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नरेंद्र मोदी की सरकार के 8 साल में आम आदमी को क्या मिला ?

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Published : May 25, 2022, 9:29 PM IST

केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) के शासन के 8 साल पूरे हो चुके हैं. अब सभी केंद्रीय मंत्री देशभर के गांवों का दौरा करेंगे और केंद्र सरकार की योजनाओं पर जनता की राय जानने की कोशिश करेंगे. बीते आठ साल में मोदी सरकार का कार्यकाल कैसा रहा, पढ़ें रिपोर्ट

Narendra Modi Government
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नई दिल्ली : बीजेपी की नरेंद्र मोदी सरकार को केंद्र की सत्ता पर काबिज हुए 8 साल बीत गए हैं. नरेंद्र मोदी ने 26 मई 2014 को पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी. इन वर्षों में नरेंद्र मोदी ने नीतियों में ताबड़तोड़ बदलाव किए. अपने कार्यकाल के शुरुआती दौर में आर्थिक मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन करने वाली मोदी सरकार आठवें साल में इस मोर्चे पर महंगाई जैसे समस्याओं पर घिर गई. इस दौरान भारत की विदेश नीति में बदलाव भी नजर आया. सामाजिक तौर पर देश में मंदिर-मस्जिद के विवाद भी सामने आए. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तो काशी-मथुरा का मामला भी कोर्ट पहुंच गया.

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नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में जितनी हाईवे और एक्सप्रेस-वे बने, वह अपने आप में रेकॉर्ड है. इसकी तारीफ उनके विरोधी भी करते हैं.

पिछले 8 साल में दिल्ली की सियासत भी बदली. 2019 में मोदी सरकार ने जीत हासिल कर नया कीर्तिमान गढ़ा. मोदी 2.0 में कश्मीर से धारा-370 हटाया गया, सीएए कानून बना. किसान आंदोलन के बाद तीनों कृषि बिल भी वापस हुए. अपने पहले कार्यकाल में मोदी सरकार नोटबंदी, तीन तलाक के खिलाफ कानून, सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर चर्चित रही थी. इस दौरान अंग्रेजों के जमाने के 1450 कानून भी खत्म किए गए.

नरेंद्र मोदी सरकार की प्रमुख स्कीमों में जन धन योजना, आयुष्‍मान योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्‍मान भारत योजना और उज्‍ज्‍वला योजना शामिल है. बीजेपी को चुनावों में इन योजनाओं का फायदा भी मिला.

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उज्जवला योजना के तहत करीब 8 करोड़ लोगों को मुफ्त गैस सिलेंडर दिया गया. मगर अब महंगाई के कारण स्कीम के सिलेंडर की कीमत भी 800 रुपये के करीब पहुंच गई है.

महंगाई बनी चुनौती : मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में महंगाई कमोबेश नियंत्रण में रही. दूसरे कार्यकाल में पहले कोरोना और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध ने महंगाई में आग लगा दी. 2014 में उपभोक्ता कीमतों के आधार पर खुदरा महंगाई की दर 7.72 फीसदी थी. 2019 में यह दर 2.57 फीसदी तक पहुंची. मगर अप्रैल 2022 में यह 7.8 फीसदी पर पहुंच गई. खुदरा महंगाई (Retail Inflation) ने मोदी राज में ही अपना 8 साल का रेकॉर्ड तोड़ दिया. अप्रैल 2022 में थोक महंगाई (Wholesale Inflation) ने भी नया रिकॉर्ड बना दिया. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में थोक महंगाई की दर 15.08 फीसदी रही. पिछले आठ साल में पेट्रोल की कीमत 40 रुपये और डीजल की कीमत 35 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा बढ़ी है. इस कारण दैनिक जरूरत के सामानों की कीमत में जनवरी 2014 के मुकाबले मार्च 2022 में 70 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. रसोई गैस सिलेंडर सब्सिडी खत्म हो चुकी है और 8 साल में इसकी कीमत करीब तिगुनी हो गई है. खाने के तेल, अनाज, दूध, मसाले की कीमतों में औसतन दोगुनी बढ़ोतरी हुई है.

अर्थव्यवस्था की हालत क्या है?

