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Jammu Kashmir: ग्रेनेड हमले में अपने दोनों बेटे खोने वाले माता-पिता को मदद की दरकार

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Published : Mar 28, 2022, 4:43 PM IST

कश्मीर घाटी में उग्रवाद (Militancy in Kashmir Valley) पनपने के बाद से कई परिवार तबाह हुए हैं. एक तरफ, जहां आतंकी संगठनों में शामिल होने वाले युवकों को सेना मार गिराती है. वहीं दूसरी ओर आतंकियों द्वारा आम नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है. यही वजह है कि कई परिवार न सिर्फ अपनी आजीविका खो चुके हैं बल्कि गरीबी और लाचारी में जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

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जम्मू: यह अफसोस की बात है कि दक्षिण कश्मीर का पुलवामा (South Kashmir Pulwama District) जिला आतंकी गतिविधियों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. पुलवामा जिले में अब तक हजारों युवा आतंकवादियों के संगठन में शामिल हो चुके हैं. जबकि सेना भी जिले में आतंकवाद विरोधी अभियान चलाती है. सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन के दौरान आतंकियों की रैंक में शामिल हुए युवाओं को मार गिराया गया है.

घाटी के हर जिले में रोजाना अज्ञात हमलावरों द्वारा ग्रेनेड हमले किए जाते हैं. हालांकि ये अज्ञात हमलावर सेना को निशाना बनाने की कोशिश करते हैं लेकिन शिकार नागरिक भी हो रहे हैं. इन हमलों में अब तक कई युवा लड़के-लड़कियां, यहां तक ​​कि बूढ़े भी घायल हुए हैं जबकि बहुत से लोगों की जानें भी गई हैं. जनवरी 1996 में पुलवामा जिले के शहीद पार्क के सामने ऐसी ही एक घटना घटी थी, जिससे एक परिवार गरीबी में जीवन जीने को मजबूर हो गया था.

दो भाइयों की मौत: अज्ञात व्यक्तियों ने ग्रेनेड हमले से सेना को निशाना बनाने की कोशिश की जिसमें पुलवामा जिले के अशमंदर इलाके के दो भाई हमले की चपेट में आ गए. इस हमले में अब्दुल रशीद शेख की मौत हो गई, जबकि उसका भाई खुद को बचाने के प्रयास में एक वाहन के नीचे आ गया. इस तरह ये दोनों भाई एक ही दिन ग्रेनेड हमले में मारे गए. दिलचस्प बात यह है कि दोनों भाई अपने परिवार का खर्चा चलाते थे. उनकी मृत्यु के बाद उनके माता-पिता कंगाली का जीवन जीने को मजबूर हैं.

माता-पिता बेसहारा: उनके पिता गुलाम रसूल शेख (Ghulam Rasool Sheikh) ने कहा कि उनके दो बच्चों की मौत के बाद उनका कोई सहारा नहीं था. उन्होंने कहा कि इलाके के लोगों ने उनकी बेटियों की शादी कराने में उनकी मदद की लेकिन किसी और ने उनकी आगे मदद नहीं की. उनकी पत्नी जेबा ने बताया कि 1996 में उनके बच्चे पुलवामा में काम कर रहे थे और अचानक ग्रेनेड हमला हुआ था. उसने कहा कि उसके बड़े बेटे को दिल में गोली लगी जबकि उसका दूसरा बेटा अपने भाई को बचाने के प्रयास में कार के नीचे आ गया, जिससे उन दोनों की मौत हो गई.

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प्रशासन से की मांग: परिजनों ने कहा कि उनके पास कोई समर्थन नहीं था. तब उन्हें समाज कल्याण विभाग से 1000 रुपये दिए गए थे, जिसका भुगतान भी महीनों से विलंबित है. उनका कहना है कि यह देरी उनकी मुश्किलें बढ़ा रही है. इस संबंध में क्षेत्र के नंबरदार (ग्राम प्रधान) बशीर अहमद मीर ने कहा कि परिवार का कोई सहारा नहीं है और अब वे एक ही कमरे में रहते हैं. उन्होंने कहा कि वे दोनों कई बीमारियों से पीड़ित हैं. उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि वे उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करें ताकि वे बेहतर जीवन जी सकें. स्थानीय निवासी खुर्शीद अहमद मीर ने प्रशासन से उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करने की अपील की है.

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