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Vaikuntha Ekadashi 2023 संतान के सुख के लिए कीजिए वैकुंठ एकादशी का व्रत

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Published : Jan 2, 2023, 8:22 AM IST

Updated : Jan 2, 2023, 10:12 AM IST

Vaikuntha Ekadashi 2023
पौष पुत्रदा एकादशी

vaikuntha ekadashi puja vidhi नए साल के दूसरे दिन 2 जनवरी को संतान के जीवन में खुशहाली और संकट दूर करने के लिए पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाएगा. Paush Putrada Ekadashi 2023 इसे वैकुंठ एकादशी भी कहा जाता है. Vaikuntha Ekadashi 2023

रायपुर: साल 2023 की पहली एकादशी वैकुंठ एकादशी Paush Putrada Ekadashi 2023 से होने जा रही है. इसे पौष पुत्रदा एकादशी भी कहा जाता है. वैकुंठ एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. Vaikuntha Ekadashi 2023 स दिन संतान प्राप्ति के लिए पूजा की जाती है. मान्यताओं के अनुसार, एकादशी का व्रत करने वाले जातकों को जीवन भर सुख की प्राप्ति होती है और जीवन उपरांत मोक्ष मिलता है.vaikuntha ekadashi significance

एकादशी व्रत महत्व: व्रतों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्रत एकादशी का माना जाता है. एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन की चंचलता खत्म होती है. धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है. मनोरोग जैसी समस्याएं भी इससे दूर होती हैं. पौष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी या वैकुंठ एकादशी कहलाती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. पौष मास की एकादशी बड़ी ही फलदायी मानी जाती है. इस उपवास को रखने से संतान संबंधी हर चिंता और समस्या का निवारण हो जाता है. एकादशी का व्रत करने वाले जातकों को जीवन भर सुख की प्राप्ति होती है और जीवन उपरांत मोक्ष मिलता है.vaikuntha ekadashi puja vidhi

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संतान प्राप्ति के करें ये कार्य: सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद पति-पत्नी एक साथ भगवान कृष्ण की उपासना करें. बाल गोपाल को लाल, पीले फूल, तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें. पति-पत्नी संतान गोपाल मंत्र का जाप करें. मंत्र का जाप करने और पूजा होने के बाद प्रसाद ग्रहण करें. जरूरतमंदों को दान दक्षिणा दें और भोजन कराएं. Ekadashi Shubh Muhurat

वैकुंठ एकादशी कथा: एक समय में भद्रावती नगर में राजा सुकेतु का राज्य था. उसकी पत्नी का नाम शैव्या था. संतान नहीं होने की वजह से दोनों पति-पत्नी दुखी रहते थे. एक दिन राजा और रानी मंत्री को राजपाठ सौंपकर वन को निकल गए. इस दौरान उनके मन में आत्महत्या करने का विचार आया, लेकिन उसी समय राजा को यह बोध हुआ कि आत्महत्या से बढ़कर कोई पाप नहीं है. अचानक उन्हें वेद पाठ के स्वर सुनाई दिये और वे उसी दिशा में बढ़ते चले. साधुओं के पास पहुंचने पर उन्हें पौष पुत्रदा एकादशी के महत्व का पता चला. इसके बाद दोनों पति-पत्नी ने पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत किया और इसके प्रभाव से उन्हें संतान की प्राप्ति हुई. इसके बाद से ही पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व बढ़ने लगा. वे दंपती जो निःसंतान हैं उन्हें श्रद्धा पूर्वक पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए. vaikuntha ekadashi history

पूजन विधि: पौष पुत्रदा एकादशी व्रत रखने से एक दिन पहले भक्तों को सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए. इसके अलावा व्रत करने वाले महिला या पुरुष को संयमित और ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए. अगले दिन व्रत शुरू करने के लिए सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु का ध्यान करें. गंगाजल, तुलसीदल, फूल, पंचामृत से भगवान विष्णु की पूजा करें. पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वाली महिला या पुरुष निर्जला व्रत करें. अगर आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, तो शाम को दीपक जलाने के बाद फलाहार कर सकते हैं. व्रत के अगले दिन द्वादशी पर किसी ब्राह्मण व्यक्ति या किसी जरूरतमंद को भोजन कराएं, और दान दक्षिणा दें. उसके बाद ही व्रत का पारण करें.Vaikuntha Ekadashi Mantras

Last Updated :Jan 2, 2023, 10:12 AM IST
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