  • 2014 में भारत की जीडीपी 112 लाख करोड़ रुपये के आसपास थी. 2022 में अभी भारत की जीडीपी 232 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है.
  • पिछले आठ साल में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है. 2014 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 22.34 लाख करोड़ रुपये था, अभी देश में 45 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का विदेशी मुद्रा भंडार है. यूक्रेन युद्ध के बाद से भारत के आयात बिल पर दबाव बढा है और इसका असर देश के फॉरेन रिजर्व पर भी पड़ा है.
  • 2014 में देश में आम आदमी की वार्षिक आय पहले आम आदमी की सालाना आय करीब 80 हजार रुपये थी. अब यह करीब दोगुनी होकर 1.50 लाख रुपये से ज्यादा है.
  • 2014 में देश पर विदेशी कर्ज 33.89 लाख करोड़ रुपये था. मार्च 2022 में जारी वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार पर कुल कर्ज का बोझ बढ़कर 128.41 लाख करोड़ रुपये हो गया है. देश के हर नागरिक पर 98,776 रुपये का कर्ज है.
  • एनपीसीआई के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2014-15 में 76 लाख करोड़ रुपये के डिजिटल पेमेंट हुआ था, 2021-22 में 200 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक रकम का डिजिटल पेमेंट के तहत ट्रांजेक्शन हुआ.
  • पिछले आठ साल में भारत में बेरोजगारों की संख्या बढ़ी है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक, अभी देश में करीब 40 करोड़ लोगों के पास रोजगार नहीं है. 2013-14 तक भारत की बेरोजगारी दर 3.4 फीसदी थी, जो इस समय बढ़कर 8.7 फीसदी हो गई है.
  • मोदी सरकार के दौरान देश में बड़ी तेजी से हाईवे बने. मनमोहन सरकार के दौरान वर्ष 2009 से 2014 के बीच कुल 20,639 किमी हाईवे का निर्माण हुआ था. अप्रैल 2014 में देश में हाईवे की लंबाई 91,287 किलोमीटर थी. 20 मार्च, 2021 तक 1,37,625 किलोमीटर पहुंच गई. अभी देश में 25 हजार किमी हाईवे का निर्माण जारी है. हर दिन करीब 68 किलोमीटर नेशनल हाईवे का निर्माण किया जा रहा है.
  • नरेंद्र मोदी के पिछले 8 साल के शासन में टैक्सपेयर्स की तादाद दोगुनी से ज्यादा बढ़ी. आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2013-14 में जहां कुल करदाता 3.79 करोड़ थे, 2020-21 के मुताबिक देश में अभी कुल 8,22,83,407 करदाता हैं.
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    देश में एम्स की संख्या दोगुनी से ज्यादा बढ़ी है.

शिक्षा और स्वास्थ्य : 2014 के दौरान देश में प्राइवेट, सरकारी और गवर्मेंट एडेड प्राइमरी स्कूल की संख्या 8.47 लाख थी, पिछले आठ साल में इनकी संख्या में बढ़ोतरी हुई है. अभी देश में करीब 15 लाख प्राइमरी स्कूल हैं. 2014 से 20 के बीच देश में बने 15 एम्स, 7 आईआईएम और 16 ट्रिपल आईटी बनाए गए. 2014 में देश में 6 एम्स थे, अब इनकी संख्या 22 हो गई है. इसी तरह पिछले आठ साल में 170 से अधिक मेडिकल कॉलेज खोले गए. अगले दो साल के भीतर 100 मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हो जाएंगे. इसका असर डॉक्टरों की संख्या पर भी पड़ा. मोदी सरकार में डॉक्टर्स की संख्या में 4 लाख से ज्यादा का इजाफा हुआ है. देशभर में 25 ट्रिपल आईटी हैं, जो तीन स्तर पर संचालित हो रहे हैं. भारत सरकार के फंड से चलने के साथ ही, राज्य सरकार और पीपीपी मोड के तहत भी ट्रिपल आईटी का संचालन हो रहा है. 2014 तक भारत में सिर्फ 9 ट्रिपल आईटी थी.

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पिछले 8 साल में भारत का रक्षा बजट दोगुना हो गया है.

रक्षा बजट और सुरक्षा : मोदी राज में देश का रक्षा बजट दोगुना हो गया है. वित्त वर्ष 2013-14 देश का रक्षा बजट 2.53 लाख करोड़ रुपये था जो बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 5.25 लाख करोड़ रुपए हो गया है. दस साल के अंदर रक्षा बजट में खर्च 76 फीसदी बढ़ गया है. इस दौरान मेक इन इंडिया के तहत भारत में हथियारों और उपकरणों के निर्यात का सिलसिला भी शुरू हुआ. मोदी के कार्यकाल के दौरान कश्मीर और पाकिस्तान बॉर्डर पर शांति रही मगर चीन के साथ तनाव बढ़ गया. गलवान की घटना के बाद भारत और चीन के बीच बॉर्डर पर हथियार उपयोग नहीं करने का समझौता अनौपचारिक रूप से टूट गया.

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