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केंद्र ने नागालैंड, असम व मणिपुर में AFSPA के तहत अशांत क्षेत्र कम करने का लिया फैसला : शाह

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Published : Mar 31, 2022, 2:52 PM IST

Updated : Mar 31, 2022, 6:18 PM IST

केंद्र सरकार ने दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया है (afspa areas to be reduced).

amit shah afspa north east
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

हैदराबाद : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को एलान किया कि दशकों बाद नगालैंड, असम और मणिपुर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफस्पा) के तहत आने वाले अशांत क्षेत्रों को घटाया जा रहा है. गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि इस फैसले का मतलब यह नहीं है कि उग्रवाद प्रभावित इन राज्यों से आफस्पा को पूरी तरह से हटाया जा रहा है, बल्कि यह कानून तीन राज्यों के कुछ इलाकों में लागू रहेगा.

शाह ने ट्विटर पर कहा, 'एक अहम कदम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व में भारत सरकार ने नगालैंड, असम और मणिपुर में दशकों बाद सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून के तहत आने वाले अशांत इलाकों को घटाने का फैसला किया है.' गृह मंत्री ने कहा कि सुरक्षा में सुधार, निरंतर प्रयासों के कारण तेज़ी से हुए विकास, मोदी सरकार द्वारा उग्रवाद खत्म करने के लिए किए गए कई समझौतों और पूर्वोत्तर में स्थायी शांति के फलस्वरूप आफस्पा के तहत आने वाले इलाकों को घटाया जा रहा है.

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उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अटूट प्रतिबद्धता की वजह से दशकों से उपेक्षा झेल रहा हमारा पूर्वोत्तर क्षेत्र अब शांति, समृद्धि और अभूतपूर्व विकास का गवाह बन रहा है. मैं पूर्वोत्तर के लोगों को इस अहम मौके पर बधाई देता हूं.' इन तीन पूर्वोत्तरी राज्यों में दशकों से आफस्पा लागू है जिसका मकसद क्षेत्र में उग्रवाद से निपटने के लिए तैनात सुरक्षा बलों की मदद करना है.

जानिए आफस्पा के तहत सुरक्षाबलों को क्या अधिकार हैं : आफस्पा सुरक्षा बलों को अभियान चलाने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की शक्ति प्रदान करता है और अगर सुरक्षा बलों की गोली से किसी की मौत हो जाए तो भी यह उन्हें गिरफ्तारी और अभियोजन से संरक्षण प्रदान करता है. इस कानून के कथित 'कड़े' प्रावधानों के कारण समूचे पूर्वोत्तर और जम्मू कश्मीर से इसे पूरी तरह से हटाने के लिए प्रदर्शन होते रहे हैं.

नागालैंड में 14 लोगों की मौत के बाद हुए थे प्रदर्शन : दरअसल दिसंबर 2021 में नागालैंड के मोन जिले में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी (nagaland firing) में करीब 14 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद नागा लोगों के लिए काम करने वाले संगठन ने नागालैंड में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम की निंदा की थी. ग्लोबल नागा फोरम ने इस संबंध में पीएम मोदी को पत्र भी लिखा था. मणिपुर में भी अफ्सफा हटाने की मांग को लेकर कई आंदोलन हुए थे. मणिपुर की इरोम शर्मिला का अनशन भी इसका एक मुख्य उदाहरण है, जो देश में सबसे लंबे समय तक चला था. अफ्सफा हटाना, एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया था. मणिपुर में भी आफ्सफा हटाने की मांग को लेकर कई आंदोलन हुए थे. मणिपुर की इरोम शर्मिला का अनशन भी इसका एक मुख्य उदाहरण है, जो देश में सबसे लंबे समय तक चला था. अफ्सफा हटाना, एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया था.

रिजिजू बोले- नॉर्थ ईस्ट विकास के पथ पर चल चुका है : वहीं फैसले को लेकर बयान भी सामने आने लगे हैं. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि AFSPA (सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम) होने से अशांत माहौल में लोगों को भय रहता है कि सुरक्षा बल आ रहे हैं. अगर ग़लत गतिविधियां होती हैं तो सुरक्षा बल आते हैं. AFSPA कम होने का मतलब है कि शांति बहाल हो गई है और नॉर्थ ईस्ट विकास के पथ पर चल चुका है.

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(एजेंसी इनपुट के साथ)

Last Updated : Mar 31, 2022, 6:18 PM IST
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