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कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए पटना एम्स के डॉक्टर ने ईजाद किया फार्मूला

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Published : Jun 6, 2021, 4:25 AM IST

पटना एम्स के डॉक्टर ने ईजाद किया फार्मूला
पटना एम्स के डॉक्टर ने ईजाद किया फार्मूला

बिहार में कोरोना महामारी (Corona Epidemic in Bihar) की थर्ड वेव की संभावनाएं तेज हो गई हैं और विशेषज्ञ आशंका जाहिर कर रहे हैं कि तीसरी लहर में सबसे अधिक बच्चे प्रभावित होंगे. ऐसे में पटना एम्स (Patna AIIMS) के टेलीमेडिसिन के हेड डॉ. अनिल कुमार ने एक नया फार्मूला इजाद किया है, जिससे बच्चों को सुरक्षित किया जा सकता है. देखिए ये रिपोर्ट.

पटना: बिहार में कोरोना (Corona in Bihar) की दूसरी लहर का पीक समय बीतते ही तीसरी लहर को लेकर लोग आशंकित हैं. विशेषज्ञ भी तीसरी लहर को लेकर आशंका जाहिर कर रहे हैं कि तीसरी लहर में सबसे ज्यादा बच्चों के प्रभावित होने का खतरा है. ऐसे में पटना एम्स (Patna AIIMS) के टेलीमेडिसिन के हेड डॉ. अनिल कुमार ने कोरोना की थर्ड वेव से बच्चों को बचाने के लिए वीएचआईटी और एमएएपी (VHIT & MAAP) फार्मूला ईजाद किया है.

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पटना एम्स के टेलीमेडिसिन के हेड डॉ. अनिल कुमार का कहना है कि 'वीएचआईटी (VHIT) कॉन्सेप्ट के तहत वैक्सीनेशन, हॉस्पिटल सेटअप, इम्यूनिटी और ट्रीटमेंट प्रोटोकोल आते हैं. वैक्सीनेशन के तहत जिन घरों में छोटे बच्चे हैं, वहां घर के सभी 18 वर्ष से अधिक उम्र के सदस्यों को जल्द कोरोना का टीका लगवा लेना चाहिए. इसके साथ ही बच्चों को MMR यानी कि मेजल्स ऑफ रूबेला की वैक्सीन जरूर लगवाई जाए.'

क्या है VHIT फार्मूला?

वीएचआईटी (VHIT) कॉन्सेप्ट के तहत वैक्सीनेशन, हॉस्पिटल सेटअप, इम्यूनिटी और ट्रीटमेंट प्रोटोकोल आते हैं. डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि बच्चों के डॉक्टरों का मानना है कि बच्चों को अगर 15 से 18 माह के दौरान एमएमआर (MMR) का टीका लग जाता है तो बच्चे काफी हद तक वायरल बीमारियों से बच जाते हैं और कोरोना भी वायरल बीमारी है. उन्होंने बताया कि H यानी कि हॉस्पिटल सेटअप और इसके तहत हमें ये समझना जरूरी है कि सामान्य मरीजों से बच्चों का इलाज थोड़ा अलग हो.

पटना एम्स के डॉक्टर का मूल मंत्र

मूल मंत्र
मूल मंत्र
सामान्य मरीजों के लिए जहां वार्ड में अटेंडेंट की व्यवस्था नहीं की जाती है, वहीं बच्चों के लिए जरूरी है कि वार्ड में एक अटेंडेंट रहे जो बच्चे को मानसिक सपोर्ट देने के साथ-साथ बच्चे सही से मास्क लगा रहे हैं या नहीं यह भी ध्यान रखें. ऐसे में अगर सामान्य मरीजों को हॉस्पिटल में अगर 6 बेड हैं तो सभी बेड पर मरीज को लिटा दिया जाता है. मगर बच्चों के केसेज में एक बेड को अटेंडेंट के लिए रिजर्व करना होगा.

वार्ड में हो अटेंडेंट की व्यवस्था

ट्रीटमेंट
ट्रीटमेंट
ऐसे में बेड की संख्या कम हो जाएगी और जहां पहले 6 बेड थे वहां 3 बेड पेशेंट के लिए और तीन बेड अटेंडेंट के लिए हो जाएंगे. ऐसा करने पर सभी हॉस्पिटल में बेड की संख्या कम हो जाएगी और इसको देखते हुए अभी से कम्युनिटी लेवल पर ज्यादा से ज्यादा बेड बढ़ाने की तैयारी शुरू हो जानी चाहिए. वहीं, I का मतलब इम्यूनिटी से है ऐसे में बच्चों को इम्यूनिटी वाले भोजन दिए जाने की आवश्यकता है. बच्चों के डाइट में हल्दी वाला दूध, आंवला, शहद इत्यादि को शामिल करने की आवश्यकता है.

'ट्रीटमेंट प्रोटोकोल' दवाओं का कॉम्बिनेशन
डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि वीएचआईटी फॉर्मूला का सबसे आखिरी अक्षर T है, यानी कि ट्रीटमेंट प्रोटोकोल और इसी ट्रीटमेंट प्रोटोकोल में एमएएपी (MAAP) का फार्मूला आता है. M का मतलब मल्टीविटामिन टेबलेट या सिरप, A यानी एंटी एलर्जिक दवाइयां, A का अर्थ एंटी बायोटिक दवाइयां और P यानी पेरासिटामोल है.

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घबराए नहीं, बरतें सावधानी
डॉ.अनिल कुमार ने बताया कि बच्चों के ट्रीटमेंट में इन चार प्रकार के दवाइयों के अलावा कोई अन्य दवाइयों की विशेष जरूरत नहीं है. उन्होंने बताया कि अगर दुर्भाग्य से घर के बच्चे कोरोना से संक्रमित भी हो जाते हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि बच्चों की रिकवरी रेट बहुत अच्छी है. बच्चों का इम्यून सिस्टम भी मजबूत होता है और वह जल्द ही किसी भी बीमारी को मात दे देते हैं.

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