ETV Bharat / bharat

बांदा जेल में पांच महीने से अधीक्षक की कुर्सी खाली, क्या मुख्तार अंसारी की दहशत अब भी बरकरार?

author img

By

Published : Mar 31, 2022, 8:30 PM IST

Updated : Mar 31, 2022, 10:59 PM IST

mukhtar ansari
मुख्तार अंसारी

उत्तर प्रदेश के बांदा जेल में पिछले पांच महीने से जेल अधीक्षक की कुर्सी खाली है. यहां कोई जेल अधीक्षक आना नहीं चाहता है, क्या इसके पीछे बाहुबली मुख्तार अंसारी की दहशत तो नहीं है. पढ़िए स्पेशल रिपोर्ट में....

लखनऊ: अपराधी जेल आने से डरे तो यह माना जा सकता है, लेकिन जब अधिकारी ही किसी जेल में कुर्सी संभालने से डरने लगे तो मामला गंभीर हो जाता है. उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में कुछ ऐसा ही हुआ है. इस जेल में पिछले पांच महीनों से जेल अधीक्षक की कुर्सी खाली है. कोई भी अधिकारी यहां तैनाती नहीं चाहता है. इसी जेल में बाहुबली मुख्तार अंसारी बंद हैं. मुख्तार अंसारी को जिस जेल में आने से डर लग रहा था, अब उसी जेल में मुख्तार के आने के बाद अधिकारी तैनाती लेने नहीं पहुंच रहे हैं.

7 अप्रैल, 2021 को मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से बांदा जेल लाया गया था. ठीक एक महीने बाद यहां पर उन्नाव जेल से वरिष्ठ जेल अधीक्षक एके सिंह को तैनात किया गया. मुख्तार के नाम की दहशत कहें या फिर अन्य कारण चार महीने नौकरी करने के बाद एके सिंह बीमार हो गए और मेडिकल लीव पर चले गए. जेल की सुरक्षा को देखते हुए शासन ने बरेली जेल अधीक्षक विजय विक्रम सिंह का 12 नवंबर, 2021 को बांदा जेल तबादला कर दिया. लेकिन विजय विक्रम ने वहां तैनाती लेने से मना कर दिया. जिसके बाद शासन ने उन्हें सस्पेंड कर दिया. तब से अब तक शासन को कोई भी इस जेल के लिए अधीक्षक नहीं मिल सका है.

मुख्तार को पेशी पर लाए जाने की सूचना हुई थी लीक
बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी को 28 मार्च को बांदा जेल से लखनऊ एमपी एमएलए कोर्ट में पेशी के लिए लाया जाना था. अधिकारियों ने मुख्तार अंसारी की सुरक्षा को देखते हुए गोपनीयता से लखनऊ लाने का प्लान तैयार किया था. लेकिन ये सूचना लीक हो गई और मुख्तार के बेटे व उसके गुर्गों तक आग की तरह खबर फैल गई. यही नहीं मुख्तार के बांदा से निकलते ही दर्जनों गाड़िया काफिले के साथ हो चली थीं. जिसके बाद जेल मुख्यालय ने इस पूरे मामले की जांच बैठा दी है. इससे साफ है कि जेल में वरिष्ठ अधिकारी की तैनाती न होने से सुरक्षा व जेल की गोपनीयता दोनों खतरे में है.

जेल में हुई गैंगवार से दहशत में जेल अधिकारी
यूपी की लगभग सभी जेलों में खूंखार अपराधी हैं. लेकिन कुछ ऐसी भी जेल हैं, जहां दो विरोधी गैंग के लोग एक साथ बंद है. ऐसे में पिछले कुछ सालों में बड़ी गैंगवार हुई है. जिनमें बंदियों की जान तो गई ही है, अधिकारियों पर भी जांच बैठ जाती है. 9 जुलाई, 2018 को बागपत जेल में मुख्तार के शॉर्प शूटर मुन्ना बजरंगी की सुनील राठी ने हत्या कर दी थी. वहीं पिछले साल चित्रकूट की जेल में मुख्तार के ही गुर्गे मेराज अहमद की अंशु दीक्षित ने गोली मार हत्या कर दी थी. ऐसे में कोई भी जेल अधीक्षक ऐसी जेल बिल्कुल नहीं जाना चाहता है, जहां माफिया डॉन बंद हो.

राज्य की 21 जेल अधीक्षक विहीन
सुरक्षा के लहजे से बांदा जेल सरकार के लिए महवपूर्ण है. मुख्तार अंसारी की जान को खतरा तो है ही साथ ही जेल से वो अपना गैंग संचालित न कर सके इसके लिए भी सरकार चाहती है कि जेल में वरिष्ठ अधिकारी की तैनाती हो. लेकिन यहां कोई अधीक्षक तैनाती नहीं चाहता है. सूबे की 20 और ऐसी जेल है जहां अधीक्षक तैनात नहीं है. यहां प्रभारी अधीक्षक के रूप में जेलर कार्य कर रहे हैं. इन जेल में भी तमाम खूंखार अपराधी बंद है. बहराइच, नारी निकेतन लखनऊ, मिर्जापुर, सोनभद्र, देवरिया, अंबेडकर नगर, अलीगढ़, हरदोई, उन्नाव, प्रतापगढ़, बांदा, उरई, आदर्श कारागार लखनऊ, कासगंज, महराजगंज, भदोही , गोंडा, बिजनौर व इटावा जेल में अधीक्षक की कुर्सी खाली है.

क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी?
जेल महानिदेशक आनंद कुमार का कहना है कि जेल अधीक्षकों की तैनाती शासन स्तर पर होती है. जेल विभाग सिर्फ प्रस्ताव भेजता है. उन्होंने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है. वहीं, अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी का कहना है कि जेल अधीक्षकों की कमी है. काफी समय से प्रमोशन नहीं हुए हैं. छह जेलर प्रमोट होकर अधीक्षक बने हैं, जल्द ही उन्हें तैनाती दी जाएगी.

इसे भी पढ़ें-माफिया मुख्तार के मुखबिर की तलाश में जुटी पुलिस, डीजी जेल ने दिए जांच के निर्देश

Last Updated :Mar 31, 2022, 10:59 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.