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झीरम हमला: अंतहीन दर्द के सात साल, प्रदेश दे रहा शहीदों को श्रद्धांजलि

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Published : May 25, 2020, 12:19 AM IST

Updated : May 25, 2020, 6:32 PM IST

छत्तीसगढ़ में 25 मई को 'झीरम श्रद्धांजलि दिवस' मनाया जाएगा. 7 साल पहले, 25 मई 2013 को बस्तर के झीरम घाटी में नक्सलियों कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार सहित कई बड़े नेताओं को मौत के घाट उतार दिया था.

The seven year of Jhiram naxal attack
झीरम हमले की सातवीं बरसी

रायपुर : छत्तीसगढ़ में मंगलवार याने 25 मई को 'झीरम श्रद्धांजलि दिवस' मनाया जाएगा. बस्तर की झीरम घाटी,जहां 7 साल पहले, 25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ का अबतक का सबसे बड़ा नरसंहार हुआ था. कांग्रेस के बड़े नेता एकजुट होकर परिवर्तन यात्रा में शामिल हुए थे. यात्रा के दौरान दरभा घाटी के झीरम इलाके में नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले को निशाना बनाया. 2013 का झीरम घाटी हमला न छत्तीसगढ़ की जनता भूल सकती है, न ही नेता.

झीरम हमले की सातवीं बरसी

चुनावी तैयारियों में जुटी कांग्रेस पार्टी का पूरा फोकस बस्तर पर था. बाकायदा एक परिवर्तन यात्रा निकाली गई थी. जिसकी शुरुआत नक्सल प्रभावित और बेहद संवेदनशील सुकमा जिले से हुई थी. सुकमा में पहली सभा को संबोधित करने के बाद कांग्रेस नेता वहां से निकले. पूरी कांग्रेस लीडरशिप लंबे अरसे बाद एक साथ थी. काफिले में कई गाड़ियां थीं. परिवर्तन यात्रा के इस काफिले में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, कवासी लखमा, उदय मुदलियार सहित कई बड़े नेता शामिल थे.

'लाल' हो गई थी झीरम घाटी

काफिले ने दरभा घाटी पार करना शुरू किया. इधर नक्सली घात लगाकर बैठे हुए थे. और फिर नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. सबसे पहले नक्सल विरोधी आंदोलन चलाने वाले कांग्रेस के बड़े नेता महेंद्र कर्मा को ढ़ूंढना शुरू किया. महेंद्र कर्मा बस्तर में कांग्रेस पार्टी का चेहरा थे और उस हमले के दौरान नक्सलियों के निशाने पर थे. सबसे पहले गोलियां महेंद्र कर्मा के वाहन में लगी, जिसके बाद वे गनमैन के साथ नीचे लेट गए. लगातार फायरिंग के बाद महेंद्र कर्मा ने आत्मसमर्पण की बात कही. इसके बाद नक्सलियों ने महेंद्र कर्मा को बंदी बना कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया. फिर एक-एक कर कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया.

पढ़ें-भूपेश बघेल सरकार का फैसला, 25 मई को मनाया जाएगा 'झीरम श्रद्धांजलि दिवस'

इस हमले में महेंद्र कर्मा के अलावा तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उदय मुदलियार समेत कांग्रेस के कई नेताओं समेत 27 की मौत स्पॉट पर ही हो गई. वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल की इलाज के दौरान मौत हुई थी. नक्सलियों ने परिवर्तन यात्रा से लौट रहे कांग्रेस के काफिले पर लगातार दो घंटे तक फायरिंग की थी. इस दिल दहला देने वाली घटना को याद कर आज भी लोगों की रूह कांप जाती है.

एक नजर में झीरम घाटी कांड-

  • कांग्रेस के बड़े नेता अपनी परिवर्तन यात्रा खत्म कर 4 बजे झीरम घाटी पहुंचे, जहां उन्हें गोलियों की आवाज सुनाई दी, लेकिन जब तक वे कुछ समझते नक्सलियों ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया था.
  • अगले मोड़ पर गोलियां महेंद्र कर्मा के वाहन में लगी, जिसके बाद वे गनमैन के साथ नीचे लेट गए.
  • लगातार फायरिंग के बाद महेंद्र कर्मा ने आत्मसमर्पण की बात कही. इसके बाद नक्सलियों ने महेंद्र कर्मा को बंदी बना कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया.
  • फिर एक-एक कर कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया. इस हमले में सौ से अधिक महिला नक्सली भी शामिल थीं.
  • नक्सली अपनी जीत का जश्न मना रहे थे तो पूरे देश में मातम छाया था.
  • इस हमले में कुल 31 लोगों ने जान गंवाई थी.
Last Updated : May 25, 2020, 6:32 PM IST
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