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खैरागढ़: आरोपी बीजेपी मंडल अध्यक्ष कमलेश ने निवेशकों के नाम कराई थी जमीन की रजिस्ट्री!

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Published : Jul 7, 2020, 8:11 PM IST

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चिटफंड कंपनी फर्जीवाड़ा मामला

बीजेपी मंडल अध्यक्ष कमलेश कोठले के चिटफंड कंपनी फर्जीवाड़ा मामले में गिरफ्तारी होने के बाद अब इस केस में एक नया तथ्य सामने आया है. जानकारी के मुताबिक कमलेश ने निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए जमीन की भी रजिस्ट्री कराई थी.

राजनांदगांव: बीजेपी मंडल अध्यक्ष कमलेश कोठले के चिटफंड कंपनी फर्जीवाड़ा मामले में गिरफ्तारी होने के बाद अब इस केस में एक नया तथ्य सामने आया है. जानकारी के मुताबिक कमलेश ने निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए जमीन की भी रजिस्ट्री कराई थी. सोनेसरार गांव में जमीन है, जिसकी तीन निवेशकों के नाम पर रजिस्ट्री कराई गई थी.

चिटफंड कंपनी फर्जीवाड़ा मामला

जानकारी के मुताबिक आरोपी डायरेक्टर कमलेश कोठले को निवेशकों के साथ ठगी होने की बात पहले से ही पता थी. इसके बाद उसने कंपनी के डायरेक्टर पद से हटने की इच्छा जाहिर की थी. वही अपना इस्तिफा भी दिया था, लेकिन आरोपी के पास इस्तिफे के पुख्ता दस्तावेज नहीं थे.

पुलिस पर लगाए जा रहे आरोप

बताया जा रहा है कि कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की लिस्ट में 12 लोगों का नाम शामिल था. इसमें से पांच लोगों ने 2013 में ही अपना नाम हटवा लिया था. बाकी बचे 7 लोगों में पुलिस ने 4 लोगों को बिना मामले की जांच किए ही गिरफ्तार कर लिया है. आरोप है कि कंपनी के एमडी और दो अन्य लोगों को फरार बताकर पुलिस उनकी पतासाजी नहीं कर रही है.

'थाने बुलाकर की गिरफ्तारी'

जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खैरागढ़ पुलिस पर दबाव में कार्रवाई करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि जिस दिन गिरफ्तारी हुई, उस दिन दोपहर में शिकायतकर्ता ने आवेदन दिया था, जिसके बाद पुलिस मंडल अध्यक्ष को थाना बुलाया गया. थाना पहुंचते ही पुलिस ने कमलेश के साथ आदतन अपराधी की तरह व्यवहार किया. पहले उसका मोबाइल फोन जमा कर लिया गया, ताकि वह किसी से संपर्क न कर सके. इसके बाद मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

पढ़ें- बीजेपी मंडल अध्यक्ष की गिरफ्तारी मामले में जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने दी सफाई

जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह ने कमलेश के बचाव में कहा कि शिकायतकर्ता के आवेदन में भी कमलेश कोठले का कहीं नाम नहीं है. जब कंपनी के एमडी तरूण साहू ने कमलेश को डायरेक्टर बनाया था, तब भी उसने एजेंट रहने की बात कही थी. जिसके बाद स्टाम्प में कंपनी के एमडी ने कमलेश को शेयर होल्डर नहीं, बल्कि एजेंट होने का शपथपत्र बनाया था. सारे दस्तावेज देने के बाद भी पुलिस ने मामले की जांच नहीं की. विक्रांत ने कहा कि पुलिस निष्पक्ष जांच करें, नहीं तो पुलिस प्रशासन के खिलाफ बीजेपी विरोध करेगी.

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