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Uttarakhand Election : 'आप' के सीएम उम्मीदवार कर्नल कोठियाल गंगोत्री से लड़ेंगे चुनाव, जानिए इस सीट से जुड़ा मिथक

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Published : Nov 17, 2021, 3:29 PM IST

उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी (आप) के सीएम पद के उम्मीदवार कर्नल (रिटायर्ड) अजय कोठियाल उत्तरकाशी जिले की गंगोत्री विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे.

Uttarakhand Election
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उत्तरकाशी : उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी (आप) के सीएम पद के उम्मीदवार कर्नल (रिटायर्ड) अजय कोठियाल उत्तरकाशी जिले की गंगोत्री विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उत्तरकाशी में मीडिया से मुखातिब होते हुए इसकी घोषणा की है.

उत्तरकाशी दौरे पर पहली बार पहुंचे मनीष सिसौदिया ने कहा कि प्रदेश एक ऐसे नेतृत्व की चाह रख रहा है, जो विकास पहाड़ की अवधारणा के अनुरूप होना चाहिए था. उत्तराखंड की जनता को कर्नल अजय कोठियाल से काफी उम्मीदें हैं. उत्तरकाशी में बच्चे से लेकर बूढ़े तक के दिल में कर्नल अजय कोठियाल के लिए अलग ही सम्मान है.

कर्नल कोठियाल गंगोत्री विधानसभा से लड़ेंगे चुनाव

गंगोत्री विधानसभा सीट से जुड़ा बड़ा मिथक

उत्तरकाशी के गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र से एक दिलचस्प मिथक जुड़ा है. माना जाता है कि गंगोत्री विधानसभा सीट से जिस भी पार्टी का प्रत्याशी चुनाव जीतता है, वो पार्टी सत्ता पर काबिज होती है. आंकड़ें भी इसकी तस्दीक करते हैं.

70 साल से बकरार है गंगोत्री सीट का मिथक

गंगोत्री विधानसभा सीट से जुड़े इस मिथक को एक मात्र संयोग कहें या कुछ और मगर यह सच है. देश की आजाद के बाद शुरू हुए विधानसभा चुनाव से ही इस मिथक की शुरुआत हुई, जो आज तक नहीं टूटा है. इस बात को करीब 70 साल हो गए हैं. तब से ही यह मिथक बरकरार है. उत्तराखंड राज्य गठन से पहले गंगोत्री विधानसभा सीट न होकर उत्तरकाशी विधानसभा सीट हुआ करती थी. उस दौरान भी यह मिथक बरकरार था. इस मिथक के बरकरार होने का सिलसिला अभी भी जारी है.

उत्तर प्रदेश में हुए पहले विधानसभा चुनाव से शुरू हुआ मिथक

1947 में देश को आजादी मिलने के बाद के बाद उत्तर प्रदेश में 1952 में पहले विधानसभा चुनाव हुए. तब गंगोत्री उत्तरकाशी विधानसभा सीट में आती थी. तब इस सीट से जयेंद्र सिंह बिष्ट निर्दलीय चुनाव जीते और फिर कांग्रेस में शामिल हो गए. उस दौरान उत्तर प्रदेश में पं. गोविंद बल्लभ पंत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी.

1993 में हुए चुनाव ने इस मिथक को दिया बल

गंगोत्री विधानसभा सीट से जुड़े मिथक को उत्तर प्रदेश में साल 1993 में हुए विधानसभा चुनाव की स्थिति और बल दे रही है. 1993 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के 177, समाजवादी पार्टी को 109 और बहुजन समाजवादी पार्टी को 67 सीटें मिली. उस दौरान राजनीतिक समीकरण कुछ ऐसे घूमे कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने मिलकर सरकार बना दी. उस दौरान समाजवादी पार्टी की सरकार सत्ता पर काबिज हुई. खास बात यह रही कि उस दौरान उत्तरकाशी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के ही प्रत्याशी बर्फिया लाल चुनाव जीते थे.

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद भी नहीं टूटी रीत

9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य अलग बना. तब उत्तरकाशी विधानसभा सीट न रह कर तीन नई विधानसभाएं बनी, लेकिन उत्तरकाशी जिले में आने वाले गंगोत्री इलाके और गंगोत्री विधानसभा सीट से जुड़ा मिथक नहीं टूटा. उत्तराखंड में साल 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में गंगोत्री सीट से कांग्रेस के विजयपाल सजवाण ने चुनाव जीता था, उस दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी. 2007 में बीजेपी के गोपाल सिंह रावत चुने गए तब भुवन चंद्र खूडूडी के नेतृत्व में बीजेपी सत्ता में आई. इसके बाद 2012 में एक बार फिर कांग्रेस के विजयपाल सजवाण इस सीट से विधायक चुने गए तब, विजय बहुगुणा के नेतृत्व में सूबे में कांग्रेस की सरकार आई.

गंगोत्री विधानसभा सीट की स्थिति

टिहरी रियासत का हिस्सा रहे उत्तरकाशी विधानसभा सीट को साल 1960 में अलग जिला बनाया गया. साल 2000 तक उत्तरकाशी जिला विधानसभा सीट ही रही. साल 2000 में पहाड़ी राज्य बनने के बाद उत्तरकाशी जिले को तीन विधानसभा क्षेत्र में बांट दिया गया. जिसमें पुरोला, गंगोत्री और यमुनोत्री विधानसभा सीट शामिल हैं.

पढ़ें- 'आप' ने कर्नल अजय कोठियाल को बनाया उत्तराखंड का सीएम उम्मीदवार, केजरीवाल ने किया एलान

उत्तरकाशी जिले का मुख्यालय गंगोत्री क्षेत्र ही है. गंगोत्री विधानसभा सीट में कुल मतदाताओं में 43003 पुरुष मतदाता हैं, जबकि यहां महिला मतदाताओं की संख्या 40278 है. वहीं, जातिगत आधार के अनुसार इस विधानसभा में ठाकुर 62%, ब्राह्मण 17% हैं. अनुसूचित जाति 19% और अनुसूचित जनजाति 15% है. इसके साथ ही यहां मुस्लिम आबादी 0.5 फीसदी है.

2022 में भी बना रहेगा मिथक या टूटेगा 70 साल का इतिहास

2017 में एक बार फिर गंगोत्री से बीजेपी के टिकट पर गोपाल सिंह रावत विधायक बने और 2017 में राज्य में बीजेपी ने सत्ता संभाली. लेकिन इस साल 2021 में लंबी बीमारी के चलते बीजेपी के दिग्गज नेता और गंगोत्री विधायक गोपाल सिंह रावत का निधन हो गया, जिसके बाद से यह सीट खाली है. अब 2022 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी के साथ तमाम राजनीतिक दल अपनी-अपनी पार्टी के सत्ता में आने के दावे कर रहे हैं. वहीं अजय कोठियाल ने भी यहां से दाव खेल दिया है. अब देखना होगा कि गंगोत्री विधानसभा सीट से जुड़ा मिथक इस बार भी बरकार रहता है या पिछले 70 सालों से चला आ रहा ये मिथक टूट जाएगा.

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