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हिंदू परंपरा की शादी में सिंदूरदान व सप्तपदी महत्वपूर्ण : हाईकोर्ट

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Published : Sep 14, 2021, 8:22 PM IST

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले में दुष्कर्म के आरोपित को राहत देने से इनकर दिया है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी का पीड़िता के माथे पर सिंदूर लगाना उसे पत्नी के रूप में स्वीकार कर शादी का वादा करना है. सिंदूर दान व सप्तपदी हिंदू परंपरा में महत्वपूर्ण है.

हाईकोर्ट
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प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुराचार के आरोपी के खिलाफ चार्जशीट व सीजेएम शाहजहांपुर द्वारा जारी सम्मन को रद्द करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी का पीड़िता के माथे पर सिंदूर लगाना उसे पत्नी के रुप में स्वीकार कर शादी का वायदा करना है.

कोर्ट ने कहा कि सिंदूरदान व सप्तपदी हिंदू धर्म परंपरा में विवाह के लिए महत्वपूर्ण स्थान है. कोर्ट ने कहा कि सीमा सड़क संगठन में कनिष्ठ अभियंता याची को पारिवारिक परंपरा की जानकारी होनी चाहिए. जिसके अनुसार वह पीड़िता से शादी नहीं कर सकता था. फिर भी उसने शारीरिक संबंध बनाए. दुराशय से संबंध बनाए या नहीं, यह विचारण में तय होगा. इसलिए चार्जशीट रद्द नहीं की जा सकती.

यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने विपिन कुमार उर्फ विक्की की याचिका पर दिया है. याची का कहना था कि सहमति से सेक्स करने पर आपराधिक केस नहीं बनता. पीड़िता प्रेम में पागल हो कर खुद हरदोई से लखनऊ होटल में आई और संबंध बनाए. प्रथम दृष्टया शादी का प्रस्ताव था. दुराचार नहीं माना जा सकता. लेकिन सिंदूर लगाने को कोर्ट ने शादी का वायदे के रुप में देखते हुए राहत देने से इंकार कर दिया.

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मालूम हो कि दोनों ने फेसबुक पर दोस्ती बढ़ाई. दोनों शादी के लिए राजी हुए. पीड़िता होटल में आई और संबंध बनाए. बार-बार फोन कॉल, मैसेज से साफ है पीड़िता के प्रेम संबंध बनाए थे. कोर्ट ने कहा कि भारतीय हिन्दू परंपरा में मांग भराई व सप्तपदी महत्वपूर्ण होती है. शिकायत कर्ता की भाभी अभियुक्त के परिवार की है. बावजूद इसके शादी का वायदा कर संबंध बनाए, लेकिन यह पता होना चाहिए था कि परंपरा में शादी नहीं कर सकते थे. सिंदूर लगाने का तात्पर्य है की लड़की को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया है. ऐसे में चार्जशीट रद्द नहीं की जा सकती.

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