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सूरजपुर: आवारा मवेशियों के सड़कों पर बैठने से आए दिन हो रही है दुर्घटनाएं

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Published : Sep 3, 2020, 12:00 PM IST

Updated : Sep 4, 2020, 10:44 AM IST

आवारा मवेशियों के सड़कों पर बैठने से आए दिन हो रही है दुर्घटनाएं
सड़क पर मवेशी

सूरजपुर में गोठानों में फैली अनियमितता के कारण मवेशी गोठानों में कम सड़क पर ज्यादा नजर आ रहे हैं. जिसका खामियाजा आम लोगों को उठाना पड़ रहा हैं. सड़क पर मवेशियों के बैठने और घूमते रहने से सड़क हादसे बढ़ गए हैं.

सूरजपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने गौठान योजना के तहत आवारा पशुओं को गौठानों में रखने और उनकी देखभाल करने की योजना तैयार की हैं. लेकिन इस योजना की जमीनी हकीकत कुछ और ही दिख रही है. ना तो गौठानों में मवेशी दिखते है और ना ही उनके चारे की व्यवस्था. बल्कि गोठानों में बड़ी संख्या में मवेशियों के मामले सामने आ रहे है. इसका सीधा असर मवेशियों और आम आदमियों पर पड़ रहा है. क्योंकि बड़ी संख्या में पशु सड़कों पर घूम रहे है जिससे सड़क हादसों में इजाफा हुआ है.

आवारा मवेशियों के सड़कों पर बैठने से आए दिन हो रही है दुर्घटनाएं

सड़क पर मवेशियों का डेरा

सूरजपुर नगर पालिका परिसर के सड़कों पर हमेशा मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है. जिसके कारण गाड़ियों से गुजरने वालों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इस वजह से दुर्घटनाएं भी होती हैं. इस दुर्घटना में कभी-कभी वाहनों की टक्कर जानवरों से हो जाती है जिससे मवेशियों और इंसान दोनों को ही नुकसान होता है. लेकिन नगर पालिका अपनी कुंभकरण नींद में सोए रहती है और जब उनसे यह सवाल पूछा जाता है कि मवेशी सड़कों पर क्यों रहते हैं तो उनका गोलमोल जवाब होता है.

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नरवा, गरुवा, घुरवा बाड़ी

बता दें कि छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने सत्ता में आते ही यहां के गांवों को विकसित करने नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी नाम की योजना की शुरूआत की. सरकार का मानना है कि इस योजना के माध्यम से भूजल रीचार्ज, सिंचाई, ऑर्गेनिक खेती में मदद, किसानों को लाभ मिलने के साथ पशुधन की भी उचित देखभाल हो सकेगी. इस योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी और पोषण स्तर में भी सुधार आएगा.

नरवा- इसके तहत नालों और नहरों में चेक डेम का निर्माण किया जा रहा है. ताकि बारिश के पानी का संरक्षण हो सके और वाटर रीचार्ज से गिरते भू-जलस्तर पर रोक लग सके. जिससे किसानों को खेती के लिए कभी पानी की कमी नहीं होगी.

गरुवा- इसके तहत गांवों में जो भी पशु धन हैं, उन्हें गौठान या एक ऐसा डे-केयर सेंटर उपलब्ध करवाना है, जिसमें वे आसानी से रह सकें. इन गौठानों में उन्हें चारा, पानी उपलब्ध कराने के साथ गायों और दूसरे मवेशियों की उचित देखभाल भी किया जाना है. इससे ना सिर्फ पशुओं को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि ग्रामीणों को भी बड़ी संख्या में रोजगार मिल रहा है.

घुरवा- ये वो गड्ढा होता है जहां मवेशियों का गोबर और या उनके दूसरे वेस्ट प्रोडक्ट का संग्रहण कर गोबर गैस या खाद बनाई जाती है.

बाड़ी- छत्तीसगढ़ में बाड़ी का काफी महत्व है. यहां गांव में लगभग हर घर के साथ बाड़ी लगी रहती है जिसमें साग-सब्जी और फल-फूल के पेड़-पौधे लगाए जाते हैं. इस बाड़ी से लोगों को घर की ताजी और ऑर्गेनिक सब्जियां मिलती हैं.

Last Updated :Sep 4, 2020, 10:44 AM IST
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