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EXCLUSIVE: हाथियों की मौत के मुद्दे पर ETV भारत ने पशु प्रेमी नितिन सिंघवी से की खास बातचीत

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Published : Oct 21, 2020, 8:21 PM IST

Updated : Oct 21, 2020, 10:10 PM IST

छत्तीसगढ़ में लगातार हो रही हाथियों की मौत चिंता का विषय बन गया है. हाथियों की मौत को लेकर पशु प्रेमी भी चिंतित हैं. कई हाथियों की मौत के कारणों पर पशु प्रेमी सवाल भी उठा रहे हैं. गरियाबंद में बाघ के हमले से हाथी के शावक की मौत की बात सामने आई है. ETV भारत ने लगातार हो रही हाथियों की मौत पर पशु प्रेमी नितिन सिंघवी से बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने हाथियों की मौत पर सवाल खड़े किए हैं.

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हाथियों की मौत पर पशु प्रेमी नितिन सिंघवी से बातचीत

रायपुर: छत्तीसगढ़ एक समय हाथियों के लिए सुरक्षित स्थान माना जाता था. वही छत्तीसगढ़ आज हाथियों के लिए यमलोक बनता जा रहा है. प्रदेश में आए दिन किसी न किसी वजह से हाथियों की मौत के मामले सामने आ रहे हैं. करंट, जंगल में हादसे, अज्ञात कारणों और किसी जानवर की शिकार की वजह से हाथियों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है. मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं.

हाथियों की मौत पर पशु प्रेमी नितिन सिंघवी से बातचीत

छत्तीसगढ़ में चार साल में करीब 46 हाथियों की मौत करंट लगने से हुई है. इसमें 24 हाथियों की मौत अकेले रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ में हुई है. हाथी-मानव द्वन्द्व में इंसानों की मौत का आंकड़ा थोड़ा ज्यादा है. हाथी-मानव द्वन्द्व के पीछे लगातार घटते जंगल को वजह बताया जा रहा है. छत्तीसगढ़ के सरगुजा, बलरामपुर, कोरिया, जशपुर, कोरबा, रायगढ़ महासमुंद जिले में हाथी विचरण करते हैं. यहां के लोग जंगली हाथियों से परेशान हैं.

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  • साल 2020 में मई से लेकर अबतक लगभग 15 -16 हाथियों की मौत हो चुकी है.
  • जानकारी के अनुसार मई में 1 हाथी की मौत हुई.
  • उसके बाद 9, 10 और 11 जून को सरगुजा के बलरामपुर और सूरजपुर जिलों के जंगलों में 3 मादा हाथियों की मौत हुई.
  • 14 जून को धमतरी जिला में दलदल में फंस जाने के कारण हाथी के बच्चे की मौत हुई.
  • 16 जून को एक हाथी की खेत में करंट लगने से मौत हुई.
  • 17 जून को धर्मजयगढ़ वन मंडल क्षेत्र में एक हाथी का शव मिला.
  • 15 अगस्त को सूरजपुर जिले के जंगल में एक हाथी का शव बरामद हुआ.
  • 17 अक्टूबर को कोरबा जिले में एक तालाब में डूबने से हाथी शावक की मौत हुई.
  • अक्टूबर में ही गरियाबंद जिले के उदंती सीता नदी बाघ अभ्यारण में हाथी के शावक की मौत की बात सामने आई है
    Elephant cub died
    हाथी के शावक की मौत

छत्तीसगढ़ में लगातार हो रही हाथियों की मौत चिंता का विषय बन गया है. हाथियों की मौत को लेकर पशु प्रेमी भी चिंतित हैं. कई हाथियों की मौत के कारणों पर पशु प्रेमी सवाल भी उठा रहे हैं. गरियाबंद में बाघ के हमले से हाथी के शावक की मौत की बात सामने आई है. ETV भारत ने लगातार हो रही हाथियों की मौत पर पशु प्रेमी नितिन सिंघवी से बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने हाथियों की मौत पर सवाल खड़े किए हैं.

22 elephants entered the Western Bhanupratappur Forest Range
पश्चिमी भानुप्रतापपुर वन परिक्षेत्र में घुसा 22 हाथियों का दल

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पशु प्रेमी नितिन सिंघवी का कहना है कि उस क्षेत्र में एक बाघिन जरूर है. लेकिन इस हाथी के शावक की मौत बाघ के हमले से होना प्रतीत नहीं हो रहा है. सिंघवी ने बताया कि बाघ का स्वभाव है कि वे कभी भी शौक के लिए जानवरों को नहीं मारते हैं. यदि बाघिन ने इस शावक को मारा था, तो उसके कुछ न कुछ हिस्से को वो जरूर खाती. सिंघवी का यह भी दावा है कि शावक के शरीर पर जो निशान मिले हैं, वह बाघ के शिकार के नजर नहीं आ रहे हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस मौत की गुत्थी का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद हो सकेगा.

Elephants in Surguja
सरगुजा में हाथियों का उत्पात

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बिगड़ सकता है संतुलन

सिंघवी ने बताया कि हाथियों के मौत के जो मामले सामने आ रहे हैं. उसमें ज्यादातर नर हाथियों की मौत हुई है. यदि यह क्रम लगातार जारी रहा तो आने वाले समय में नर और मादा हाथियों के अनुपात भी गड़बड़ा सकते हैं. उनका कहना है कि प्रदेश में ज्यादातर हाथियों की मौत करंट लगने की वजह से हुई है. उन्होंने संबंधित विभाग के कामकाज पर भी सवाल खड़े किए हैं.

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बिजली विभाग के कामकाज पर उठाए सवाल

नितिन सिंघवी का कहना है कि छत्तीसगढ़ में अब तक 165 हाथियों की मौत हुई है जिसमें 46 हाथी बिजली के करंट से मरे हैं. ऐसे में विभाग इसका जवाबदेह है. साथ ही वन विभाग जिम्मेदार है. उन्होंने आरोप लगाए हैं कि लगभग 15 सौ अवैध कनेक्शन धरमयजगढ़ क्षेत्र में चल रहे हैं. 9 हजार के करीब कनेक्शन खुले तारों के जरिए बोर को दिए गए हैं. वन विभाग और बिजली विभाग के सामंजस नहीं है. जिसका खामियाजा गजराज को जान देकर उठानी पड़ रही है. सिंघवी का कहना है कि जंगल से गुजरने वाले तारों को ऊपर करने के लिए ना तो वन विभाग पहल कर रहा है ना ही बीजली विभाग. इसके लिए करीब 17 सौ करोड़ का खर्च होना है लेकिन फाइल विभाग में दबी हुई है.

Last Updated : Oct 21, 2020, 10:10 PM IST
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