ETV Bharat / bharat

चौरी चौरा के इन गांवों से मिले कुषाणकाल के अवशेष, पुरातत्व अधिकारी ने की पुष्टि

author img

By

Published : Nov 17, 2021, 2:17 PM IST

चौरी चौरा के ब्रह्मपुर,राजधानी और डीहघाट गांव का पुरातत्व विभाग के अधिकारी नरसिंह त्यागी ने दौरा किया, जहां से उन्हें कुषाणकाल के प्रमाण मिले हैं. इसमें स्तूप मृदभांड के अलावा गुप्तकालीन पक्की ईट के टुकड़े मिले हैं.

अधिकारी ने की पुष्टि
अधिकारी ने की पुष्टि

गोरखपुर: सपा नेता व उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व निदेशक कालीशंकर की मांग पर मंगलवार को चौरी चौरा पहुंचे पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने क्षेत्र के उन गांवों का दौरा कर निरीक्षण किया, जहां कुषाणकालीन अवशेषों के होने का दावा किया जा रहा था. वहीं, निरीक्षण के उपरांत पुरात्व विभाग के अधिकारी नरसिंह त्यागी ने दावों की पुष्टि करते हुए कहा कि चौरी चौरा के राजधानी, डीहघाट और ब्रह्मपुर गांव के निरीक्षण के उपरांत उन्हें कई महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं, जो कुषाणकालीन हो सकते हैं.

दरअसल, चार माह पूर्व डीहघाट गांव में सपा नेता कालीशंकर के खोजे गए टीले का सर्वेक्षण करते हुए पुरातत्व विभाग के अधिकारी ने बताया कि यह एक कुषाणकालीन स्तूप है, जो करीब 2000 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है. टीले की सतह से उत्तरी कृष्ण मार्जित मृदभांड काल से लेकर मध्यकाल तक के अवशेष प्राप्त होते हैं. जो करीब 2600 वर्ष तक प्राचीन है.

डीहघाट का पूरा स्थल लगभग डेढ़ से दो किलोमीटर में फैला हुआ है. राजधानी गांव में बताए गए स्थान पर सर्वेक्षण के दौरान पुरातत्व अधिकारी ने बताया कि राजधानी पुरास्थल लगभग तीन किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है. इस क्षेत्र से पक्की हुई ईटों के टुकड़े व पात्रों के अवशेष प्राप्त हुए हैं.

चौरी चौरा के इन गांवों से मिले कुषाणकाल के अवशेष

ये भी पढ़ें- विधायी निकायों की गरिमा को बेहतर बनाने के लिए निर्णायक कदम उठाने की जरूरत : ओम बिरला

उन्होंने बताया कि यहां प्राप्त ईंटों की माप 26×20×5 सेंटीमीटर है. टीले की सतह से कुषाणकाल से लेकर के मध्यकाल तक के पूरा अवशेष प्राप्त होते हैं. वर्तमान में स्थानीय लोग यहां टीले को समतल कर कृषि कार्य कर रहे हैं. ब्रह्मपुर के पश्चिम में स्थित पक्की ईंटों से निर्मित कुआं जिनकी माप 25×20×5 सेंटीमीटर है, जो गुप्तकालीन अर्थात 1700 वर्ष तक प्राचीन हैं.

ब्रह्मपुर स्थित टीला एक से डेढ़ किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है. टीले की सतह से कुषाणकालीन पात्रों के अवशेष व पक्की हुई ईटों के टुकड़े प्राप्त हुए हैं. ईटों की माप 28×20×05 है. क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी नरसिंह त्यागी व उनकी टीम ने कहा कि ब्रह्मपुर ब्लॉक के आधा दर्जन गांवों का पुरातात्विक महत्व है.

लेकिन लोग जेसीबी से मिट्टी खनन में पुरावशेष को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं. क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी ने एसडीएम अनुपम मिश्र से बात कर कहा कि जेसीबी चलने से पुरातात्विक महत्व को नुकसान पहुंच रहा है. वहीं, एसडीएम ने जांच कराने की बात कही है.

इधर, कालीशंकर ने सरकार से मांग की है कि इस क्षेत्र का गहन उत्खनन होना चाहिए, जो ऐतिहासिक तथ्य सामने आ रहे हैं और पूर्व में जो प्रसिद्ध पुरातत्वविदों ने अपने सर्वेक्षण लेखों में वर्णन किया है. उससे यह सिद्ध होता है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने यही जन्म लिया था और गौतम बुद्ध का आग्नेय स्तूप यहीं पर है. इसके अलावा उन्होंने इस क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने की भी मांग की.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.