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मोदी जोखिम लेकर फैसले लेने वाले पीएम हैं : अमित शाह

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Published : Oct 10, 2021, 11:49 AM IST

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सत्ता में प्रधानमंत्री मोदी के 20 साल पूरे होने पर सरकारी न्यूज चैनल संसद टीवी को इंटरव्यू दिया है. पढ़ें इस इंटरव्यू के अंश...

amit shah
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नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सरकारी न्यूज चैनल संसद टीवी के साथ एक इंटरव्यू में कहा, पीएम मोदी का जीवन सार्वजनिक रहा है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने प्रशासन की बारिकियों से समझा है. जब देश में भाजपा की 2 सीटें आई, तब मोदी जी भाजपा गुजरात के संगठन मंत्री बनें और 1987 से उन्होंने संगठन को संभाला. उनके आने के बाद सबसे पहला चुनाव अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का हुआ और पहली बार वहां भाजपा अपने बूते पर सत्ता में आई.

उन्होंने कहा, गुजरात में सबसे ज्यादा आदिवासी उपेक्षित थे। कांग्रेस ने उनका वोटबैंक की तरह इस्तेमाल तो किया लेकिन कभी उन तक विकास नहीं पहुंचा. पीएम मोदी ने पहली बार 2003 के बजट में सारी बिखरी हुई योजनाओं को जोड़ा और संविधान के अनुसार उनकी जनसंख्या के हिसाब से उनको अधिकार दिए.

प्रधानमंत्री मोदी के जीवन में चुनौतियां को लेकर शाह ने कहा, 'उनके सार्वजनिक जीवन के तीन हिस्से किए जा सकते हैं. एक तो बीजेपी में आने के बाद का उनका पहला कालखंड संगठनात्मक काम का था. दूसरा कालखंड उनके मुख्यमंत्री का रहा और तीसरा राष्ट्रीय राजनीति में आकर प्रधानमंत्री बने. इन तीन हिस्सों में उनके सार्वजनिक जीवन को बांधा जा सकता है.'

उन्होंने कहा, 'मोदी जी जोखिम लेकर फैसले करते हैं ये बात सही है. हमारा लक्ष्य देश में परिवर्तन लाना है. 130 करोड़ की आबादी वाले विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को दुनिया में एक सम्मानजनक स्थान पर पहुंचाना है.'

पीएम मोदी के सार्वजनिक जीवन के 3 हिस्से किये जा सकते हैं. एक भाजपा में आने के बाद पहला कालखंड संगठनात्मक काम का था. दूसरा कालखंड उनके गुजरात के मुख्यमंत्रित्व काल का था और तीसरा राष्ट्रीय राजनीति में आकर वो प्रधानमंत्री बनें. ये तीनों कालखंड बेहद चुनौतीपूर्ण रहे। जैसे जब उनको भाजपा में भेजा गया, वो संगठन मंत्री बनें तो उस समय भाजपा की स्थिति सही नहीं थी.

अमित शाह ने कहा, यूपीए की सरकार में हर क्षेत्र में देश नीचे की ओर जा रहा था, दुनिया में देश का कोई सम्मान नहीं था, नीतिगत फैसले महीनों तक सरकार की आंतरिक कलह में उलझते रहते थे, एक मंत्री महोदय तो 5 साल तक कैबिनेट में नहीं आए. ऐसे माहौल में पीएम मोदी ने देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला, आज सारी व्यवस्थाएं अपनी जगह पर सही हो रही हैं.

गृह मंत्री शाह ने कहा, तीन तलाक पर कानून, वन रैंक-वन पेंशन लागू करने की कोई हिम्मत नहीं करता था, सर्जिकल व एयर स्ट्राइक पर सब चुप थे, धारा 370 को हटाने की कोई हिम्मत नहीं करता था, विभिन्न आर्थिक सुधार जैसे फैसले मजबूत इच्छा शक्ति वाला प्रधानमंत्री ही कर सकता है. वामपंथी रास्ता गरीब का उत्थान करना है ही नहीं, बल्कि उसके अंदर के असंतोष को राजनीतिक पूंजी बनाकर सत्ता पर बैठना है. करीब 27 साल बंगाल में वामपंथी शासन के बाद बंगाल की स्थिति देखिए, त्रिपुरा की स्थिति देखिए, और इनकी गुजरात से तुलना कीजिए.

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