह की बात की.

प्रोफेसर राजन का कहना है कि गुजराती लोगों का एक निश्चित वर्ग है जो मोदी की वजह से ट्रंप को वोट कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि वे अमेरिका में भारतीय अमेरिकियों से लगातार संपर्क में हैं. उन्हें लगता है कि अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव में वे लोग निश्चित तौर पर ट्रंप का समर्थन नहीं कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि 80-90 प्रतिशत भारतीय अमेरिकी ट्रंप को छोड़कर डेमोक्रेट्स के उम्मीदवार जो बाइडेन का समर्थन करेंगे.

बातचीत के दौरान प्रोफेसर ने डेमोक्रेटिक पार्टी से उपराष्ट्रपति पद कीं उम्मीदवार कमला हैरिस का भी जिक्र किया.

उनका मानना है कि कमला हैरिस की भारतीय जड़े इस चुनाव का एक महत्वपूर्ण कारक है और यह प्रवासी अभियान कार्यक्रमों के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है.

इस बार के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में 1.8 मिलियन भारतीय अमेरिकी मतदाताओं को लुभाने के लिए ट्रंप और बाइडेन के कैंपेनर भारतीय पक्ष में अभियान चला रहे हैं.

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बता दें कि अमेरिका में फ्लोरिडा, पेंसिल्वेनिया और मिशिगन में भारतीय अमेरिकियों की स्थिति काफी मजबूत है. यह सभी स्थान ऐसे हैं जो अमेरिकी चुनाव को काफी हद तक प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं.

एएपीआई डेटा के सर्वेक्षण के अनुसार, फ्लोरिडा में 87,000, पेंसिल्वेनिया में 61,000 और मिशिगन में 45,000 भारतीय अमेरिकी मतदाता रहते हैं.

Last Updated :Oct 2, 2020, 10:53 PM IST
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