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जब बेल मिलने के बाद 1999 में बेऊर से हाथी पर सवार होकर अपने आवास तक गए थे लालू, पीछे-पीछे चल रही थी समर्थकों की भीड़

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Published : Feb 21, 2022, 7:43 AM IST

देवघर कोषागार मामले की सुनवाई के दौरान आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव (RJD President Lalu Yadav) ने जब सीबीआई की विशेष अदालत के जज शिवपाल सिंह से गुहार लगाते हुए कहा था कि हुजूर बेल दे दीजिए. तब जज ने तीखे लहजे में कहा था, 'बेल इसलिए कि आप हाथी पर चढ़कर पूरा शहर घूमें, आप जमानत को भी प्रदर्शन की चीज बना देते हैं.'

After getting bail in 1999 RJD President Lalu Yadav went from Beur to his residence on elephant
जब बेल मिलने के बाद 1999 में बेऊर से हाथी पर सवार होकर अपने आवास तक गए थे लालू, पीछे-पीछे चल रही थी समर्थकों की भीड़

पटना/रांची: आज का दिन आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव (RJD President Lalu Yadav) के लिए बेहद अहम है, क्योंकि चारा घोटाले से जुड़े डोरंडा ट्रेजरी मामले (Doranda Treasury Case) में उनको सजा सुनाई जाएगी. लालू को अगर छह साल से अधिक की सजा सुनाई जाती है तो उन्हें कम से कम छह महीने के लिए सलाखों के पीछे रहना होगा लेकिन अगर उससे कम की सजा होती है तो फिर जमानत मिल सकती है. वैसी स्थिति में आरजेडी चीफ की शीघ्र रिहाई मुमकिन होगी. समर्थक रांची से लेकर पटना तक उनके जेल से निकलने का इंतजार कर रहे हैं. समर्थकों के लिए यह दिन जश्न से कम नहीं होगा.

पिछले तीन दशक से बिहार की राजनीति में लालू यादव का प्रभाव है. हर मौकों को वे इवेंट के तौर पर भुनाने में माहिर माने जाते हैं. जेल जाने से लेकर जमानत मिलने और जेल से रिहाई तक के उनके किस्से रोचक रहे हैं. याद करिए किस तरह से जमानत मिलने के बाद 9 जनवरी 1999 को जब पटना के बेऊर लालू जेल से बाहर आए थे, तब हाथी पर सवार होकर अपने आवास तक गए थे. उस दौरान हजारों की तादाद में उनके समर्थक खुशी से झूमते और नारेबाजी करते उनके साथ चल रहे थे.

जेल से निकलने के बाद हाथी पर लालू की सवारी (Lalu Yadav Rides on Elephant) उन दिनों काफी चर्चित रही थी. हालांकि इसको लेकर काफी सवाल भी उठे थे. शायद यही वजह है कि जब चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार मामले की सुनवाई के दौरान लालू ने सीबीआई की विशेष अदालत के जज शिवपाल सिंह से कहा था, 'हुजूर, बेल दे दिया जाए' तब जज ने कहा था, 'क्या आपको इसलिए जमानत दे दिया जाए ताकि आप हाथी पर चढ़कर बाहर निकलें और पूरे शहर में घूमें'.

पहला केस : चाईबासा कोषागार, 37.7 करोड़ का घोटाला
चारा घोटाले से जुड़े चाईबासा ट्रेजरी मामले में साल 2013 में लालू प्रसाद यादव को कोर्ट ने सजा सुनाई थी. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 30 सितंबर 2013 को सभी 45 आरोपियों को दोषी ठहराया था. लालू समेत इन आरोपियों पर चाईबासा ट्रेजरी से 37.70 करोड़ रुपये अवैध तरीके से निकालने का दोषी पाया गया था. इस मामले में 3 अक्टूबर 2013 को कोर्ट ने सजा सुनाई थी. लालू प्रसाद को 5 साल की सजा हुई थी.

दूसरा केस : देवघर कोषागार, 84.5 लाख का घोटाला देवघर ट्रेजरी से फर्जी तरीके से 84.5 लाख रुपये अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद को 23 दिसंबर 2017 को दोषी ठहराया गया था और 6 जनवरी को साढ़े तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी. साथ ही उनपर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.

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तीसरा केस: चाईबासा कोषागार, 33.67 करोड़ का घोटाला
चाईबासा ट्रेजरी से 1992-93 में 67 फर्जी आवंटन पत्र के आधार पर 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी की गई थी. इस मामले में 1996 में केस दर्ज हुआ था. जिसमें कुल 76 आरोपी थे. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 24 जनवरी 2018 को लालू को दोषी करार देते हुए 5 साल की सजा सुनाई. सजा के साथ-साथ 10 लाख का जुर्माना भी लगा.

चौथा केस: दुमका कोषागार, 3.13 करोड़ का घोटाला
ये मामला दिसंबर 1995 से जनवरी 1996 के बीच दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये फर्जी तरीके से निकालने का है. सीबीआई कोर्ट ने 24 मार्च 2018 को लालू प्रसाद यादव को इस मामले में अलग अलग धाराओं में 7-7 साल की सजा सुनाई थी.

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डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी: डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के इस मामले में पशुओं को फर्जी रूप से स्कूटर पर ढोने की कहानी है. यह उस वक्त का देश का पहला मामला माना गया जब बाइक और स्कूटर पर पशुओं को ढोया गया हो. यह पूरा मामला 1990-92 के बीच का है. डोरंडा मामले में अब 21 फरवरी को सुनवाई होनी है और सब की नजर इस बात पर है कि 21 फरवरी को लालू प्रसाद यादव को कितने दिनों की सजा सुनाई जाती है. लालू प्रसाद यादव को जेल होगी या बेल मिलेगी यह 21 फरवरी को तय हो जाएगा. खराब स्वास्थ्य को लेकर जहां आरजेडी के नेता चिंता व्यक्त कर रहे हैं, वहीं अगर सजा अधिक हुई तो लालू के राजनीतिक भविष्य पर ग्रहण (Political Future of Lalu Yadav) भी लग सकता है.

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