ETV Bharat / bharat

पिंगली वेंकैया, जिन्होंने 100 साल पहले डिजाइन किया था राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा

author img

By

Published : Apr 1, 2021, 10:01 PM IST

Updated : Apr 1, 2021, 10:30 PM IST

देश के संप्रभु राज्य के प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था. पिंगली वेंकैया द्वारा तिरंगे को डिजाइन किए हुए 100 साल पूरे हो गए हैं. इस अवसर पर लोगों ने उन्हें याद किया. बता दें कि 31 मार्च, 1921 में तिरंगे को डिजाइन किया था और महात्मा गांधी के सुझाव पर उन्होंने इसमें कुछ बदलाव किया था.

पिंगली वेंकैया
पिंगली वेंकैया

हैदराबाद : देश के संप्रभु राज्य के प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का आज जो डिजाइन हम देख रहे हैं, उसके 100 साल पूरे हो गए हैं. आंध्र प्रदेश के निवासी पिंगली वेंकैया ने 100 साल पहले इसे डिजाइन किया था. पिंगली वेंकैया उस समय उच्च शिक्षित, बहुभाषी और साहित्य के जानकार थे.

तिरंगा झंडा भारत के विशाल, अद्वितीय और विविध राज्य का प्रतिनिधित्व करता है. तिरंगे ने क्रांतिकारी गीतों और नारों ने लोगों में एकता प्राप्त करने और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लड़ाई की भावना को प्रेरित करने में एक अहम भूमिका निभाई.

पढ़ें - हरिद्वार महाकुंभ शुरू, जानें शाही स्नान की तारीख व कोविड गाइडलाइन

पिंगली वेंकैया का जन्म दो अगस्त, 1876 को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम के निकट भटलापेनुमारु नामक स्थान पर हुआ था. इनके पिता का नाम पाण्डुरंग और माता का नाम काल्पवती था और यह ब्राह्मण कुल नियोगी से संबद्ध थे. मद्रास से हाई स्कूल उत्तीर्ण करने के बाद वह अपने वरिष्ठ स्नातक को पूरा करने के लिए कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए. वहां से लौटने पर उन्होंने एक रेलवे गार्ड के रूप में और फिर लखनऊ में एक सरकारी कर्मचारी के रूप में काम किया. इसके बाद में वह एंग्लो वैदिक महाविद्यालय में उर्दू और जापानी भाषा का अध्ययन करने लाहौर चले गए.

काकीनाड़ा में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान वेंकैया ने भारत का खुद का राष्ट्रीय ध्वज होने की आवश्यकता पर बल दिया और उनका यह विचार गांधीजी को बहुत पसंद आया. गांधीजी ने उन्हें राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप तैयार करने का सुझाव दिया.

पढ़ें -दीप सिद्धू की जमानत याचिका पर अगली सुनवाई 8 अप्रैल को

पिंगली वेंकैया ने पांच सालों तक तीस विभिन्न देशों के राष्ट्रीय ध्वजों पर शोध किया और अंत में तिरंगे के लिए सोचा. 31 मार्च 1921 में विजयवाड़ा में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में पिंगली वेंकैया महात्मा गांधी से मिले थे और उन्हें अपने द्वारा डिजाइन लाल व हरे रंग से बनाया हुआ झंडा दिखाया. इसके बाद ही देश में कांग्रेस पार्टी के सारे अधिवेशनों में दो रंगों वाले झंडे का प्रयोग किया जाने लगा, लेकिन उस समय इस झंडे को कांग्रेस की ओर से अधिकारिक तौर पर स्वीकृति नहीं मिली थी.

इस बीच जालंधर के हंसराज ने झंडे में चक्र चिन्ह बनाने का सुझाव दिया. इस चक्र को प्रगति और आम आदमी के प्रतीक के रूप में माना गया. बाद में गांधीजी के सुझाव पर पिंगली वेंकैया ने शांति के प्रतीक सफेद रंग को भी राष्ट्रीय ध्वज में शामिल किया गया. 1931 में कांग्रेस ने कराची के अखिल भारतीय सम्मेलन में केसरिया, सफेद और हरे तीन रंगों से बने इस ध्वज को सर्वसम्मति से स्वीकार किया. बाद में राष्ट्रीय ध्वज में इस तिरंगे के बीच चरखे की जगह अशोक चक्र ने ले ली.

पढ़ें - सुपरस्टार रजनीकांत को मिलेगा 51वां दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, पीएम ने दी बधाई

पिंगली वेंकैया कई विषयों के ज्ञाता थे, उन्हें भूविज्ञान और कृषि क्षेत्र से विशेष लगाव था. वह हीरे की खदानों के विशेषज्ञ थे. पिंगली ने ब्रिटिश भारतीय सेना में भी सेवा की थी और दक्षिण अफ्रीका के एंग्लो-बोअर युद्ध में भाग लिया था. यहीं यह गांधीजी के संपर्क में आये और उनकी विचारधारा से बहुत प्रभावित हुए.

1906 से 1911 तक पिंगली मुख्य रूप से कपास की फसल की विभिन्न किस्मों के तुलनात्मक अध्ययन में व्यस्त रहे और उन्होंने बॉम्वोलार्ट कंबोडिया कपास पर अपना एक अध्ययन प्रकाशित किया. इसके बाद वह वापस किशुनदासपुर लौट आये और 1916 से 1921 तक विभिन्न झंडों के अध्ययन में अपने आप को समर्पित कर दिया और अंत में वर्तमान भारतीय ध्वज विकसित किया. उनका निधन चार जुलाई 1963 को हुआ था.

Last Updated : Apr 1, 2021, 10:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.